Greater Noida Desk : त्योहारों के समय बाजार में नकली और मिलावटी सामानों की बाढ़ आ जाती है। आमजन जल्दी इस खेल को पहचान नहीं पाते और नुकसानदेह उत्पाद क्रय कर लेते हैं। खाद्य सामग्री में मिलावट तो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक साबित हो सकती है। खाद्य विभाग की टीमें छापे डालती हैं, लेकिन मिलावट का खेल वर्ष दर वर्ष जारी रहता है। इसी प्रकार नकली उत्पादों की सूचना मिलने पर पुलिस कार्रवाई करती है, फिर भी इस पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाती।
वेस्ट यूपी में 269 स्कूलों के बच्चों को प्रशिक्षित किया
इसी कारण भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) ने अनूठी पहल आरंभ की है, जिससे ग्राहकों को गुमराह कर नकली और मिलावटी सामान बेचना आसान नहीं होगा। बीआइएस के इस अभियान में योद्धा स्कूली बच्चे बने हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 9 जिलों में 269 स्कूलों के बच्चों को बीआइएस द्वारा नकली और मिलावटी उत्पादों की पहचान करने में प्रशिक्षित किया गया है।
सबसे महत्वपूर्ण बातें
लाल मिर्च पाउडर को पानी में डालने पर अगर रंग पानी में घुले और बुरादा जैसा तैरने लगे तो वह नकली है। घी में दो चम्मच हाइट्रोक्लोरिक एसिड और दो चम्मच चीनी में मिलाएं, अगर यह मिश्रण लाल रंग का हो जा ता है इसमें मिलावट है। दूध में पानी, मिल्क पाउडर या अन्य केमिकल की मिलावट की पहचान करने के लिए उसमें उंगली डालकर बाहर निकालें। अंगुली में दूध चिपकता है तो वह शुद्ध है। अगर दूध न चिपके तो दूध में मिलावट हो सकती है। सफेद कागज को हल्का भिगोकर उस पर चाय के दाने डाल दें। अगर कागज में रंग लग जाए तो वह चाय नकली है। असली चाय की पत्ती बिना गर्म पानी के रंग नहीं छोड़ती।
कैसे होगी सही प्रोडेक्ट की जानकारी
कुछ नकली सामान बेचने वाली कंपनियां मशहूर ब्रांड के नाम को कापी कर लेती हैं। वह स्पेलिंग के एक लेटर को हटा देती हैं। इससे वह कानूनी कार्रवाई से बच जाती हैं। ऑनलाइन शापिंग करने पर वेबसाइट की जानकारी करना जरूरी है। नकली उत्पाद में असली पार्ट्स की जगह नकली और घटिया पार्ट्स लगे रहते हैं। उत्पाद में घटिया प्लास्टिक, चमड़े की जगह रेक्सीन, सस्ता ग्लास, घटिया कपड़े का प्रयोग कर दिया जाता है। सामान की बनावट में अंतर होता है। इसे छूकर, देखकर महसूस कर सकते हैं।
ऐसे होगी असली और नकली की पहचान
कंपनी उत्पाद पर सीरियल नंबर, कोड, मॉडल नंबर, ट्रेडमार्क और पेटेंट संबंधी विवरण लिखती है। कुछ लोग नकली सामान पर भी आइएसआइ मार्क लगा लेते हैं। उत्पाद पर सार्टिफिकेशन मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस (सीएमएल) नंबर लिखा होता है और हालमार्किग यूनिक आइडी के नंबर को बीआइएस (भारत मानक ब्यूरो) केयर एप पर डालने से उस उत्पाद की पूरी जानकारी सामने आ जाती है। यह बहुत आसान है, लेकिन 90 फीसदी लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।