Greater Noida : समाजवादी पार्टी के लिए गौतमबुद्ध नगर की राजनीतिक जमीन हमेशा से बंजर रही है। पहली बार समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार दादरी और जेवर विधानसभा सीट पर खुद को फाइट में मानकर चल रहे हैं। खास बात यह है कि दोनों उम्मीदवार गुर्जर समाज से ताल्लुक रखते हैं और सम्राट मिहिर भोज प्रकरण को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ा है। दोनों ने गुर्जर समाज की अस्मिता के नाम पर वोटों को लामबंद करने की कोशिश की है। यह लामबंदी कितनी कारगर हुई यह तो कल पता चलेगा, लेकिन चुनाव के बाद से ही जिले में एक चर्चा आम है। लोग कह रहे हैं, समाजवादी पार्टी के उपाध्यक्ष श्याम सिंह भाटी ने उम्मीदवारों के लिए हनुमान सरीखा काम किया है। दरअसल, आपको याद दिला दें कि श्याम सिंह भाटी ने ही सम्राट मिहिरभोज शिलापट से जुड़ा प्रकरण उठाया था। जिसकी वजह से उन पर मुकदमा भी दर्ज किया गया था।
बाद में कूदे राजकुमार भाटी, अवतार सिंह भड़ाना ने चुनावी मुद्दा बनाया
दादरी के डिग्री कॉलेज में सम्राट मिहिरभोज की प्रतिमा की स्थापना की गई थी। जिसके शिलापट पर नाम को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। इस मामले में सबसे पहले श्याम सिंह भाटी मुखर होकर सामने आए थे। श्याम सिंह भाटी ने ना केवल विरोध किया बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दादरी आगमन के खिलाफ प्रदर्शन का ऐलान कर दिया था। उन्हें गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने हाउस अरेस्ट किया था। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और गिरफ्तारी भी हुई थी। इस प्रकरण से श्याम सिंह भाटी को अच्छा खासा माइलेज मिला। इसके बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता 'गुर्जर अस्मिता की रक्षा' की बात कहते हुए इस आंदोलन में कूद पड़े। उनकी सलाह पर कई राज्यों के गुर्जर नेताओं ने मिलकर एक समिति बनाई और मांगों की फेहरिस्त सरकार के सामने पेश की थी। चुनाव आया, अवतार सिंह भड़ाना सपा-रालोद गठबंधन से जेवर में ताल ठोकने पहुंच गए। अवतार सिंह भड़ाना ने भी इस मामले को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। भड़ाना और राजकुमार भाटी पूरे चुनाव प्रचार के दौरान सबसे पहले सम्राट मिहिरभोज प्रकरण को ही आगे बढ़ाते रहे। अवतार सिंह भड़ाना ने तो चुनाव लड़ने की वजह भी यही बताई थी।
दादरी से चुनाव लड़ना चाहते थे श्याम सिंह
दूसरी तरफ छात्र जीवन से समाजवादी पार्टी में काम कर रहे श्याम सिंह भाटी यह चुनाव दादरी सीट से लड़ना चाहते थे। श्याम सिंह ने टिकट मांगने के लिए पार्टी के सामने आवेदन भी किया था। वह पिछले कई वर्षों से गौतमबुद्ध नगर समाजवादी पार्टी का जिला अध्यक्ष बनना चाहते हैं। पार्टी फोरम पर नरेंद्र सिंह भाटी, फकीर चंद नागर, राजकुमार भाटी, वीर सिंह यादव और इंदर प्रधान उम्र दराज होना आड़े आता रहा है। इस बार भी समाजवादी पार्टी ने दादरी सीट से राष्ट्रप्रवक्ता राजकुमार भाटी पर दांव खेला है। श्याम सिंह भाटी ना केवल टिकट हासिल करने की रेस में पिछड़ गए बल्कि उन्हें संगठन ने भी दरकिनार कर रखा है। पार्टी का शीर्ष पदाधिकारी होने के बावजूद पूरे चुनाव के दौरान उन्हें दायित्व नहीं सौंपा गया। कार्यक्रमों में शामिल नहीं किया गया। कुल मिलाकर पार्टी के उम्मीदवारों को बड़ा मुद्दा देने के बावजूद श्याम सिंह भाटी हासिए पर हैं।
नरेंद्र भाटी से नजदीकी पड़ी भारी
श्याम सिंह भाटी को समाजवादी पार्टी में कद्दावर रहे एमएलसी नरेंद्र भाटी से नजदीकी भारी पड़ गई है। सपा की राजनीति पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है, "श्याम सिंह भाटी को नरेंद्र सिंह भाटी से नजदीकी का कभी लाभ नहीं हो पाया। श्याम सिंह करीब दो दशक से समाजवादी पार्टी में काम कर रहे हैं। वह 15 साल पहले समाजवादी पार्टी छात्र सभा के जिलाध्यक्ष थे। अगर उनके आगे बढ़ने का ग्राफ देखा जाए तो बहुत सारे जूनियर नेता उनसे आगे निकल चुके हैं। सही मायने में जो लोग आज सपा के टिकट लेकर चुनाव लड़ रहे हैं, उस वक्त वह लोग समाजवादी पार्टी में नहीं थे। बल्कि सपा की मुलायम सिंह यादव सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। श्याम सिंह को नरेंद्र भाटी से नजदीकी का नुकसान हुआ है। अब जब नरेंद्र सिंह भाटी समाजवादी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं तो संगठन श्याम सिंह को शक भरी नजरों से देख रहा है। दरअसल, गौतमबुद्ध नगर में यह बात आम रही है कि श्याम सिंह, नरेंद्र भाटी के वफादारों में से एक हैं।
मिहिरभोज प्रकरण में श्याम सिंह को नहीं मिला समर्थन
श्याम सिंह भाटी ने मिहिरभोज प्रकरण को बेहद जोर-शोर से उठाया था। उन्हें आगे बढ़ता देखकर जिले के कई नेताओं की नींद हराम हो गई थी। यही वजह रही कि शालीनता और राजनीतिक शुचिता के आधार पर उन्हें समाजवादी पार्टी ने ही समर्थन नहीं दिया था। जिलाध्यक्ष ने तो उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का ऐलान कर दिया था। दूसरी तरफ श्याम सिंह भाटी के सरपरस्त नरेंद्र सिंह भाटी ने भी इसे गलत कदम करार दिया था। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि श्याम सिंह भाटी दादरी सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं, इसलिए इस तरह का मुद्दा उठा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी की मंशा सम्राट मिहिर भोज को अपमानित करना नहीं है। जब शिलापट पर नाम दुरुस्त कर दिया गया है तो श्याम सिंह और राजकुमार भाटी का आंदोलन बेमायने है।
समाजवादी पार्टी में महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभाल रहा हूं : श्याम सिंह भाटी
श्याम सिंह भाटी ने कहा, "मैं समाजवादी पार्टी के जिला संगठन में उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभाल रहा हूं। ऐसे में पार्टी में सम्मान ना मिलने और हाशिए पर जाने की बात गलत है। विधानसभा चुनाव में जिम्मेदारी दी थी, जिसका निर्वाह पूरी ईमानदारी के साथ किया था।"