ग्रेटर नोएडा तुस्याना भूमि घोटाला : प्राधिकरण के कई अफसर लपेटे में आएंगे, 3 विभागों से एसआईटी को मिले अहम सबूत

Tricity Today | Tusyana land scam



Greater Noida : तुस्याना भूमि घोटाले में जांच के लिए बनी एसआईटी ने जांच तेज कर दी है। एसीआईटी की टीम ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के 6 प्रतिशत आबादी विभाग, प्लानिंग विभाग और लैंड विभाग से कई सबूत जुटाने में लगी हुई है। जल्दी ही बड़ा खुलासा हो सकता है। इस मामले में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के कई बड़े अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं। 

एसआईटी की जांच तेज हुई
इस मामले में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के पूर्व जीएम रहे रविन्द्र तौंगड के खिलाफ तो बाकायदा रिपोर्ट तक दर्ज है। जबकि, प्लानिंग विभाग 6 अधिकारी, एडीएम लैंड विभाग के तत्कालीन एडीएम समेत 6 बाबू, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के 6 प्रतिशत आबादी प्लॉट विभाग के अधिकारी, पूर्व सीईओ ,एसीईओ और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के लैंड विभाग के पटवारी से लेकर तहसीलदार तक लपेटे में आ सकते हैं। एसआईटी की जांच तेजी से चल रही है। 

1998 से पहले हुआ था घोटाला
तुस्याना भूमि घोटाले आज का मामला नहीं है। यह वर्ष 1998 से भी पहले का मामला है। बीते 30 दिसंबर 1998 को 175 बीघा जमीन का न्यायालय को धोखा देकर मुआवजा उठाया था। इसके बाद असली महिला की जगह दूसरी महिला के नाम 6 प्रतिशत आबादी का प्लॉट तुस्याना से उठाकर नॉलेज पार्क-1 में सूरजपुर-कासना मैन रोड पर बेस्ट लोकेशन पर लगा दिया गया। यह जमीन पहले से नर्सरी के लिए आवंटी थी। 6 प्रतिशत आबादी के प्लॉट का लीज प्लान बनाने वाले प्रॉजेक्ट विभाग के भी कई अफसर लपेटे में आ सकते हैं। 

अरबों की जमीन पर हुआ घोटाला
एसआईटी यह जांच में लगी है कि लीज प्लान पहले से जिस जमीन को नर्सरी के लिए अलॉट किया गया, ग्रीन बेल्ट की जमीन थी। उस जमीन पर प्रॉजेक्ट विभाग के अधिकारियों ने लीज प्लान कैसे जारी कर दिया, इस जमीन का मुआवजा उठाने पर तत्कालीन शासकीय अधिवक्ता देवीशरण शर्मा ने एलआरएक्ट संख्या 10 सन 1999 को में आपत्ति दर्ज की थी। यह जमीन ग्राम समाज की सरकारी जमीन थी।

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