Greater Noida Authority News : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में पिछले एक दशक से किसानों के साथ आबादी भूखंडों के नाम पर खिलवाड़ चल रहा है। एक ओर ऐसे लोग हैं, जो गैर कानूनी ढंग से दोहरे लाभ ले रहे हैं। दूसरी तरफ ऐसे हैं, जिन्हें दशकों बाद भी उनका हक नहीं मिल रहा है। हास्यास्पद हालत तो यह है कि मर चुके लोगों के नाम प्लॉट आवंटित किए जा रहे हैं। किसान आबादी भूखंडों के आवंटन में बड़े पैमाने पर हुई धांधली को लेकर TRICITY TODAY ने शुक्रवार से समाचार श्रृंखला शुरू की है। जिसकी आज दूसरी कड़ी में ऐसे मामले हैं, जिन्हें पहले प्लॉट मिल चुके हैं, उन्हीं लोगों को दोबारा आवंटन कर दिया गया है।
क्या है मामला
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गांव सैनी में वर्ष 2006 और 2007 के दौरान भूमि अधिग्रहण किया गया था। इस गांव के किसानों को 6% आबादी भूखंडों का आवंटन वर्ष 2009 से 2014 तक किया गया। इस दौरान 393 आवंटन किए गए। किसानों और प्राधिकरण के बीच विवाद में अदालत ने जब 21 अक्टूबर 2011 को फैसला किसानों के हक में सुनाया था। जिसमें किसानों को 6% की बजाय 10% आबादी भूखंड देने का आदेश हुआ। इसमें सैनी गांव के कुछ किसान भी हाईकोर्ट गए थे। लिहाजा, वह लाभान्वित हो गए। जो किसान हाईकोर्ट नहीं गए, उन्हें अतिरिक्त लाभ देने से प्राधिकरण ने इंकार कर दिया। इसके खिलाफ गांव के किसानों ने दो याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल कीं। रिट याचिका संख्या 28675/2019 में 108 किसान पक्षकार बने थे। इसी तरफ दूसरी रिट याचिका संख्या 30713/2019 में 73 किसान पक्षकार बने थे। इस तरह दोनों याचिकाओं में सैनी गांव के 181 किसान पक्षकार बनकर हाईकोर्ट गए थे। इन सभी ने हाईकोर्ट से 'गजराज बनाम उत्तर प्रदेश सरकार' का फायदा मांगा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 31 मई 2022 को यह दोनों याचिकाएं ख़ारिज कर दीं। हाईकोर्ट ने उसी दिन 32 गांवों के किसानों की करीब 350 याचिकाओं पर एकसाथ फैसला सुनकर खारिज किया था।
अब क्या हुआ
जब हाईकोर्ट में किसानों की याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी, उसी दौरान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 25 मार्च 2022 को नई भूखंड आवंटन सूची जारी की। इसमें लुकसर, हैबतपुर, तुगलपुर, डाढ़ा, रिठौरी, खानपुर, खैरपुर गुर्जर, जैतपुर वैशपुर, सैनी, चिपियाना बुजुर्ग उर्फ़ तिगरी, चूहड़पुर खादर, ऐमनाबाद, खोदना खुर्द, सिरसा, सादोपुर, घंघौला, मायचा, रोजा याकूबपुर, डाबरा, रामपुर फतेहपुर, रायपुर बांगर, साकीपुर, पतवाड़ी, मथुरापुर, तुस्याना, इटैड़ा और बिरौंडी चक्रसैनपुर गांवों के 133 किसानों को भूखंड आवंटन किया गया है। सैनी गांव के 393 आवंटन में 6% लाभ लेने वाले 9 लोगों को 25 मार्च 2022 को नई भूखंड आवंटन सूची में भी 6% भूखंड दोबारा दिए गए हैं।
मामला नंबर 1 : पुरानी आवंटन सूची में क्रम संख्या 138 पर प्रेमपाल पुत्र नंदराम, क्रम संख्या पर 139 प्रताप सिंह पुत्र नंदराम, 140 पर ओमकार पुत्र नंदराम, 141 पर उत्तम सिंह पुत्र नंदराम और 144 सत्यवती पत्नी नंदराम हैं। इनमें प्रत्येक की खसरा नंबर 43 से 2,791 वर्गमीटर जमीन अधिग्रहीत की गई थी। जिसके लिए इन्हें 6% आबादी भूखंड दिए गए। सभी को अलग-अलग 170 वर्गमीटर का भूखंड दिया गया था। अब नई सूची के पृष्ठ संख्या 98 में क्रम संख्या 10 पर इन सभी को संयुक्त रूप से 502 वर्गमीटर भूखंड फिर से आवंटित किया गया है। जिसके सामने खसरा नंबर 43 ही अंकित है। इसे भी 6% आबादी भूखंड बताया गया है। यहां दो सवाल हैं। पहला अगर 6% के सापेक्ष आवंटन किया गया है तो दूसरी बार क्यों किया गया? दूसरा सवाल यह है कि 6% के सापेक्ष कम से कम 837 वर्गमीटर का भूखंड संयुक्त रूप से मिलना चाहिए।
अब आपको वास्तविक कहानी बताते हैं। इन पांचों लोगों को 6% नहीं 4% का अतिरिक्त लाभ देकर 'गजराज बनाम सरकार' के फैसले से आच्छादित किया गया है। क्योंकि, 4% के सापेक्ष ही 502 वर्गमीटर भूखंड दिया जाना सम्भव है। गांव के दूसरे लोगों को गुमराह रखने के लिए दूसरी सूची में भी 6% अंकित किया गया है। ख़ास बात यह है कि यह पांचों लोग रिट याचिका संख्या 30713/2019 में पक्षकार थे। यह याचिका हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दी और लाभ देने से इंकार कर दिया। ऐसे में इन लोगों को क्यों लाभान्वित किया गया? इतना ही नहीं प्राधिकरण अफसरों की अंधेरगर्दी देखिए सत्यवती पत्नी नंदराम की वर्षों पहले मौत हो चुकी हैं लेकिन उनके नाम पर भूखंडों का आवंटन बदस्तूर जारी है। इस सवाल का जवाब एसीईओ की अध्यक्षता वाली समिति को देना है।
मामला नंबर 2 : सैनी गांव के खसरा नंबर 43 से दीपचंद पुत्र सिंहराम की 13,953 वर्गमीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। दीपचंद को पुरानी लिस्ट में क्रमांक संख्या 145 पर 840 वर्गमीटर का भूखंड 6% के सापेक्ष आवंटित किया गया था। अब दोबारा नई सूची में पृष्ठ संख्या 97 में क्रम संख्या-3 पर दीपचंद पुत्र सिंहराम को 647 वर्गमीटर का भूखंड आवंटित किया गया है। खसरा नंबर 43 और 6% दर्ज किया गया है। दीपचंद पुत्र सिंहराम की मृत्यु हो चुकी है। उनकी जगह उनका बेटा वीरपाल रिट याचिका संख्या 30713/2019 में पक्षकार था। हाईकोर्ट ने लाभ नहीं दिया। दीपचंद की मृत्यु होने के बावजूद नई सूची में भूखंड आवंटन उन्हीं के नाम पर कर दिया गया है।
मामला नंबर 3 : सैनी गांव के नरेंद्र सिंह पुत्र सोहन लाल की खसरा संख्या 413, 105, 558 से 28,752 वर्गमीटर जमीन अधिग्रहीत की गई। पुरानी लिस्ट में क्रम संख्या 346 पर 1,730 वर्गमीटर का भूखंड 6% के सापेक्ष दे दिया गया। अब नई लिस्ट में नरेंद्र सिंह को पृष्ठ संख्या 98 पर क्रम संख्या 8 पर 1,725 वर्गमीटर भूखंड दोबारा आवंटित किया गया है। इसके आगे वही तीनों खसरा नंबर दर्ज हैं, जो पुरानी सूची में हैं। नरेंद्र सिंह पुत्र सोहन लाल रिट याचिका संख्या 28675/2019 में पक्षकार थे। यह याचिका हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दी है। ख़ास बात यह है कि हाईकोर्ट में मुकदमा हारने वाले 181 किसानों में से 128 किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट की इस रिट के पार्टी मेमो में नरेंद्र सिंह, वीरपाल पुत्र दीपचंद, प्रेमपाल पुत्र नंदराम, प्रताप सिंह पुत्र नंदराम, ओमकार पुत्र नंदराम, उत्तम सिंह पुत्र नंदराम और सत्यवती पत्नी नंदराम शामिल नहीं हैं।
मामला नंबर 4 : सैनी गांव के धर्मपाल पुत्र अंगत की खसरा नंबर 416, 393, 643 से 4,143 वर्गमीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। जिसके लिए उसे पुरानी सूची में क्रम संख्या 379 पर 250 वर्गमीटर भूखंड दिया गया था। अब नई सूची के पेज नंबर 97 पर सीरियल नंबर 5 पर दोबारा 184 वर्गमीटर का भूखंड आवंटित किया गया है। बड़ी बात यह है कि धर्मपाल पुत्र अंगत तो कभी हाईकोर्ट ही नहीं गए।
प्राधिकरण को हजारों करोड़ की हानि
कुल मिलाकर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में अफसरों, कर्मचारियों, दलालों और प्रॉपर्टी डीलरों का एक बड़ा नेक्सस सक्रिय है। जिनका मकसद केवल प्राधिकरण के सार्वजनिक संसाधनों को लूटना है। ग्रामीणों का कहना है कि यह मामले तो केवल उदाहरण मात्र हैं। पिछले दस वर्षों के दौरान अथॉरिटी में सक्रिय एक गैंग ने खुलेआम लूट मचाई है। ऐसे हजारों की संख्या में फर्जी भूखंड हैं। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले सैनी गांव के पूर्व प्रधान ब्रह्मसिंह और सतपाल सिंह का कहना है, "मौजूदा सीईओ सुरेंद्र सिंह ने भ्रष्टाचार पर एक्शन लिया है। इस कारण आम आदमी की हिम्मत इस घोटाले को उजागर करने की हुई है। हम चाहते हैं कि पिछले एक दशक के दौरान हुए सारे भूखंड आवंटनों की जांच विशेष समिति बनाकर की जाए। ऐसे हजारों मामले सामने आएंगे।"
सीईओ बोले- कड़ा एक्शन होगा
इस प्रकरण को लेकर शनिवार को ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुरेंद्र सिंह से बात हुई। उन्होंने कहा, "यह बेहद गंभीर प्रकरण है। इसे अंजाम देने वाले आवेदक, अधिकारी और कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा। इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी। कमेटी जल्दी से जल्दी जांच करेगी। घोटाले में शामिल सारे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।" आपको बता दें कि 01 मई 2022 को सुरेंद्र सिंह को ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बनाकर भेजा गया। तब से वह लगातार भ्रष्टाचार पर कार्रवाई कर रहे हैं। किसान आबादी भूखंड आवंटन करने के लिए अंतिम सूची उनके कार्यकाल से पहले मार्च 2022 में अनुमोदित की गई थी।
एसीईओ लेवल पर होता है आवंटन
किसान आबादी विभाग अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी के नीचे काम करता है। खास बात यह है कि भूखंड आवंटन करने की पूरी प्रक्रिया में एसीईओ से लेकर 6% किसान आबादी विभाग, लैंड डिपार्टमेंट, प्लानिंग डिपार्टमेंट के मैनेजर, तहसीलदार और डिप्टी कलेक्टर होते हैं। इससे जुड़ी फाइलें एसीईओ से शुरू होती हैं और एसीईओ ही आखिरी हस्ताक्षर करने वाला अधिकारी होता है।