Greater Noida News : प्रयागराज हाईकोर्ट से बड़ी खबर आ रही है। उच्च न्यायालय ने ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को अदालत में तलब किया है। दरअसल, खैरपुर गुर्जर गांव के किसानों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई के दौरान ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से रिकॉर्ड तलब किया गया। कई सुनवाई बीतने के बावजूद प्राधिकरण की ओर से मांगा गया रिकॉर्ड अदालत को उपलब्ध नहीं करवाया गया है। अब इस मामले की सुनवाई 30 मई को होगी। कोर्ट ने सीईओ या एसीईओ को रिकॉर्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया है।
क्या है मामला
ग्रेटर नोएडा के खैरपुर गुर्जर के निवासी महेश और 4 अन्य लोगों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। लोगों ने अदालत में कहा, "हमारे 8 परिवार हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण प्रत्येक परिवार के लिए 3,000 वर्ग मीटर जमीन आबादी के रूप में अधिग्रहण मुक्त करता है लिहाजा, हमारे 8 परिवारों के लिए 24,000 वर्ग मीटर जमीन अथॉरिटी छोड़ सकती है। हम लोग केवल 23,000 वर्ग मीटर जमीन छोड़ने की मांग कर रहे हैं। प्राधिकरण इसके लिए तैयार नहीं है, जबकि प्राधिकरण ने कुछ परिवारों को अपनी पॉलिसी से अलग हटकर 3,000 वर्ग मीटर से भी ज्यादा जमीन बतौर आबादी अधिग्रहण मुक्त की है। कई मामलों में तो अधिग्रहित जमीन को लीज बैक के जरिए वापस लौटाया है। इस पॉलिसी का लाभ हमें भी मिलना चाहिए।"
अथॉरिटी ने मांग का विरोध किया
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में महेश और अन्य किसान परिवारों की इस मांग का विरोध किया। प्राधिकरण के वकील ने दावा किया कि किसी को अब इतनी जमीन नहीं दी गई है। प्राधिकरण ने किसी किसान परिवार को 3,000 वर्ग मीटर जमीन भी आबादी के लिए नहीं छोड़ी है। लिहाजा, इन लोगों को भी इतनी जमीन आबादी के लिए नहीं दी जा सकती है। अथॉरिटी के वकील ने अदालत को बताया कि याचीगण को 9,000 वर्ग मीटर जमीन प्राधिकरण आबादी के रूप में दे रहा है। इस पर याची के अधिवक्ता पंकज दुबे ने अदालत में कहा, "प्राधिकरण के वकील न्यायालय को गुमराह कर रहे हैं। प्राधिकरण ने तमाम लोगों को ना केवल 3,000 वर्ग मीटर बल्कि इससे भी ज्यादा जमीन आबादी के तौर पर लीजबैक के जरिए वापस लौटाई है। बड़ी संख्या में किसान परिवारों के बड़े-बड़े भूखंडों को अधिग्रहण से मुक्त रखा है। लिहाजा, प्राधिकरण को आदेश दिया जाए कि उसने अब तक जिन लोगों को आबादी के लिए जमीन लौटाई है या अधिग्रहण मुक्त की है, उनकी सूची न्यायालय में उपलब्ध करवाएं।"
हाईकोर्ट ने मांग लिया पूरा रिकॉर्ड
दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने प्राधिकरण के वकील को आदेश दिया, "आप आबादी के लिए अधिग्रहण मुक्त की गई जमीन और लीजबैक के जरिए किसानों को वापस लौटाई गई जमीन का पूरा ब्यौरा उपलब्ध करवाएं। अगली सुनवाई पर प्राधिकरण यह पूरा डाटा अदालत के सामने पेश करे।" याची के वकील पंकज दुबे का कहना है कि अदालत का यह आदेश आने के बाद प्राधिकरण सुनवाई को टाल रहा है। पिछली दो सुनवाई पर मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवाई गईं। अब 24 मई को मामले में जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनवाई की। अदालत ने कहा कि प्राधिकरण बार-बार मांगने पर भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवा रहा है। यह गलत है। 30 मई को इस मामले की सुनवाई की जाएगी। उस दिन प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी या अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी पूरा रिकॉर्ड लेकर व्यक्तिगत रूप से अदालत के सामने हाजिर होंगे।