Greater Noida Allottee Got Justice On The Orders Of Up Rera
यूपी रेरा के आदेश पर ग्रेटर नोएडा के व्यक्ति को मिला इंसाफ : प्रोजेक्ट पर कब्जा मिलने में हुई देरी तो बिल्डर ने आवंटी को दिए 24 लाख रुपए, फ्लैट भी होगा अपना
Greater Noida News : यूपी रेरा के प्रयासों से प्रोमोटर ‘मेसर्स वेव वन प्राइवेट लिमिटेड’ की गौतमबुद्ध नगर स्थित 'वेव वन' परियोजना के आवंटी “सुधांशु भटनागर और अंयुता धीर" के पक्ष में फैसला आया है। प्रोमोटर ने आवंटी को इकाई का कब्जा देने में हुई देरी के ब्याज स्वरूप लगभग रुपए 13 लाख दिए है। इसके अलावा उयूपी रेरा ने प्रोमोटर को आवंटी से इकाई के लिए प्राप्त होने वाले शेष भुगतान लगभग 8 लाख 86 हजार रुपए की मांग का समायोजन भी विलम्ब अवधि के ब्याज में कराया। जिससे आवंटी की अन्य देनदारी शून्य करा दी गई। एग्रीमेन्ट फॉर सेल के अनुरूप इकाई का कब्जा भी सुनिश्चित कराया।
अब तक 588 करोड़ का रिफंड हुआ
वसूली प्रमाण पत्र जारी होने के बाद प्रोमोटर ने आवंटी के समक्ष समझौते का प्रस्ताव रखा था। जिसके अनुसार इकाई का कब्जा और वसूली प्रमाण पत्र की राशि देना शामिल था। आवंटी ने प्रस्ताव स्वीकार करते हुए समझौता पत्र हस्ताक्षर कर लिया। प्रोमोटर ने इसकी एक प्रतिलिपि प्राधिकरण में जमा कर दी। लगभग 7 वर्ष बाद इकाई का कब्जा और 24 लाख रुपए का ब्याज मिलने से आवंटी काफी खुश है। यूपी रेरा से जारी वसूली प्रमाण पत्रों के सापेक्ष उभयपक्षों द्वारा आपसी समझौते के माध्यम से 1545 से ज्यादा मामलों में लगभग रुपए 588 करोड़ की रिफण्ड के आदेशों का समाधान करा दिया गया है।
आवंटी को वर्ष 2016 तक कब्जा प्राप्त होना था, लेकिन
गौतमबुद्ध नगर के निवासी आवंटी सुधांशु भटनागर और अंयुता धीर ने प्रोमोटर को व्यावसायिक परियोजना वेव वन की एक इकाई के लिए वर्ष 2021 में 44 लाख 21 हजार रुपए दिए थे। इकाई की कुल कीमत 50 लाख 30 हजार रुपए थी। एग्रीमेन्ट फॉर सेल के अनुसार आवंटी को वर्ष 2016 तक कब्जा प्राप्त होना था, लेकिन तय समय तक इकाई का कब्जा न मिलने और संतोषजनक निर्माण प्राप्त न होने की स्थिति में आवंटी ने 2021 में यूपी रेरा में शिकायत की। जिसकी सुनवाई में पारित आदेश आवंटी के पक्ष में आया था। जिसका अनुपलान प्रोमोटर द्वारा किया जाना था।
आवंटी ने ऑनलाइन की थी शिकायत
आवंटी ने पारित आदेश का पालन करवाने के लिए पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाई। प्रोमोटर को आदेश के अनुपालन के लिए समय भी दिया गया था। इसी बीच प्रोमोटर द्वारा परियोजना पूर्ण होने के उपरान्त आवंटी को कब्जा देने का प्रस्ताव दिया था। मामले में सुनवाई करते हुए प्राधिकरण ने प्रोमोटर को इकाई का अविलम्ब कब्जा देने और विलम्ब अवधि के ब्याज स्वरूप लगभग रुपए 24 लाख देने का आदेश दिया था। जिसकी वसूली के लिए प्रमाण पत्र जारी किया