ग्रेटर नोएडा की खेल उम्मीदों पर ग्रहण : स्पोर्ट्स कांप्लेक्स पैदा कर सकता था हरियाणा जैसे एथलीट, लेकिन घटिया प्रबंधन से बार-बार उठानी पड़ी शर्मिंदगी

Tricity Today | ग्रेटर नोएडा का स्टेडियम



Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के दिल में बसा शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कांप्लेक्स शानदार लोकेशन और मूल ढांचे की वजह से बेमिसाल है। यदि सब-कुछ योजना के मुताबिक चलता तो अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजन कर जिले का नाम देश भर में चमकाया जा सकता था। इससे अलग पहचान मिलती और शानदार मार्केटिंग भी हो जाती। इसका फायदा शहर में स्पोर्ट्स कल्चर तैयार करने में होता। इससे हरियाणा की तरह दिग्गज खिलाड़ियों की पूरी खेप पैदा की जा सकती थी। अफसोस की बात है कि बार-बार गलतियों से इसका उलटा होता चला गया। अब यह अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच टेस्ट मैच का सफल आयोजन नहीं करा पाने के कारण फजीहत और दुनिया भर में मजाक का पात्र बन गया है। 


हरियाणा की तरह बन सकती थी स्पोर्ट्स कल्चर
ग्रेटर नोएडा में युवा खिलाड़ियों की पीढ़ी तैयार की जा सकती थी। ठीक हरियाणा की तरह, जहां खेल सबसे पसंदीदा प्रोफेशन बन चुका है। खेल, खिलाड़ियों और कोच के साथ सिस्टम, प्रशासन, भारतीय खेल प्राधिकरण सब एकदूसरे के मददगार हैं। यही कारण है कि हरियाणा के खिलाड़ियों के नाम कई ओलंपिक पदक हैं। स्थानीय निवासियों की शारीरिक बनावट और जीन भी ठीक वैसा ही है, लेकिन यहां खेल सिस्टम का घोर अभाव है। दिल्ली के नजदीक होने से नोएडा और ग्रेटर नोएडा को बड़ा फायदा मिल सकता है लेकिन विजन और योजना के अभाव से पिछले अच्छे काम भी मिट्टी में मिल चुके हैं। 

बदइंतजामी और कुप्रबंधन हावी 
सही रखरखाव न होने से बेशकीमती खेल ढांचा कौड़ियों के भाव का हो गया। हाल का टेस्ट मैच पहला ऐसा मामला नहीं है जब किरकिरी हो रही हो।  ग्रेटर नोएडा स्टेडियम के कुप्रबंधन के चलते पहले भी ऐसा कई बार हो चुका। गलतियों का खामियाजा इस स्टेडियम को बीसीसीआई का निलंबन झेलकर चुकाना पड़ा था।
 
दलीप ट्रॉफी के दौरान बंद हो गई थी लाइट्स
एक समय था जब बीसीसीआई इस स्टेडियम में रुचि ले रहा था। यूपीसीए के प्रयासों से इसे 2016 में दलीप ट्रॉफी की मेजबानी मिली। डे-नाइट मैच के दौरान अचानक बंद हुई थीं हो गई। 40 मिनट तक इमरजेंसी लाइट से काम चलाना पड़ा और मैच रुका रहा। इंजीनियर्स ने किसी तरह लाइट्स ठीक की। उस टूर्नामेंट में रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा सरीखे तमाम बड़े क्रिकेट सितारे खेलने आए थे।

बीसीसीआई की पाबंदी के बाद फिर नहीं उबरे
2017 में नॉर्थ इंडिया प्रीमियर लीग में सट्टेबाजी के आरोपों के बीच बीसीसीआई ने स्टेडियम पर पाबंदी लगा दी थी। खेल संस्था ने प्रबंधन को टूनामेंट कराने से मना किया था। इसके बावजूद टूर्नामेंट कराया गया। भारतीय बोर्ड की पाबंदी सबसे बड़ा झटका था। इसके बाद उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने स्टेडियम में रुचि लेना बंद कर दिया। इसके बाद इसे कोई टूर्नामेंट नहीं मिला। अफगानिस्तान टीम का घरेलू मैदान बनने से फिर बड़ी उम्मीद जगी थी पर अब यह मौका भी शायद हाथ से निकल गया है। 

ओपन टेलेंट हंट में अव्यवस्थाएं हावी
पिछले हफ्ते खत्म कई दिन चली ओपन टेलेंट हंट बॉक्सिंग प्रतियोगिता के दौरान भी बदइंजामी का आलम था। भाग लेने आए बच्चों के लिए न पानी था और न साफ शौचालय। टॉयलेट्स में कुछ घंटों में ही पानी खत्म हो गया था। इसके बाद स्टेडियम में मौजूद एक हजार से ज्यादा लोगों का क्या हाल हुआ होगा अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। खाने-पीने के इंतजाम भी पर्याप्त नहीं थे। यहां तक कि शुरू में बॉक्सिंग रिंग भी एक ही था। मीडिया रिपोर्ट्स के बाद चार रिंग लगे। उसमें भी रात के दो बजे तक भी मुकाबले पूरे नहीं हो पाते थे।

पीवी सिंधु की बैडमिंटन एकेडमी गई
इंडोर खेल परिसर में दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु की बैडमिंटन एकेडमी शहर की शान थी। उनके कोच पुलेला गोपीचंद इसे खुद देखते थे, लेकिन इसे भी जाने दिया गया। यह शहर के युवाओं के लिए बेहतरीन मौका था। इसके बाद प्रकाश पादुकोण ने एकेडमी में रुचि दिखाई पर इसकी क्या स्थिति है फिलहाल पता नहीं। 

आरपी, युवराज की क्रिकेट एकेडमी ठंडे बस्ते में
उत्तर प्रदेश के स्टार क्रिकेटर रहे आरपी सिंह ने यहां क्रिकेट एकेडमी चलाने में रुचि दिखाई। उभरते गेंदबाजों के लिए यह अच्छा प्लेटफॉर्म था। युवराज सिंह भी यहां कोचिंग सेंटर खोलने के इच्छुक थे लेकिन यह योजना भी परवान चढ़ते-चढ़ते रह गई।

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