BIG BREAKING : डूब क्षेत्र में रजिस्ट्री पर नोएडा डीएम का बड़ा फैसला, हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे

Tricity Today | Noida DM Manish Kumar Verma



Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर से आज की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। जिले के डूब और खादर क्षेत्र में रजिस्ट्री मामले को लेकर गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। इसके लिए जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। शासन से मंजूरी मिलने के तुरंत बाद डीएम सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करेंगे। पूरा मामला डूब क्षेत्र में अवैध कॉलोनियां बसाने के लिए छोटे-छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री से जुड़ा हुआ है।

हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे : मनीष कुमार वर्मा
गौतमबुद्ध नगर के डीएम मनीष कुमार वर्मा ने "ट्राईसिटी टुडे" से खास बातचीत करते हुए बताया कि बीते दिनों हाईकोर्ट ने यमुना और हिंडन के खादर में रुकी हुई रजिस्ट्री को वापस खोल दिया है। हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन के आदेश को रोक दिया है और रजिस्ट्री पर लगी रोक को हटा दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश शासन को चिट्ठी लिखी है। वहां से मंजूरी मिलने के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट चले जाएंगे, जहां पर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी जाएगी।

डूब क्षेत्र में हो रही धड़ल्ले से रजिस्ट्री
आपको बता दें कि हाईकोर्ट के एक आदेश ने गौतमबुद्ध नगर के भूमाफिया की मौज कर दी है। जिला प्रशासन ने वर्ष 2020 में डूब क्षेत्र में भूमि की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन के आदेश के खिलाफ फैसला सुनाया। अब डूब क्षेत्र में रजिस्ट्री हो रही है। यह सीधेतौर पर भूमाफिया को फायदा है। सैकड़ों भूमाफिया ने हजारों प्लॉट डूब क्षेत्र में काट दिए, जो पूरे तरीके से अवैध हैं। अब उनकी धड़ल्ले से रजिस्ट्री हो रही है। कृषि भूमि पर 50-100 मीटर के प्लॉट काटकर रजिस्ट्री करवाई जा रही है। इससे दलाल भी एक्टिव हो गए हैं। जिले के रजिस्ट्री दफ्तर में लंबी लाइन लगी हुई है।

वर्ष 2020 से लगी थी रजिस्ट्री पर रोक
गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने वर्ष 2020 में डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण को रोकने के लिए "आपदा प्रबंधन कमेटी" की बैठक में बड़ा फैसला लिया था। जिसमें गौतमबुद्ध नगर के सभी डूब क्षेत्र में कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस निर्णय के तहत किसी भी भूमि की रजिस्ट्री से पहले संबंधित प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना आवश्यक कर दिया गया था। इसके बाद जुलाई 2024 में एक नई व्यवस्था लागू की गई। जिसमें रजिस्ट्री के लिए एडीएम के पास आवेदन करना होता था। एडीएम स्तर पर प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगी जाती थी और 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट न आने पर आवेदन को निरस्त मान लिया जाता था। अगर स्वीकृति मिलती तो तहसील और सिंचाई विभाग द्वारा उसका सत्यापन किया जाता था।

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