Greater Noida West : ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी में अवैध बिल्डिंग तो टूटी ही है, लेकिन उनके नीचे बैंकों के 1500 करोड़ रुपये दब गए हैं। इन पैसों को लेना अब आसान नहीं है। निवासियों ने शाहबेरी में घर खरीदने के लिए करीब 15 बैंकों से लोन लिया था, लेकिन जब इस बात का पता चला कि शाहबेरी अवैध है तो लोगों ने बैंक को EMI देना बंद कर दिया। बताया जाता है कि फजी तरीके से लोन देने के लिए आर्किटेक्ट और लीगल रिपोर्ट बनाई गई।
घर खरीदारों ने कोर्ट को बताई सच्चाई
दरअसल, पीड़ित घर खरीदारों ने हाई कोर्ट में रिट दाखिल की है। रिपोर्ट में निवेशकों ने कहा है कि बैंक के अलावा बिल्डर और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की लापरवाही से अवैध घरों को उन्होंने खरीदा है। अवैध घर खरीदने के लिए बैंक ने उनको लोन दिया था। इसी वजह से घर खरीदने को विश्वास हुआ कि जब बैंक लोन दे सकता है तो पूरी परियोजना सही और वैध होगी। अब ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी इस परियोजना को अवैध बता रही है। जिसके बाद सीलिंग के अलावा मुकदमा दर्ज भी करवाए जा रहे हैं। इसमें साफतौर पर बैंक की गलती भी है। अगर बैंक ठीक तरीके से जांच पड़ताल करके लोन देता तो सभी निवेशक अवैध शाहबेरी में घर खरीदने से बच जाते और बैंक का पैसा भी नहीं डूबता।
क्या है शाहबेरी कांड
आपको बता दें कि शाहबेरी में बिना ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से नक्शे पास करवाए अवैध निर्माण किया गया। बीते 17 जुलाई 2018 को शाहबेरी में दो अवैध इमारत गिर गई थी, मलबे के नीचे दबने से 9 लोगों की मौत हो गई थी। वह मामला उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पहुंचा तो जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन किया गया। जिसके माध्यम से पता चला कि शाहबेरी में अवैध बिल्डिंग बनी हुई थी। इस मामले में अभी तक 50 से ज्यादा लोगों को जेल भेजा जा चुका है और कार्रवाई भी जारी है।