Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में हुए कुणाल शर्मा हत्याकांड के बाद जिले की जनता में काफी रोष है। अब ट्विटर पर 'कुणाल को न्याय दो' का ट्रेंड चल रहा है। कुणाल शर्मा के परिजनों और आम जनता ने बच्चे को न्याय देने की गुहार लगाई है। इसी के साथ पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं।
अभी तक 11 हजार से ज्यादा ट्वीट
सोशल मीडिया ट्विटर पर सोमवार दोपहर 4:30 बजे तक 11 हजार से ज्यादा ट्वीट 'कुणाल को न्याय दो' के साथ हुए हैं। लोगों ने न्याय की गुहार लगाई है। लोगों का कहना है कि कुणाल शर्मा के हत्यारों के खिलाफ जल्द से जल्द एक्शन होना चाहिए, लेकिन हत्याकांड के 24 घंटे बाद भी पुलिस खाली हाथ है। इस हत्याकांड को कई घंटे पहले अंजाम दिया गया था, लेकिन पुलिस अभी तक एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
सोशल मीडिया पर लोगों में आक्रोश
सोशल मीडिया पर संजय कुमार नामक एक व्यक्ति ने लिखा, "धिक्कार है इन अफसरों पर जो अपने ज्ञान और विज्ञान का उपयोग करके एक जान नहीं बचा पाए और वो भी पांच दिनों में।" बीपीएस चौहान का कहना है, "अब तो ऊपर वाले पर ही सब छोड़ना पड़ेगा। क्योंकि एक गाना है श्री कादर खान जी का 'चारों तरफ अंधेर मचा है, पानी महंगा, सस्ता खून कोई बताए ये है रे कैसा कुदरत का कानून? चारों तरफ अंधेर मचा है।" समाजसेवी के नाम से एक ट्विटर अकाउंट से लिखा गया, "कमिश्नर चेंज करो तब कुछ होगा इस नोएडा का"
कब हुआ था अपहरण और मर्डर
बीटा-दो कोतवाली क्षेत्र में स्थित ऐच्छर सीएनजी पंप के पास से एक व्यापारी के 15 साल के बेटे कुणाल का बुधवार (1 मई 2024) दोपहर 2:45 बजे अपहरण हुआ था। दिनदहाड़े व्यापारी के बेटे का अपहरण हो गया और पुलिस को पता तक नहीं चला। व्यापारी के परिजनों ने अनहोनी की आशंका जाहिर की थी, फिर भी जिले के जिम्मेदार पुलिस अधिकारी मजे से सोते रहे और इसका अंजाम अब परिजनों को भुगतना पड़ा है। अपहरण के पांच दिन बाद बच्चे की लाश बुलंदशहर में मिली। पुलिस दावा रहती है कि उनके पास बेहतर सुरक्षा व्यवस्था है और तमाम सीसीटीवी फुटेज लगे हुए हैं। उसके बावजूद भी बच्चे का अपहरण होने के बाद हत्या कर दी गई और पुलिस एक दाने तक की जांच नहीं कर पाई।
आरोपियों ने कैसे दिया वारदात को अंजाम
अपहरण की पूरी घटना एक सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गई। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि जहां पर गाड़ी रुकी, वहां से कुछ दूरी पर एक दिव्यांग व्यक्ति पहले से खड़ा हुआ है। गाड़ी से उतरकर एक लड़की रेस्टोरेंट तक गई। वहां पर लड़की ने पनीर और रोटी का ऑर्डर दिया। उसके बाद अन्य ऑर्डर के लिए कुणाल को अपने साथ गाड़ी की तरफ लेकर चली गई। गाड़ी में एक तरफ दिव्यांग व्यक्ति और दूसरी तरफ लड़की ने कुणाल को कवर कर लिया। बीच में कुणाल को बैठाकर गाड़ी तेजी के साथ ले गए और इस तरीके से उसका अपहरण हो गया था। अपहरण के 5 दिन बाद लाश बुलंदशहर में मिली।
बड़े अफसरों की कोई जिम्मेदारी नहीं?
इस मामले में पुलिस कमिश्नरेट ने बीटा-दो के थाना प्रभारी मुनिंदर सिंह को लाइन हाजिर कर दिया है। जबकि एसीपी सुशील गंगा प्रसाद को तलब किया गया। अब सवाल खड़ा होता है कि क्या इस मामले में एडिशनल डीसीपी और डीसीपी की कोई जिम्मेदारी नहीं है। अगर किसी का अपहरण के बाद उसकी हत्या हो जाती है तो उच्च अफसरों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती या फिर उनको बचाना बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।