IDF World Dairy Summit : नरेंद्र मोदी बोले- भारतीय डेयरी उद्योग का नेतृत्व महिलाओं के हाथों में हैं, पिछले कुछ वक्त में क्रांतिकारी बदलाव हुए

Tricity Today | आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट में पीएम नरेंद्र मोदी



IDF World Dairy Summit 2022 : भारतीय डेयरी सेक्टर का नेतृत्व महिलाओं के हाथों में है। इसकी 70% से ज्यादा वर्कफोर्स महिलाएं हैं। हम इंडियन डेयरी सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए तकनीक, डिजिटलाइजेशन, और यूनिवर्सल वैक्सीनेशन जैसे बड़े कदम उठा रहे हैं। महज सात-आठ वर्षों में भारत ने दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। सोमवार को ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपोमार्ट सेंटर में आयोजित इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन की वर्ल्ड डेयरी सम्मिट को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बात कही। उन्होंने कहा, "डेयरी सेक्टर किसानों की आय बढ़ाने और भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।"

गरीब देशों के लिए अनुकरणीय है इंडियन डेयरी मॉडल
नरेंद्र मोदी ने कहा, "डेयरी सेक्टर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ना केवल गति देता है बल्कि दुनियाभर में करोड़ों लोगों की आजीविका का भी प्रमुख साधन है। हमने आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। आज के इस आयोजन को भारत के 75 लाख किसान और ग्रामीण देख रहे हैं। हमारे पशुधन और दूध से जुड़े व्यवसाय की कुछ विशेषताएं हैं। इस समिट में दूसरे देशों से आए एक्सपर्ट को इनके बारे में चाहता हूं। विकसित देशों से अलग भारत में डेयरी सेक्टर के असली ताकत छोटे किसान हैं। भारत के डेयरी सेक्टर की पहचान मास प्रोडक्शन नहीं, प्रोडक्शन बाय मासेस है। भारत में डेयरी सेक्टर से जुड़े अधिकांश किसानों के पास एक, दो या तीन पशु हैं। इन छोटे किसानों के परिश्रम और उनके पशुधन की वजह से आज भारत पूरे विश्व में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश है। आज भारत के 8 करोड़ से ज्यादा परिवारों को यह सेक्टर रोजगार मुहैया करवाता है। भारत के डेयरी सेक्टर की यूनिकनेस अन्य जगह पर देखने को नहीं मिलेगी। मैं इस बात का जिक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि विश्व के अनेक गरीब देशों के किसानों के लिए यह बेहतरीन बिजनेस मॉडल बन सकता है।"

दुनिया के काम आ सकता है हमारा डेयरी कोऑपरेटिव
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "भारत के डेयरी सेक्टर को एक और जबरदस्त सहयोग मिलता है। यह दूसरी विशेषता भारत का डेयरी कॉपरेटिव सिस्टम है। आज भारत में डेयरी कोऑपरेटिव का बहुत विशाल नेटवर्क है। जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है। डेयरी कोऑपरेटिव देश के दो लाख से ज्यादा गांवों में करीब-करीब दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध जमा करते हैं। दूध को ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में कोई मिडलमैन नहीं होता है। ग्राहकों से जो पैसा मिलता है, उसका 70% से ज्यादा सीधा किसानों को जाता है। मैं अगर गुजरात की बात करूं, यह सारे पैसे सीधे महिलाओं के बैंक अकाउंट में जाते हैं। पूरे विश्व में इतना ज्यादा सटीक सिस्टम किसी और देश में नहीं है। अब तो भारत में हो रही डिजिटल क्रांति की वजह से डेयरी सेक्टर में ज्यादातर लेनदेन बहुत तेजी से होने लगा है। मैं समझता हूं भारत की डेयरी कोऑपरेटिव्स की स्टडी और उनके बारे में जानकारी पूरी दुनिया में दी जानी चाहिए। डेयरी सेक्टर में डिवेलप किया गया यह सिस्टम पूरी दुनिया के काम आ सकता है।"

तीसरी बड़ी ताकत हमारी इंडीजीनस स्पीशीज
प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, "भारत के डेयरी सेक्टर की तीसरी बड़ी ताकत हमारे पशुओं की इंडीजीनस स्पीशीज हैं। भारत के पास गायों और भैंसों की स्थानीय ब्रीड हैं। वह कठिन से कठिन मौसम में भी सरवाइव करने के लिए जानी जाती हैं। भारत में भैंस की मुर्रा, मेहसाणा और कई दूसरी नस्ल हैं। यह नस्लें आज भी अपने-अपने तरीके से विकसित हो रही हैं। इसी तरह गाय की गिर, गाय, साहिवाल, सांची, कांकेरेट और हरियाणा नस्लें हैं, जो भारत के डेयरी सेक्टर को यूनिक बनाती हैं। भारतीय नस्ल के ज्यादातर पशु क्लाइमेट कंफर्टेबल होते हैं। उतने ही एडजस्टिंग भी होते हैं।"

वूमन पॉवर को प्रचारित करने की जरूरत
पीएम ने डेयरी सेक्टर और वीमेन वर्कफोर्स के संबंध पर कहा, "अभी तक मैंने आपको भारतीय डेयरी सेक्टर की तीन यूनीकनेस बताई हैं। इनमें छोटे किसानों की शक्ति, कोऑपरेटिव की शक्ति और भारतीय पशुओं की नस्ल शक्ति से अलग ही ताकत मिलती है। भारतीय डेयरी सेक्टर की चौथी यूनिकनेस की उतनी चर्चा नहीं हो पाती है। उसको उतना रिकॉग्निशन नहीं मिला है, जितना मिलना चाहिए। विदेश से आए हमारे मेहमान संभवत यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि भारत के डेयरी सेक्टर में वुमन पावर 70% वर्कफोर्स के रूप में काम कर रहा है। इंडियन डेयरी सेक्टर 7.5 लाख करोड़ रुपए का है। जिसकी वैल्यू धान और गेहूं के कुल प्रोडक्शन से भी ज्यादा है। उसकी ड्राइविंग फोर्स भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं हैं। हमारी माताएं, बहनें और बेटियां हैं। इंडियन डेयरी सेक्टर की वूमन पावर को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने की आवश्यकता है।"

आपको गुजरात की बन्नी भैंस वहां की परिस्थितियों से ऐसी कुल मिल गई है देखकर हैरानी होती है दिन में बहुत भयंकर धूप होती है बहुत ज्यादा गर्मी होती है परंतु यह बन्नी भैंस रात के कम तापमान में घास चरने के लिए निकलती है विदेश से आए हमारे साथी यह जानकर चौंक जाएंगे उस समय बन्नी भैंस के साथ कोई उसका पालक और किसान उसके साथ नहीं होता है भैंस ने गांव के पास चला गांव में खुली जाती हैं रेगिस्तान में पानी कम होता है इसलिए बहुत कम पानी में भी बन्नी बहस का काम चल जाता है बन्नी भैंस रात में बस 15 किलोमीटर दूर जाकर जांच करने के बाद भी सुबह अपने आप खुद घर चली आती है ऐसा बहुत कम सुनने में आता है किसी की बनी भैंस खो गई हो या किसी दूसरे घर में चली गई हो मैंने आपको सिर्फ बन्नी भैंस का निर्धारण किया है लेकिन

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