कुणाल हत्याकांड का काला सच : नाकामी छिपाने के लिए मासूम को दी थर्ड डिग्री, अस्पताल में भर्ती नाबालिग ने खोली नोएडा पुलिस की पोल

Tricity Today | कुणाल हत्याकांड का काला सच



Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा का कुणाल हत्याकांड नोएडा पुलिस कमिश्नरेट के माथे पर लगा वो बदनुमा दाग है, जिसे धोने में बरसों लग जाएंगे। मासूम कुणाल के अपहरण और हत्या ने पुलिस अफसरों की ना केवल काहिली बल्कि अमानवीय चेहरे को सामने लेकर रख दिया है। पुलिस अधिकारी अपहरण के बाद अपराधियों को पकड़ने की बजाय कुणाल के परिवार को टॉर्चर करने में जुट गए। कुणाल के कई परिजनों को थर्ड डिग्री दी गई। यह बात कुणाल के पिता कृष्ण कुमार शर्मा ने मीडिया को दी। किसान नेत्री गीता भाटी ने तो पुलिस पर और कई गंभीर आरोप लगाए हैं। थाने में कुणाल के परिजनों को नंगा करके पीटा गया। अब यह जानकारी "उत्तर प्रदेश टाइम्स" को खुद उस पीड़ित ने दी है जिस पर शहर के बीटा टू थाने में जुल्म ढहाया गया है। उत्तर प्रदेश टाइम्स के स्पेशल क्राइम रिपोर्टर मयंक तंवर ने कैलाश अस्पताल में पीड़ित किशोर से मुलाकात की। उसने पूरी आपबीती बयां की है।



नाबालिग मासूम ने बताई आपबीती
कैलाश अस्पताल में 16 साल का नाबालिग मासूम पांचवें फ्लोर पर कमरा नंबर 502 में 3 मई से भर्ती है। वह कुणाल का रिश्तेदार और बेहद करीबी दोस्त है। दोनों हमउम्र रहे। लिहाजा, लड़कपन साथ करते थे। यह दोस्ती और नजदीकी सचिन शर्मा को भारी पड़ गई है। वह गंभीर हालत से जूझ रहा है, उसको पुलिस चार दिनों तक बीटा-2 थाने में टॉर्चर करती रही। थर्ड डिग्री देती रही। वह अपनी बेगुनाही के लिए रोता और बिलखता रहा। अब आप खुद ही सुनिए कि निर्दोष सचिन को किस तरह से टॉर्चर किया गया।

मासूम के के हाथ और पांव जंजीर-बेड़ियों में बंधे थे
पीड़ित बच्चे ने साफ तौर पर बताया है कि उसको थाने में थर्ड डिग्री दी गई। पुलिस वाले उसके पांवों के ऊपर खड़े होते थे और फिर दूसरे उसको पीटते थे। उसके हाथ और पांव जंजीर-बेड़ियों में बंधे थे। पुलिस वाले बस एक ही सवाल बार-बार पूछते थे कि कुणाल की हत्या कैसे की? नाबालिग बच्चे को तब तक टॉर्चर किया गया, जब तक वह अधमरा नहीं हो गया। इतना ही नहीं, बच्चों के प्राइवेट पार्ट पर भी जख्म हैं। पुलिस ने प्राइवेट पार्ट से उसको टॉर्चर किया है। 

मासूम को माता-पिता से दूर रखा
मासूम बच्चे ने बताया कि जब से वह अस्पताल में एडमिट हुआ है, तब से कोई भी परिजन उससे मिलने नहीं आया है। यहां पर सिर्फ डॉक्टर आते हैं। नाबालिग बच्चा काफी परेशान और डरा हुआ है। उसके बावजूद उसको माता-पिता से दूर रखा जा रहा है। उसके कमरे के बाहर अनजान लोगों का पहरा है।

पुलिस की लापरवाही से तीन बच्चों के अपहरण और हत्याएं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो पुलिस कमिश्नरेट आम आदमी की सुरक्षा और अपराधियों में खौफ के लिए बनाया था, वह नोएडा पुलिस कमिश्नरेट आम आदमी में दहशत कायम कर रहा है। अपराधियों की मौज आई हुई है। इसी काहिली, असंवेदनशीलता और मनमानी के कारण केवल कुणाल नहीं, कुणाल जैसे और दो मासूमों की जान जा चुकी है। केवल चार महीनों में तीन बच्चों के अपहरण और हत्याएं हो चुकी हैं।

जिम्मेदार पुलिस मौन
जिम्मेदार पुलिस अफसर अपनी नाकामी छिपाने के लिए मौन साधकर बैठे हैं। छोटी-मोटी कार्रवाई करके शहर के लोगों का गुस्सा शांत करने का इन्तजार कर रहे हैं। अब सवाल खड़ा होता है कि क्या इतने गंभीर मामले में जिम्मेदार पुलिस वालों को डांट डपटकर छोड़ देना कार्रवाई के दायरे में आता है?

पुलिस आयुक्त क्या कदम उठाती हैं? 
कुणाल शर्मा हत्याकांड और उसमें पुलिस की भूमिका ने नोएडा पुलिस कमिश्नरेट के प्रति आम शहरी की धारणा को बदला है। पुलिस को दोस्त और रक्षक मानने की कोशिश कर रहे सामान्य नागरिकों की कोशिश जाया चली गई हैं। जंगल में भालू को पीटकर 'मैं शेर हूं' कहलवाने वाली पुलिस को छवि खुद-ब-खुद जहन और जुबान पर आ गई है। यूपी की आर्थिक राजधानी बन चुके नोएडा में तो कमोबेश पुलिस से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा यहां के लोग नहीं करते हैं। अब देखना है कि गौतमबुद्ध नगर की पुलिस आयुक्त क्या कदम उठाती हैं? सरकार कैसे नोएडा वालों को भरोसा दिलाती है कि वह उनके दुःख-दर्द में शामिल है, चाहे दर्द किसी ने भी क्यों ना दिया हो?

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