गौतमबुद्ध नगर में गजेंद्र मावी की ताजपोशी के क्या मायने? सांसद खेमे को 15 साल में पहला बड़ा झटका

Google Photo | डॉक्टर महेश शर्मा और गजेंद्र मावी



Greater Noida News : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने शुक्रवार को नए जिलाध्यक्षों की घोषणा की है। गौतमबुद्ध नगर का जिलाध्यक्ष गजेंद्र मावी को बनाया गया है। गजेंद्र लंबे अरसे से भाजपा में ज़मीन पर काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी ताज़पोशी के बड़े राजनीतिक निहितार्थ हैं। गजेंद्र मावी का जिलाध्यक्ष बनना गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉक्टर महेश शर्मा के गुट को तगड़ा झटका है। पिछले 15 वर्षों से गौतमबुद्ध नगर की राजनीतिक बिसात पर दोनों ओर से कौन सा मोहरा आड़ा-तिरछा, सीधा-उल्टा या डेढ़ चाल चलेगा, यह डॉक्टर महेश शर्मा तय कर रहे थे। पहली बार गजेंद्र मावी के रूप में सामने वाले मोर्चे से चाल चली गई है। मतलब, अब खेल में केवल एक छोर डॉक्टर साहब के पास रह गया है।

चौथी मर्तबा गजेंद्र को कामयाबी मिली
छात्र राजनीति में सक्रिय रहे गजेंद्र सिंह मावी ग्रेटर नोएडा शहर के बीचोंबीच बिरौंडी गांव के निवासी हैं। गजेंद्र मावी क़रीब 20 वर्षों से भाजपा में सक्रिय हैं। वर्ष 2008-2011 तक भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष रहे। उस वक़्त रक़म सिंह भाटी गौतमबुद्ध नगर भाजपा के जिलाध्यक्ष थे। गौतमबुद्ध नगर भाजपा की राजनीति पर पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर की तगड़ी पकड़ थी। रकम सिंह भाटी के नेतृत्व में भाजपा के एक बड़े गुट ने डॉक्टर महेश शर्मा की लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी का विरोध किया। जब महेश शर्मा भाजपा में मज़बूत होते चले गए तो दूसरी तरफ नवाब सिंह नागर, रकम सिंह भाटी और गजेंद्र मावी जैसे नेता पीछे धकेल दिए गए। सांसद की बदौलत गौतमबुद्ध नगर भाजपा की राजनीति में एडवोकेट अतुल शर्मा, अभिषेक शर्मा, विजय भाटी, हरीश ठाकुर और सेवानंद शर्मा दाखिल हुए। जब सांसद डॉक्टर महेश शर्मा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष सतेंद्र सिसोदिया को गौतमबुद्ध नगर का जिलाध्यक्ष बनवाने में कामयाबी हासिल की थी तो उनकी टीम में गजेंद्र मावी ने बतौर उपाध्यक्ष जगह मिली, लेकिन फिर गजेंद्र लगातार जिलाध्यक्ष बनने की दावेदारी पेश करते रहे और उन्हें दरकिनार करके कभी हरीश ठाकुर तो कभी विजय भाटी को कमान सौंपी गई। इसके बावजूद गजेंद्र मावी ने हार नहीं मानी और उन्होंने पार्टी में सक्रिय बने रहने के लिए भाजपा किसान मोर्चा और ओबीसी मोर्चा में कई पदों पर काम किया।

क्या सांसद कमजोर हुए हैं?
कुल मिलाकर लंबे संघर्ष और सांसद डॉक्टर महेश शर्मा के विरोध के बावजूद इस बार गजेंद्र मावी जिलाध्यक्ष बनने में सफल हो गए हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सांसद कमज़ोर पड़ गये हैं? सही मायनों में लंबे अरसे बाद गौतमबुद्ध नगर भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में संतुलन आया है। अभी तक डॉक्टर महेश शर्मा एकतरफ़ा फ़ैसले ले रहे थे। अब सांसद के सामने दूसरा खेमा खड़ा हो चुका है। जिसमें राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर और ज़ेवर के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह हैं। पिछले दो-तीन वर्षों में सुरेंद्र सिंह नागर का भारतीय जनता पार्टी में तेज़ी से कद बढ़ा है। वह दो बार यूपी भाजपा के उपाध्यक्ष बनाए गए और हाल ही में उन्हें राष्ट्रीय मंत्री नियुक्त किया गया है। इससे गौतमबुद्ध नगर भाजपा में शक्ति संतुलन हुआ है और एकतरफा फैसलों पर रोक लग गई है।

आख़िर ऐसा क्यों हुआ
भाजपा के एक बड़े नेता ने कहा, “नोएडा और गौतमबुद्ध नगर में भाजपा के संगठन की दुर्गति से पार्टी में नाराज़गी है। घरेलू, जेबी और ठप्पे के तौर पर इस्तेमाल हो रहे लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। इससे संगठन कमज़ोर पड़ रहा है। विजय भाटी ने बतौर जिलाध्यक्ष दो कार्यकाल हासिल किए, लेकिन वे लगातार विवादित बने रहे। केवल कैलाश अस्पताल से आने वाले आदेशों का पालन करते रहे। गैंगस्टर और और हिस्ट्रीशीटरों के साथ उनके फ़ोटो सोशल मीडिया पर आना आम बात हो गई थी। पार्टी में अव्यवस्था हावी रही। चुनाव जैसे संवेदनशील समय के दौरान वक़्त पर क्षेत्रीय कार्यालय और प्रदेश कार्यालय को रिपोर्ट तक नहीं मिलती थी। नोएडा महानगर में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं। भाजपा की जिला इकाई खुलकर जनप्रतिनिधियों के साथ भेदभाव कर रही थी। कार्यक्रमों में सांसद के इशारे पर दूसरे जनप्रतिनिधियों को नीचा दिखाया जाता था। बैनर और पोस्टरों की राजनीति की जा रही थी। महेश शर्मा जिन नेताओं या जनप्रतिनिधियों को पसंद नहीं करते, उनके नाम और फ़ोटो ग़ायब कर दिए जाते थे। यह सारी जानकारी लखनऊ और दिल्ली तक पार्टी में शीर्ष स्तर पर है।”

क्या सोचता है आम आदमी
भारतीय जनता पार्टी की राजनीति पर नज़र रखने वाले और नोएडा के निवासी गोपाल प्रसाद मिश्रा कहते हैं, “गौतमबुद्ध नगर उत्तर प्रदेश की शो विंडो है। यहां गांव-देहात वाली राजनीति करना बेमानी है। जाति के नाम पर राजनीति का नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कोई मतलब नहीं रह गया है। गौतमबुद्ध नगर संसदीय क्षेत्र में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा मतदाता हाई क्वालिफाई प्रोफेशनल और बिजनसमैन कैटेगरी के हैं। उनकी ज़रूरतें दूसरी तरह की हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिजली, पानी, सड़क और अन्य मूलभूत समस्याएं नहीं हैं। इन शहरों को इन्वेस्टमेंट, इंडस्ट्री और पॉलिसी की ज़रूरत होती है। इन सारी बातों को समझने में मौजूदा सांसद डॉक्टर महेश शर्मा पूरी तरह नाकामयाब रहे हैं। वह ख़ुद मेडिकल प्रोफेशनल हैं और बिजनसमैन भी हैं। इसके बावजूद गौतमबुद्ध नगर के बदलते मिज़ाज को नहीं समझ पाए हैं। यह स्थिति आश्चर्यजनक है। गौतमबुद्ध नगर को ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है, जो इनवेस्टमेंट, इंडस्ट्री, पॉलिसी, नेशनल और इंटरनेशनल इकोनॉमी को समझे।” वह आगे कहते हैं, “हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था। जिसके लिए प्रदेश के तमाम नेताओं ने यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और मिडल ईस्ट में जाकर लाखों करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट हासिल किया। उत्तर प्रदेश को मिले निवेश में से क़रीब 66 प्रतिशत अकेले गौतमबुद्ध नगर को मिला है। गौतमबुद्ध नगर के मतदाता यह जानना चाहते हैं कि इसमें हमारे सांसद की भूमिका कितनी है? डॉक्टर और बिजनसमैन होने के बावजूद वह उत्तर प्रदेश सरकार के इस इनिशिएटिव में शामिल क्यों नहीं थे? ज़रूरी नहीं कि सांसद होने की वजह से उन्हें राज्य सरकार एंटरटेन न करे? अगर वह एक्टिव और विजनरी होते तो मुख्यमंत्री को उनसे सहयोग मांगना पड़ता। वह केवल जाति-बिरादरी और गली-मोहल्ले की राजनीति में क्यों फंसे हुए हैं।

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