ग्रेटर नोएडा से बड़ी खबर : शहर की सबसे बड़ी कंपनी 13 अप्रैल को होगी नीलाम, 10 हजार लोगों का भविष्य तय होगा

Tricity Today | देवू मोटर्स



Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा शहर की सबसे बड़ी और पुरानी कंपनी देवू मोटर्स जल्दी नीलाम होने वाली है। हालांकि, यह 21 वर्षों से बन्द पड़ी हुई है। इस कंपनी पर भारी-भरकम कर्ज है। जिसकी वसूली के लिए इसकी जमीन नीलम की जा रही है। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) ने देवू मोटर्स कंपनी पर 777 करोड़ रुपये बकाया का दावा किया है। अब यूपीसीडा ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) मुंबई को पत्र भेजकर यह पैसा मांगा है। दूसरी तरफ 20 वर्षों से अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे 10 हजार कर्मचारियों का भविष्य तय होगा।

ग्रेटर नोएडा की पहचान थी देवू मोटर्स कंपनी
दक्षिण कोरिया की ऑटो मोबाइल कंपनी देवू मोटर्स 21 साल पहले वर्ष 2002 में देश से अपना कारोबार समेट चुकी है। इसका एक प्लांट ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर में यूपीसीडा के औद्योगिक क्षेत्र साइट-ए में था। यह कंपनी 204 एकड़ जमीन पर थी। यह जमीन यूपीसीडा ने आवंटित की थी। अथॉरिटी का बकाया नहीं जमा करने पर अब इसकी जमीन नीलाम की जाएगी। 18 अप्रैल को ई-नीलामी होगी। अपना पैसा वापस लेने के लिए यूपीसीडा ने डीआरटी को चिट्ठी लिखी है। ऋण अधिकारी सुनील कुमार मेश्राम ने नीलामी की सूचना जारी की है। कंपनी से करीब 1975.34 करोड़ रुपये वसूल किए जाने हैं। यह वसूली कंपनी की 204 एकड़ जमीन नीलाम करके की जाएगी।

310 करोड़ से आगे शुरू होगी नीलामी में बोली
जमीन का आरक्षित मूल्य 310 करोड़ रुपये रखा गया है। बोली में कम से कम तीन-तीन करोड़ से धनराशि की वृद्धि की जाएगी। सफल बोलीदाता को 15 दिन में जमीन की कीमत का पूरा भुगतान करना होगा। इसमें बोलीदाताओं को 13 अप्रैल तक आवेदन करना होगा। दूसरी तरफ यूपीसीडा को देवू मोटर्स से करीब 434.05 करोड़ रुपये की वसूली करनी है। इसका दावा विचाराधीन है। 2012 में यूपीएसआईडीसी ने यह दावा किया था। अब यह बकाया काफी बढ़ चुका है। यूपीसीडा ने गत तीन मार्च को ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) को पत्र भेजा है। पत्र में बताया गया है कि 31 मार्च 2023 तक 7,77,84,86,346 रुपये बकाया हैं। अगर इसके बाद भुगतान किया जाता है तो एक अप्रैल से अतिरिक्त ब्याज देना होगा। इसके अलावा खरीदने वाले को भूखंड अपने नाम पर दर्ज कराने के लिए हस्तांतरण शुल्क भी जमा करना होगा। इसके बाद लीज डीड (रजिस्ट्री) होगी।

वाटर टैंक गिरने से कंपनी में हुआ था बड़ा हादसा
देव मोटर्स में काम कर चुके पुराने कर्मचारी बताते हैं कि कंपनी में 1997 में बड़ा हादसा हो गया था। इसमें सात लोगों की मौत हो गई थी। कंपनी में लगी पानी की टंकी गिरने से हादसा हुआ था। यूपीसीडा के रीजनल मैनेजर अनिल शर्मा ने कहा, "ग्रेटर नोएडा की देवू मोटर्स कंपनी पर यूपीसीडा का 777 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। इसके लिए ऋण वसूली न्यायाधिकरण मुंबई को पत्र भेजा गया है। ताकि बकाये की वसूली हो सके। डीआरटी ने कंपनी को नीलाम करने की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू की है।" आपको बता दें कि देवू मोटर्स को नीलाम करने के लिए अगस्त 2020 में भी कोशिश की गई थी, लेकिन उस वक्त उचित खरीदार नहीं मिलने के कारण नीलामी नहीं हो पाई थी।

कंपनी का 19 वर्षों का उतार-चढ़ाव वाला सफरनामा
इस कंपनी के फाइनेंस डिपार्टमेंट में काम करने वाले सुभाष शर्मा ने बताया कि वर्ष 1983 में डीसीएम और टोयोटा ने मिलकर जॉइंट वेंचर बनाया था। इसी तरह निशान-ओलविन, आयशर-मितशुबिशी और स्वराज-माज़दा ने जॉइंट वेंचर बनाए थे। यह भारत में जापानी ऑटोमोबाइल तकनीक की बड़ी क्रांति थी। डीसीएम-टोयोटा ने वर्ष 1985 में सूरजपुर में प्लांट लगाकर कमर्शियल वाहनों का उत्पादन शुरू कर दिया, लेकिन कंपनी को खास सफलता नहीं मिली। सुभाष शर्मा आगे बताते हैं, "वर्ष 1987 में सोमालिया से बड़ा आर्डर मिला। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने 3 सितंबर 1987 को प्लांट का दौरा किया था। वर्ष 1994-95 में देवू मोटर्स ने इस कंपनी में 85% निवेश किया। टोयोटा-डीसीएम के पास केवल 15% शेयर रहे। करीब दो साल बाद यह कंपनी पूरी तरह देवू मोटर्स इंडिया लिमिटेड बन गई। सबसे सीएलो कार बनी। जो सुपरहिट रही। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस कार की डिलीवरी पर वेटिंग और ब्लैक था। इसी तरह मटीज कार भारत में बहुत मशहूर हुई।"

कोरिया में आर्थिक संकट और राजनीतिक बदलाव पड़ा भारी
सुभाष शर्मा के मुताबिक, वर्ष 1998-99 में कोरिया में बड़ा आर्थिक संकट और राजनीतिक बदलाव आया। इस कंपनी के चेयरमैन किम वू चुंग की समर्थक पार्टी चुनाव हार गई थी। कोरियन सरकार ने आर्थिक संकट के मद्देनजर कंपनी से सरकारी निवेश वापस मांग लिया। लिहाजा, देवू मोटर्स ने कंपनियां बेचने का ऐलान कर दिया। तब अमेरिकन कंपनी जनरल मोटर्स ने देवू मोटर्स को पूरी दुनिया में टेकओवर कर लिया। संकट तब और बढ़ गया जब जनरल मोटर्स ने पूरी दुनिया के प्लांट तो खरीद लिए लेकिन ग्रेटर नोएडा का प्लांट खरीदने से इनकार कर दिया। दरअसल, यह प्लांट सबसे ज्यादा फाइनेंशियल लॉसेज, लेबर लाइबिलिटी और टेक्निकल टेरमोइल में था। इस तरह ग्रेटर नोएडा की सबसे बड़ी कंपनी बन्द हो गई।

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