अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के वरिष्ठ कार्यकर्ता और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष डॉक्टर केसर सिंह ने जेवर से विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह को एक पत्र लिखा है। केसर सिंह ने गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय से जुड़ी तीन समस्याओं की जानकारी विधायक को दी है। इन समस्याओं का समाधान करने की मांग पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने की है। आपको बता दें कि जेवर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने 24X7 ट्विटर सेवा शुरू की है। जिसके तहत लोग अपनी परेशानियों की जानकारी उन्हें दे सकते हैं।
केसर सिंह ने कहा, "गौतमबुद्ध नगर हिंदी भाषी क्षेत्र है। यहां शिक्षा का स्तर बहुत निम्न है। क्षेत्र के 100 किलोमीटर के दायरे में कोई केंद्रीय या राज्य विश्वविद्यालय नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया और सरकार ने यहां गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। जिसका उद्देश्य किसानों के बच्चों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना था। इस क्षेत्र का शैक्षिक रूप से उन्नयन हो सके, यह मंशा इस विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे थी। लेकिन यह विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के उद्देश्य को पूर्ण करने में असफल प्रतीत हो रहा है।"
केसर सिंह ने धीरेंद्र सिंह को बताया कि इसका कारण मुख्य रूप से पाठ्यक्रमों का संचालन माध्यम है। उच्च फीस और स्थानीय छात्रों के लिए हॉस्टल की अनिवार्यता भी दो परेशानियां हैं। विश्वविद्यालय में विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित हैं। जिनका माध्यम केवल अंग्रेजी है। क्षेत्र के अधिकतर छात्र ग्रामीण परिवेश से आते हैं। उनके पढ़ने लिखने का माध्यम हिंदी है। विश्वविद्यालय में केवल अंग्रेजी माध्यम होने के कारण स्थानीय छात्र यहां प्रवेश नहीं ले पाते हैं। जो प्रवेश लिए भी लेते हैं, वह बीच में ही पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर हैं। विश्वविद्यालय में स्थानीय छात्रों के लिए भी छात्रावास की अनिवार्यता है। जिससे उनके अभिभावकों पर फीस का अतिरिक्त भार बढ़ जाता है। इस कारण इस विश्वविद्यालय का स्थानीय छात्र लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
केसर सिंह ने धीरेंद्र सिंह से निवेदन किया है कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय आपके विधानसभा क्षेत्र में आता है। अतः आपसे निवेदन है कि क्षेत्र की भलाई के लिए इन विषयों का संज्ञान लेने का कष्ट करें। विश्वविद्यालय में संचालित परंपरागत पाठ्यक्रम जैसे बीए, एमए, बीएड और एलएलबी आदि का माध्यम अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी होना चाहिए। स्थानीय छात्रों के लिए छात्रावास की अनिवार्यता खत्म की जानी चाहिए।