गौतमबुद्ध नगर : जिला प्रशासन अब बिल्डरों के अच्छे प्रोजेक्ट वाली संपत्ति को सील करेगा, तहसील टीम कुर्क करते समय रखेगी इन बातों का ध्यान 

Tricity Today | डीएम सुहास एलवाई



Greater Noida News : जिला प्रशासन द्वारा बकायेदार बिल्डरों पर नकेल कसी जा रही है। प्रशासन बकाया वसूलने के लिए बिल्डरों की संपत्ति को सील कर रहा है, लेकिन अभी तक जितनी भी संपत्ति बिल्डरों की सील करी गई है उन पर खरीदारों को मालिकाना हक देना अभी संभव नहीं है। जिसके लिए अब प्रशासन ने यह फैसला किया है कि अब से बकायेदार बिल्डरों के अच्छे प्रोजेक्ट की संपत्ति को ही सील किया जाएगा। ताकि की ई-नीलामी करने में कोई अड़चन ना आए। साथ ही आसानी से खरीदार को संपत्ति पर मालिकाना हक दिया जा सके। 

इसलिए नहीं दिया जा सकता मालिकाना हक 
आपको बता दें जिला प्रशासन में फ्लैट खरीदारों की रकम को वापस दिलाने के लिए बिल्डरों की संपत्ति को सील किया है। साथ ही सील की गई संपत्ति को ई-नीलामी के जरिए जितना पैसा आएगा उससे फ्लैट खरीदारों का पैसा वापस किया जाएगा। प्रशासन ने बिल्डरों की 400 करोड रुपए की संपत्ति को सील किया है। जिसमें से तीन 382 करोड रुपए की संपत्ति की नीलामी की जाएगी। लेकिन अभी तक जिस संपत्ति को सील किया गया है उस संपत्ति का अभी तक ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) और कंपलीशन सर्टिफिकेट (सीसी) नहीं आया है। ओसी और सीसी आने के बाद ही प्रशासन खरीदारों को संपत्ति पर मालिकाना हक दे सकेगा। ऐसे में अब जिला प्रशासन ने फैसला किया है कि अब से बिल्डरों की अच्छी प्रॉपर्टी को ही सील किया जाएगा ताकि खरीदारों को ई नीलामी के जरिए खरीदी हुई संपत्ति पर मालिकाना हक दिया जा सके। जिसके लिए प्रशासन ने सील की जा चुकी संपत्ति का आकलन भी शुरू कर दिया है। जो अच्छी संपत्ति होगी उसे पहले चरण की नीलामी में शामिल किया जाएगा। 

तहसील सदर की टीम को दिए गए निर्देश 
तहसील सदर टीम द्वारा बिल्डरों की संपत्ति को सील किया जाता है। सभी टीमों को निर्देश दिए गए हैं कि अब से बिल्डरों की सिर्फ साफ-सुथरी और अच्छे प्रोजेक्ट वाली संपत्ति को ही सील किया जाए। साथ ही सील करते समय देखा जाए की संपत्ति पर किसी तरह का विवाद तो नहीं और सभी सुविधाएं हैं या नहीं। जिसके बाद सील की जाने वाली संपत्ति का फोटो भी ले, ताकि भविष्य में इसका इस्तेमाल किया जा सके।

यह है मामला
जिला प्रशासन उत्तर प्रदेश भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) का करोड़ों रुपए का बकाया है। यूपी रेरा के रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) के करीब 1400 करोड रुपए फंसे हुए हैं। साथ ही जिला प्रशासन के पास 600 करोड़ रुपए से अधिक की आरसी निलंबित पड़ी है। जिसके चलते प्रशासन बिल्डरों की 400 करोड रुपए की संपत्ति को कुर्क कर चुका है। जिसमें से अब 382 करोड रुपए की संपत्ति की नीलामी की जाएगी।

इतने बिल्डरों की इतनी संपत्ति की गई कुर्क 
इसी के साथ आपको बता दें कि दादरी और सदर तहसील की टीम ने फिलहाल 44 बिल्डरों की 309 संपत्ति को कुर्क कर लिया है। इस कुर्क की गई संपत्ति में फ्लैट, विला और भूखंड आदि शामिल है। जिसकी कीमत 380 करोड़ रुपए है। जिसकी ई-नीलामी की जाएगी। इन ई-नीलामी करने के बाद खरीदारों के पैसे मिल सकेंगे। इसी मकसद के साथ प्रशासन इसकी तैयारियों में जुटा हुआ है। प्रशासन ने मार्च में पहली ई-नीलामी करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन खरीदारों को ई-नीलामी के जरिए खरीदी गई सम्पति पर मालिकाना हक ओसी और सीसी मिलने के बाद ही मिलेगा। 

इसलिए हुई ई-नीलामी में देरी 
अभी तक ई-नीलामी ना होने की वजह से प्रशासन का बकाया अटका हुआ है जिससे प्रशासन को काफी नुकसान हो रहा है। प्रशासन के प्रस्ताव पर प्रदेश सरकार से की नीलामी की मंजूरी दे दी थी। जिससे उम्मीद है कि देश के सभी कोने में बैठे लोग ई-नीलामी के जरिए हिस्सा ले सकेंगे। लेकिन अभी तक इसकी जिम्मेदारी किस को सौंपी जाए इसका निर्णय नहीं लिया गया था। अब प्रदेश सरकार ने ई-नीलामी की जिम्मेदारी गौतमबुद्ध नगर जिले के जिलाधिकारी सुहास एलवाई को दी है। प्रशासन ने मार्च में पहली ई-नीलामी करने का लक्ष्य रखा है। जिसमें 380 करोड़ रुपए की संपत्ति ई-नीलामी की जाएगी। दोनों प्राधिकरण के साथ मिलकर नीलामी की प्रक्रिया का एक ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। जिसमें कुछ नियम और शर्तें शामिल होंगी।

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