ग्रेटर नोएडा में सेमीकॉन इंडिया 2024 का समापन : जानिये क्या होता है सेमीकंडक्टर और कहां होता है प्रयोग, क्याें इतना खास था यह आयोजन 

Symbolic Photo | सेमीकॉन इंडिया 2024 आयोजन का उद्​घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।



Greater Noida : ग्रेटर नोएडा में तीन दिवसीय सेमीकॉन इंडिया 2024 का शुक्रवार शाम को समापन हो गया। तीन दिन के इस आयोजन का उद्​घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। आयोजन में 26 देशों के 100 से ज्यादा सीईओ ने भविष्य की तकनीक की झलक दिखाई। सेमीकॉन के आयोजन के साथ ही लोगों के सामने सेमीकंडक्टर भी आया है। आइये जानते हैं क्या है सेमीकंडक्टर और कहां किया जाता है इसका प्रयोग।

ऐसा होता है सेमीकंडक्टर 
भारत में सेमीकंडक्टर स्टॉक की मांग सीधे सेमीकंडक्टर के विविध उपयोग से जुड़ी हुई है। सेमीकंडक्टर एक ऐसी सामग्री है, जो इन्सुलेटर और कंडक्टर (इसलिए सेमी, जिसका अर्थ है आधा या आंशिक कंडक्टर) दोनों के गुण प्रदर्शित करती है। यह आमतौर पर सिलिकॉन से बना होता है, जो कांच जैसे इन्सुलेटर की तुलना में बिजली का बेहतर संचालन करता है, लेकिन तांबे या एल्यूमीनियम जैसे शुद्ध कंडक्टरों की तरह नहीं।

आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की नींव है सेमीकंडक्टर 
सेमी या चिप्स, ये छोटे घटक कंप्यूटर और स्मार्टफोन से लेकर उपकरणों और चिकित्सा उपकरणों तक कई तरह के उत्पादों में महत्वपूर्ण हैं। इनका उपयोग ट्रांजिस्टर, डायोड और इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) में किया जाता है, जो आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की नींव है।

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा
क्लाउड सर्वर, मोबाइल फोन, ऑटोमोटिव सिस्टम, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन एप्लीकेसंस और डिफेंस सहित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की एक बड़ी श्रृंखला में सेमीकंडक्टर महत्वपूर्ण घटक हैं। इनके स्टेटजिक और आर्थिक महत्व के कारण, केवल कुछ देश ने चिप बनाने की क्षमता स्थापित की है, जबकि अन्य आयात पर अपनी निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं।

सेमीकंडक्टर का हब बनेगा भारत 
वर्तमान में, भारत मुख्य रूप से ताइवान, चीन, कोरिया और वियतनाम से सेमीकंडक्टर आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। हालाँकि, हम वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में खुद को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने के लिए तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। देश में सेमीकंडक्टर की मांग 2026 तक 80 बिलियन डॉलर और 2030 तक 110 बिलियन डॉलर को पार करने का अनुमान है। हालांकि अब देश में सेमीकंडक्टर के उत्पादन के लिए कई देशों की विभिन्न कंपनियों ने प्लांट लगाने पर सहमति दी है, जिससे आने वाले समय में भारत स्वयं को सेमीकंडक्टर हब के रूप में स्थापित करेगा।

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