Greater Noida News : उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास प्रदेश के पहले सेमीकंडक्टर पार्क के विकास की प्रक्रिया में तेजी ला दी है। यह पहल न केवल राज्य की औद्योगिक क्षमता को बढ़ावा देगी, बल्कि भारत को ग्लोबल सेमीकंडक्टर उद्योग में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इसमें टार्क कंपनी 40,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कीन्स सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड 3,700 करोड़ और वामा सुंदरी इंवेस्टमेंट 4,800 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कुल मिलाकर तीनों कंपनियां 48,500 करोड़ रुपये का निवेश नोएडा एयरपोर्ट के पास सेमीकंडक्टर के लिए निवेश करेंगी।
सेमीकंडक्टर पार्क हाईटेक विकास का केंद्र
नोएडा के सेक्टर-10 और सेक्टर-28 में 225 एकड़ भूमि पर सेमीकंडक्टर पार्क के विकास की योजना बनाई गई है। इसमें 100 एकड़ भूमि सेक्टर-10 में और 125 एकड़ भूमि सेक्टर-28 में आवंटित की गई है। तीन प्रमुख कंपनियों को यहां सेमीकंडक्टर निर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए राज्य सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। इन कंपनियों में कीन्स सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड, वामा सुंदरी इंवेस्टमेंट (एचसीएल) और टार्क कंपनी शामिल हैं।
तीन कंपनियों को मिली मंजूरी, केंद्र सरकार को भेजा प्रस्ताव
सेमीकंडक्टर यूनिट्स स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अब इन कंपनियों के प्रस्तावों को केंद्र सरकार के अनुमोदन के लिए भेज दिया गया है। नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह ने बताया कि कीन्स सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड और वामा सुंदरी इंवेस्टमेंट को सेक्टर-10 में 50-50 एकड़ भूमि आवंटित की जाएगी, जबकि टार्क कंपनी को सेक्टर-28 में 125 एकड़ भूमि मिलेगी।
उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा पार्क
वामा सुंदरी इंवेस्टमेंट की योजना 50 एकड़ भूमि पर सेमीकंडक्टर उत्पादन इकाई स्थापित करने की है। यह 13,780 लोगों को रोजगार प्रदान करेगी। यह कंपनी प्रति माह 2.40 लाख चिप्स का उत्पादन करेगी। जिसके लिए 19 मेगावाट बिजली और 2,000 एमएलडी पानी की आवश्यकता होगी। इसी प्रकार कीन्स सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड को 50 एकड़ भूमि पर इकाई स्थापित करने के लिए 6 केवीए बिजली की जरूरत होगी। टार्क कंपनी को सेक्टर-28 में 125 एकड़ भूमि आवंटित की जाएगी, जहां वह सेमीकंडक्टर निर्माण में निवेश करेगी।
कितने का होगा निवेश
सेमीकंडक्टर पार्क में निवेश की अनुमानित लागत 40,000 करोड़ रुपये से 80,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है। इन कंपनियों द्वारा विकसित किए जाने वाले सेमीकंडक्टर मुख्य रूप से बैटरी और अडॉप्टर में इस्तेमाल होने वाले चिप्स होंगे। इसके साथ ही, इन चिप्स का उपयोग वाहन, कंप्यूटर, लैपटॉप, और सेलफोन जैसी आवश्यक वस्तुओं में किया जाएगा।
ऑटोमोबाइल और तकनीकी उद्योग को मिलेगा नया जीवन
सेमीकंडक्टर की कमी के कारण वर्तमान में ऑटोमोबाइल सेक्टर में उत्पादन में कमी आई है, जिससे वाहनों की वेटिंग लिस्ट लंबी होती जा रही है। सेमीकंडक्टर उत्पादन इकाइयों की स्थापना से इस समस्या का समाधान होगा। भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर को गति मिलेगी। सिलिकॉन चिप्स का उत्पादन बढ़ने से कंप्यूटर, गैजेट्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की आपूर्ति में भी सुधार होगा, जो उपभोक्ता मांग को पूरा करने में सहायक होगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते सेमीकंडक्टर की आपूर्ति में कमी
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते सेमीकंडक्टर की वैश्विक आपूर्ति में कमी आई है, जिससे तकनीकी उद्योगों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। इस परियोजना के माध्यम से भारत अपनी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा और वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करेगा। नोएडा में सेमीकंडक्टर पार्क का विकास न केवल उत्तर प्रदेश के आर्थिक और औद्योगिक विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा, बल्कि भारत की तकनीकी और विनिर्माण क्षमताओं को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह पहल भारत को सेमीकंडक्टर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे देश की प्रौद्योगिकी और औद्योगिक प्रतिष्ठा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा।