आजादी का अमृत महोत्सव : 75 वर्षों में ऐसे बदला भारत, इन 13 मामलों में इंडिया ने विश्व में छोड़ी सुनहरी छाप, बता रहे हैं शैलेंद्र भाटिया

Tricity Today | शैलेंद्र भाटिया



Greater Noida/Yamuna City : भारतीय इतिहास में सन् 1757, सन् 1857 और 1947 कुल 3 महत्वपूर्ण वर्ष है। सन् 1757 में प्लासी के युद्ध में जहां प्रथम बार संग्रह की शक्ति अंग्रेजों ने लॉर्ड क्लाइव के नेतृत्व में प्राप्त कर अपने साम्राज्य की स्थापना की, जबकि सन 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में आज़ादी की ललक देखी गई। अंग्रेजों ने सन 1757 से सन 1947 तक कुल 190 वर्षों तक हिंदुस्तान पर शासन किए। सन 1947 एक नए स्वतंत्र हिंदुस्तान के उदय का वर्ष है। जब 75 वर्ष के भारत की बात करते है तो यह सन 1947 से सन 2022 तक की विकास यात्रा को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि 1947 का हिंदुस्तान कैसे अनगिनत समस्याओं से उबरकर अब विश्व को कैसे अपने क्षमता के कारण नेतृत्व कर रहा है। समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक भारत  की विकास यात्रा अप्रतिम है।

75 वर्षों में हुआ नए भारत का विकास
सर्वप्रथम कृषि में उपलब्धि की बात करें तो जब भारत स्वतंत्र हुआ। यानी कि सन 1947 में भारत का खाद्यान्न उत्पादन 50 मिलियन टन था, जो 2021-22 में बढ़कर 314.51 मिलियन टन हो गया है। 60 के दशक में हरित क्रांति और कृषि नवाचार ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है। इस प्रकार 1947 की तुलना में 2022 में खाद्यान्न उत्पादन बढ़कर 6.29 गुना हो गया है। यदि जनसंख्या की बात करें तो 1947 में जनसंख्या 330 मिलियन थी, जो 2021-22 में 1.41 बिलियन यानी 141 करोड़ अनुमानित है, इस प्रकार जनसंख्या में वृद्धि लगभग 4.27 गुना है। जनसंख्या की इस वृद्धि के बावजूद कृषि क्षेत्र में उपलब्धि एक अद्वितीय स्तिथि बनाती है।

87 गुना बढ़ी जीडीपी 
अगर आर्थिक विकास और जीडीपी की बात करे तो 1947 में जीडीपी 2.7 लाख करोड़ थी, जो 2022 में बढ़कर 236.65 लाख करोड़ हो गई है। यह वृद्धि लगभग 87 गुने के बराबर है। अगर ग्लोबल आंकड़ों की बात करे तो इस समय भारत संयुक्त राज्य अमेरिका (19.48 ट्रिलियन डालर), चीन (12.23 ट्रिलियन डालर), जापान (4.87 ट्रिलियन डालर) और जर्मनी (3.69 ट्रिलियन) के बाद 3.3 ट्रिलियन डालर के साथ पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत ने 5 ट्रिलियन डालर की इकॉनमी बनाने का लक्ष्य रखा है। आज भारत 190 देशों की ईज ऑफ डूइंग बिज़्नेस रैंकिंग में 63वे स्थान पर पहुंच गया है। दक्षिण एशिया में श्रीलंका जब अपने आर्थिक इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है और उसका प्रभाव राजनीतिक सत्ता के परिवर्तन तक पहुंच गया है। ऐसी स्तिथि में भारत अपने मज़बूत आर्थिक आधार के साथ मदद भी दे रहा है। ये बुनियादी तौर पर भारत के सबल आर्थिक स्तिथि को दर्शाता है ।व्यापार को सुगम बनाने के लिए भारत ने कई प्रकार के ब्यूरोक्रेसी अड़चनों को दूर कर सिंगल विंडो पोर्टल पर सर्विसेज उपलब्ध कराकर निवेश के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाया है।

स्वास्थ्य सेक्टर में एक महत्वपूर्ण सेक्टर रहा भारत
स्वास्थ्य सेक्टर एक महत्वपूर्ण सेक्टर रहा है। जहां भारत ने अन्य विकासशील देशों के लिए मिसाल बना है। सन 1947 में औसत आयु महज 31 वर्ष थी, जो 2022 में बढ़कर 70.19 वर्ष हो गई है। यह अपने आप में हेल्थ और मेडिकल सेक्टर में भारत की उपलब्धि की कहानी बताता है। चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों का उन्मूलन एक उल्लेखनीय उपलब्धि रही हैं। वैक्सीन निर्माण की क्षमता और पूरे देश में टीकाकरण की व्यापक योजनाओं ने स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 
हमारे भारत ने कोरोना काल में विदेशियों की भी जान बचाई
कोविड काल में भारत ने अपने देश में बने कोविड वैक्सीन (कोवैक्सीन और कोविशील्ड) का जहां देश में वैक्सीनेसन का व्यापक कार्यक्रम चला रहा है, वहीं पड़ोसी देशों अफ्रीका, दक्षिण अमेरिकी देशों और संयुक्त राष्ट्र के हेल्थ वर्कर को लाखों वैक्सीन और मेडिसिन का वितरण किया है। सन 1947 में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मात्र 725 थे। उस समय मात्र 50,000 डॉक्टर उपलब्ध थे। मातृत्व मृत्यु 2,000 प्रति 1,00,000 थी। स्वास्थ्य क्षेत्र में इंफ्रा स्ट्रक्चर की बढ़ोत्तरी के करण मातृत्व मृत्यु दर वर्ष 2016-18 में घटकर 113 हो गई है। यह भारत की 75 वर्ष की विकास यात्रा का टीजर है।

शिक्षा क्षेत्र में मारा उछाल
शिक्षा क्षेत्र की बात करे तो वर्ष 1947 में साक्षरता मात्र 12 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2011 में बढ़कर 74.04 प्रतिशत हो गई है। आज भारत में 15 लाख स्कूल है, जो चीन से 3 गुना (5 लाख) अधिक है। देश में आईआईटी, आईआईएम, मेडिकल कालेज, इंजिनीरिंग कालेज और विश्वविद्यालयों से अच्छे स्तर के मानव सम्पदा का विकास हुआ है। पूरे भारत में राज्य की स्थानीय भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी की शिक्षा के कारण श्रेष्ठ मानव सम्पदा विकसित हुई है, जो विश्व के साथ समन्वय बनाने में सफल रही है। इस मानव सम्पदा ने पूरे विश्व में अपनी विशेष पहचान बनाई है। पेप्सिको की सीईओ इंद्रा नूयी, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नाड़ेला, आर्सरेलर के सीईओ लक्ष्मी एन मित्तल, अडोबे सिस्टम के सीईओ शान्तनु नारायण, सिप्ला के चेयरमैन यूसुफ हमीद, मास्टर कार्ड के सीईओ अजय बांगा आदि ऐसे नाम है, जो भारतीय मूल के है और पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान अपनी उपलब्धियों के कारण बनाने में सफल रहे है।
भारतीय ने विदेशों में छोड़ी ऐसी छाप
भारत विश्व के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर और सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल देने वाला देश बन गया है। विश्व में लगभग 32 मिलियन भारतीय मूल के लोग एनआरआई के रूप में 210 देशों में रह रहे है। केवल संयुक्त राज्य अमेरिका में 2.15 मिलियन भारतीय मूल के लोग रहते है। इनका शैक्षिक स्तर आम अमेरिकी परिवार से ज़्यादे है। अमेरिका के हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारतीय मूल की भागीदारी है, चाहे वह स्वस्थ हो, शिक्षा हो, टेक्नॉलजी हो, विज्ञान हो या राजनीति। अपनी योग्यता के कारण आज विदेशों में रहने वाले भारतीय भारत का नाम रोशन कर रहे है, ये 75 साल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

एक बार में 104 सैटेलाइट लॉन्च करने वाला भारत
अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की उपलब्धि एक और सुनहरा पन्ना है। भारत में ISRO की स्थापना वर्ष 1969 में हुई और सर्वप्रथम वर्ष 1975 में आर्यभट्ट उपग्रह छोड़ा गया। 1975 में शुरू हुआ यह अभियान जो फ़्रेंच गुयाना (द अमेरिका में स्थित फ़्रेंच रीजन जिसे यूरोप का स्पेसपोर्ट कहते है) पर निर्भर रहता था। वह अब 2017 में एक बार में 104 सैटेलाइट लॉन्च करने वाला देश बन गया। 
विश्व को उपलब्ध करवाई सबसे कम अंतरिक्ष तकनीक की सुविधाएं
वर्ष 2017 में ISRO ने 278 सैटेलाइट लांच किए, जिसमें से 209 विदेशी थे। ISRO आने वाले समय में वर्ष 2021 में चंद्रयान-3, वर्ष 2021 में गगनयान, 2024 में लूप्स लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन, वर्ष 2022 में आदित्य-L1, वर्ष 2024 में मंगलयान-2 और वर्ष 2025 में शुक्रयान को लॉन्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 75 साल का यह भारत आज अंतरिक्ष विज्ञान में योग्यता के कारण विदेशी मुद्रा कमा रहा है और सबसे कम दाम में अंतरिक्ष तकनीक की सुविधाएं पूरे विश्व को उपलब्ध करा रहा है। 

75 साल में भारत की एक और स्वर्णिम उपलब्धि
75 साल में भारत की एक और स्वर्णिम उपलब्धि है, जिस पर हम गर्व कर सकते है, जो लोकतांत्रिक ढांचे का दिन-प्रतिदिन मजबूत होना है। भारत में सत्ता का हस्तांतरण निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों के नतीजों के आधार पर शांतिपूर्ण ढंग से हुए है। भारतीय संविधान के 1950 में लागू होने के बाद और भारत निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324 में व्यवस्था) के नेतृत्व में सर्वप्रथम 1951-52 में आम चुनाव हुए थे, जो आज तक अनवरत जारी है। अब तक 17 आम चुनाव हो चुके है। 
जनसंख्या पर भारत को गर्व
1951-52 में भारत की जनसंख्या 36.10 करोड़ थी और 17.32 करोड़ आम मतदाता थे, जो 2019 में बढ़कर 91 करोड़ मतदाता हो गए है। आज देश में 10.36 लाख पोलिंग बूथ है। 2019 के आम चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़कर 67.4 प्रतिशत हो गया है। यह भारत के मजबूत लोकतन्त्र का परिचायक होने के साथ साथ भारत निर्वाचन आयोग के निष्पक्ष और पारदर्शी कार्य प्रणाली का उत्कृष्ट उदाहरण है। भारतीय सत्ता में कभी भी सैनिक हस्तक्षेप नही हुआ है। जब हम इस स्थिति को अपने आस पास के देशों से तुलना करते है तो हमें संतोष होता है व गर्व भी। 

पर्यटन, संचार और सूचना की प्रगति
भारत ने पर्यटन, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, उद्योग, परिवहन, जल संसाधन व ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय और परिणामपरक प्रगति की है। मेट्रो और एयरपोर्ट का बढ़ता दायरा, राष्ट्रीय राजमार्गों व एक्सप्रेसवे का बढ़ता जाल, विकास की गाथा के संकेतक है। नवीकरण ऊर्जा में उपलब्धि और बढ़ता ऊर्जा उपयोग हमें आधुनिक बना रहा है और ये नए भारत का उदय का परिचायक है।

महिला सशक्तिकरण ने भारत को बताया सशक्त
महिला सशक्तिकरण में भी भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। आज भारतीय महिलाओं की सुरक्षा, उनकी निर्णयन प्रक्रिया में योगदान और मोबिलिटी यानी गतिशीलता में वृद्धि हुई है। वर्ष 1947 महिलाओं की साक्षरता मात्र 8 प्रतिशत थी, जो 2011 में बढ़कर 65.46 प्रतिशत हो गई है। शिक्षा, विज्ञान, टेक्नॉलजी और विभिन्न प्रतियोगिताओं में बालिकाएं अव्वल आ रही है। सर्विस सेक्टर से लेकर राजनीति तक में भारतीय महिलाओं की भागीदारी वर्ष 1947 की तुलना में अत्यधिक बढ़ी है।यह भारत के सशक्त होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है।
     
कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक देश का नारा
भारत की एकता, अखंडता व समरसता का बने रहना और कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक देश का नारा हमें सुखद स्थिति दिखाता है। लोकतन्त्र में मतान्तर होता है और यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक भी है। इन सभी के होते हुए भारत की निरंतर प्रगति पूरे विश्व के लिए ध्यान देने योग्य है। एक देश के लिए 75 वर्ष की आयु अधिक नही होती है। जब इस अवधि में हम अपने आस-पास के देशों की अनिश्च्तता देखते है, तो हमें गर्व होता है कि कैसे एक देश अपने परिस्थिति को सुधारते सुधारते कैसे सबल होता है और अन्य देशों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बनता है।

शैलेंद्र भाटिया उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अफसर हैं। वह फिलहाल यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी और जेवर में बन रहे नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विशेष कार्याधिकारी हैं।

अन्य खबरें