Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट (Buddha International Circuit) में आयोजित हुई पहली भारतीय मोटोजीपी (Indian Moto GP) को लेकर जांच की मांग की गई है। नोएडा के विकिपीडिया कहे जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा का कहना है कि भारतीय मोटोजीपी करवाने वाली आयोजनकर्ता कंपनी फेयर स्ट्रीट स्पोर्ट्स (Fair Street Sports) कंपनी ने 11 कंपनियों और लोगों को फेयर स्ट्रीट स्पोर्ट्स ने 37 करोड़ रुपये नहीं दिए। जिसमें 18 करोड़ रुपये को अकेले यमुना प्राधिकरण के है। इस मामले में फेयर स्ट्रीट स्पोर्ट्स कंपनी के खिलाफ ईडी के द्वारा जांच करवानी चाहिए।
ग्रेटर नोएडा बना यूपी की पहचान
विनोद शर्मा ने "ट्राईसिटी टुडे" के सहयोगी न्यूज़पोर्टल "उत्तर प्रदेश टाइम्स" के साथ लाइव चर्चा की। "उत्तर प्रदेश टाइम्स" के एडिटर-इन-चीफ पंकज पाराशर के साथ खास बाचीत में विनोद शर्मा ने बड़ी बात बोली। उन्होंने कहा, "ग्रेटर नोएडा को उत्तर प्रदेश का आर्थिक शहर कहा जाता है। यहां पर बड़ी-बड़ी कंपनियां है, जहां पर अरबों रुपये का निवेश होता है। इस समय गौतमबुद्ध नगर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और फिल्म सिटी बड़ी परियोजना है। इन्हीं को देखते हुए इंडियन मोटोजीपी का आयोजन ग्रेटर नोएडा में आयोजित किया गया। इस इंडियन मोटोजीपी को फेयर स्ट्रीट स्पोर्ट्स कंपनी के द्वारा ग्रेटर नोएडा में करवाया गया था।"
11 लोगों का 37 करोड़ रुपये नहीं दिया
विनोद शर्मा ने आगे कहा, "इस कंपनी की वजह से ग्रेटर नोएडा के साथ उत्तर प्रदेश सरकार का नाम भी धूमिल हुआ है। फेयर स्ट्रीट कंपनी ने काम करवाने के बाद 11 लोगों का 37 करोड़ रुपये नहीं दिया। जिसकी शिकायत लखनऊ तक पहुंची है। लोग ग्रेटर नोएडा में इंडियन मोटोजीपी के साथ काम करने के बाद अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। अब इस मामले में तत्काल ईडी के द्वारा जांच करवानी चाहिए, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। पता चल जाएगा कि कहां पर कितना पैसा लगा था? कितने लोगों ने पैसा खाया है? कितने लोगों ने पूरा घोटाला किया है और किस तरीके से घोटाला हुआ है?"
क्या है मोटो जीपी की हकीकत
फेयर स्पोर्ट्स स्ट्रीट प्राइवेट लिमिटेड के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर पुष्कर नाथ श्रीवास्तव ने दावा किया था कि इस आयोजन से ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में 250 करोड़ रुपये का निवेश आएगा। राज्य के औद्योगिक और टूरिज़्म सेक्टर में बड़ा फ़ायदा मिलेगा। इसी आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार से कंपनी ने आयोजन में हिस्सेदार बनने की मांग की। इसी आधार पर औद्योगिक विकास विभाग ने यमुना अथॉरिटी से 18 करोड़ रुपये लेकर कंपनी को दिए थे। कंपनी के सारे दावे झूठे निकले हैं।