'प्रोत्साहन चिरैया' ग्रेटर नोएडा के एक गांव में लड़कियों और महिलाओं को कैसे मिली नई राह, पढ़िए पॉजिटिव न्यूज़

Tricity Today | महिलाओं को मिली नई राह



भागदौड़ और हायतौबा से भरपूर खबरों के बीच कुछ खबरें सुकून देने वाली भी होती हैं। ऐसी ही एक सुकून देने वाली खबर ग्रेटर नोएडा के छोटे से गांव नीमका शाहजहांपुर से हम आपके लिए लेकर आए हैं। नीमका शाहजहांपुर गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ.महेश शर्मा का "सांसद आदर्श ग्राम" भी है। जब सांसद ने इस गांव को गोद लिया था तो प्रोजेक्ट बनाने और स्टडी करने की जिम्मेदारी ग्रेटर नोएडा के बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (बिमटेक) को सौंपी गई थी। अब"सांसद आदर्श ग्राम योजना का काम तो खत्म हो चुका है, लेकिन इसी बहाने इस गांव की लड़कियों, महिलाओं और युवकों का रिश्ता बिमटेक फाउंडेशन से बन गया। इस रिश्ते ने दूरदराज के इस गांव की लड़कियों और महिलाओं को एक नई राह दिखाई है।



यह कहानी करीब 5 साल पहले वर्ष 2015 से शुरू हुई। सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए बिरला इंस्टिट्यूट ने नीमका शाहजहांपुर में सर्वे शुरू किया। इसी दौरान बिमटेक फाउंडेशन और रंगनाथन सोसायटी को लगा कि गांव की महिलाओं, युवतियों और युवकों को आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है। बिमटेक फाउंडेशन के सीईओ ऋषि तिवारी बताते हैं, "हम लोगों ने गांव की लड़कियों और महिलाओं को सॉफ्ट स्किल सिखाने की योजना बनाई। जिसमें सबसे पहले शिक्षित और अशिक्षित महिलाओं की लिस्ट बनाई। गांव में सभी लड़कियां पढ़ी लिखी हैं। जो महिलाएं पढ़ी लिखी नहीं थीं, उन्हें साक्षर बनाया गया। इसके बाद उनके लिए कंप्यूटर प्रशिक्षण, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई और सॉफ्ट टॉय बनाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ।" ऋषि तिवारी आकर बताते हैं, "अब तक 10 बैच पूरे हो चुके हैं। जिनमें 500 लड़कियों, महिलाओं और युवकों ने प्रशिक्षण हासिल किया है। शनिवार को कंप्यूटर ट्रेनिंग के 3 बैच पास आउट हुए हैं। इन 90 ट्रेनी को सर्टिफिकेट दिए गए हैं।"



ऋषि तिवारी बताते हैं कि यह प्रोजेक्ट विशेष रूप से लड़कियों के लिए शुरू किया गया था। लिहाजा, इसका नाम "प्रोत्साहन चिरैया" रखा गया। चिरैया का मतलब चिड़िया होता है। चिड़िया हंसी-खुशी और फेमिनिज्म का प्रतीक है। इस प्रोजेक्ट के बहुत शानदार परिणाम सामने आए हैं। "प्रोत्साहन चिरैया" का प्रशिक्षण केंद्र गांव के प्राइमरी स्कूल में स्थापित किया गया है। इस केंद्र से निकली लड़कियां नौकरी हासिल कर रही हैं। कोरोना काल के लॉकडाउन पीरियड के दौरान जब सभी घरों में थे, उस समय का कई लड़कियों ने अच्छा उपयोग किया है। चार लड़कियों के एक ग्रुप ने 22,000 मास्क सीलकर बिमटेक फाउंडेशन और रंगनाथन सोसाइटी को दिए। हमारी दोनों संस्थाओं ने कंपनियोन और बाजार से संपर्क करके मास्क बेचने में मदद की। जिसकी बदौलत अब तक दो लाख रुपये इन लड़कियों के बैंक खातों में पहुंचाए जा चुके हैं।


केंद्र से निकलकर अपने पैरों पर खड़ी हो रही है लड़कियां
प्रशिक्षण केंद्र की संयोजिका रेनू सिंह ने कहा, "शुरू में यह केंद्र केवल लड़कियों के लिए था, लेकिन बाद में गांव के लोगों ने युवकों को भी प्रशिक्षण देने की मांग की। इस आधार पर केंद्र में युवकों को भी कंप्यूटर ट्रेनिंग दी जा रही है। सबसे पहले बैच में प्रशिक्षित किए गए पड़ोसी गांव खवासपुर के युवक हरेंद्र दिवाकर अब इस केंद्र में बतौर प्रशिक्षक काम कर रहे हैं। इसके अलावा गांव की महिलाएं सिलाई और कढ़ाई में पारंगत हो गई हैं। उनके बनाए गए कपड़े तेजी के साथ मार्केट पकड़ रहे हैं। केंद्र में पढ़ने आने वाली लड़कियां प्रोत्साहित होकर प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुई हैं। जिसके अच्छे परिणाम मिले हैं। गांव की एक युवती इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस में भर्ती हो गई है। जिसकी जल्दी ही चंडीगढ़ के भानु ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग शुरू होगी। कुल मिलाकर केंद्र में आने वाली लड़कियां समाज के बाकी हिस्से के लिए नजीर बन गई हैं।


आईपीएस सुजाता सिंह से मिली फोर्स में जाने की प्रेरणा
इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस में नौकरी हासिल करने वाली युवती बबली भट्ट का कहना है कि उन्हें गौतमबुद्ध नगर में बतौर एसपी देहात तैनात रहीं आईपीएस अफसर सुजाता सिंह से फोर्स में जाने की प्रेरणा मिली है। बबली का कहना है कि गांव के प्राइमरी स्कूल में बिमटेक फाउंडेशन के प्रशिक्षण केंद्र में लड़कियों से संवाद करने सुजाता सिंह आई थीं। वह भी उस कार्यक्रम में शामिल हुई थीं। सुजाता सिंह को देखकर उन्हें भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। बबली भट्ट लगातार प्रशिक्षण केंद्र पर आती रहती हैं। स्टाफ का सहयोग करती हैं। उन्होंने भी कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र पर ही सीखा है। बबली का कहना है कि वह इसी महीने चंडीगढ़ ट्रेनिंग पर जा रही हैं। बबली कहती है कि इस प्रशिक्षण केंद्र की बदौलत हमारे गांव के लोगों की लड़कियों के प्रति सोच बदली है।"


अपने गांव पर गर्व कीजिए: राकेश त्यागी

शनिवार को प्रशिक्षण केंद्र पर कंप्यूटर ट्रेनिंग के पासआउट बच्चों को सर्टिफिकेट वितरित किए गए। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि न्यूज़ पोर्टल ट्राईसिटी टुडे के संपादक और समाजसेवी राकेश त्यागी शामिल हुए। इस मौके पर राकेश त्यागी ने गांव के बच्चों को कहा, "शहर की तरफ भागने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है। बिमटेक फाउंडेशन और रंगनाथन सोसाइटी ने गांव में ही रहकर अपना जीवन संवारने की राह दिखाई है। इस पर आगे बढ़कर बड़ी उपलब्धि हासिल की जा सकती है।" राकेश त्यागी ने आगे कहा, "राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि गांवों के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। बिमटेक फाउंडेशन ने राष्ट्रपिता के इस मूल सिद्धांत को समझकर ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसे प्रोजेक्ट और दूसरे गांवों में भी संचालित होने चाहिए।"


इस प्रोजेक्ट ने सपनों को साकार किया है: डॉ.हरिवंश चतुर्वेदी

"प्रोत्साहन चिरैया" की परिकल्पना करने वाले बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ.हरिवंश चतुर्वेदी का कहना है, "यह कार्यक्रम बेहद सफल रहा है। इसने हमारे और बच्चियों के सपनों को साकार किया है। एक युवक पढ़कर एक घर को संभाल सकता है, लेकिन एक लड़की पढ़कर दो घरों और तीन पीढ़ियों को संवार देती है। आने वाले दिनों में इस प्रशिक्षण केंद्र का विस्तार किया जाएगा। बिमटेक फाउंडेशन ने ऐसा ही दूसरा केंद्र "मस्ती की पाठशाला" ग्रेटर नोएडा शहर में परी चौक मेट्रो स्टेशन के नीचे संचालित किया है। "मस्ती की पाठशाला" में कामगार, मजदूर, रेहड़ी-पटरी वालों के बच्चों और दुकानों पर काम करने वाले बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।"

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