Tricity Today | अधिकारियों की कार और किसानों को भड़काने वाले अफसर
Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के लीज बैक मामले में नया मोड़ आ गया है। उन अफसरों और उनकी कार के फोटो किसानों ने ट्राईसिटी टुडे को मुहैया करवाए हैं, जो किसानों को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ भड़काने और आंदोलन करने के लिए उकसाने के लिए गांवों में गए थे। मामला अब केवल गौतमबुद्ध नगर नहीं बल्कि लखनऊ तक पहुंच गया है। किसानों का आरोप है कि उनको भड़काने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कुछ अफसरों ने साजिश रची। हालांकि, यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह और उन्होंने इस साजिश को सफल नहीं होने दिया।
1453 किसानों से जुड़ा मामला
दरअसल, ग्रेटर नोएडा में स्थित कुछ गांवों के लीज बैक मामले में जांच होनी थी। राज्य सरकार के आदेश पर दो बार जांच की गई और दोनों रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई हैं। इन जांच में 1453 किसानों से जुड़े लीज़ बैक के मामलों की जांच की गई थी। दोनों चरणों में लगभग 1453 लोगों के मामलों को शासन ने क्लियर कर दिया है। कुछ मामलों में भिन्नताएं पाई गईं, जैसे क्षेत्रफल में अंतर, नामों में अंतर या फिर कुछ मामलों में आवेदन की स्थिति को लेकर अस्पष्टता थी। इन मुद्दों पर दोबारा जांच की गई। हर एक खसरा नंबर को साइट इमेज से मिलान किया गया और किसानों के साथ बैठकें कर उनकी बात सुनी गई।
डॉ.अरुणवीर सिंह को सौंपी कमान
इस लीज बैक मामले में जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की गई। जिसके अध्यक्ष यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह बने। इस मामले में डॉ.अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में जांच की गई। जांच में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कुछ अफसरों को शामिल किया गया।
किसानों ने सीईओ को बताई सच्चाई
प्रभावित किसानों ने आरोप लगाया है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कुछ अधिकारी रिपोर्ट को लीक कर रहे हैं और उसमें ऐसी बातें जोड़ रहे हैं जो एसआईटी ने नहीं कही थीं। किसानों ने इन अफसरों के फोटो जिम्मेदार अफसरों को दे दिए हैं। साथ में उस गाड़ी का फोटो भी दिया है, जिसमें बैठकर अफसर आते थे। अफसरों की कार पर उत्तर प्रदेश शासन लिखा हुआ है। किसानों ने आरोप लगाते हुए बताया कि इन अफसरों ने प्राधिकरण के खिलाफ आंदोलन करने के लिए उकसाया था। किसानों से अफसर कहते थे कि प्राधिकरण उनके साथ गलत करना चाहता है। जिसकी वजह से गांवों में प्राधिकरण और सरकार के खिलाफ आक्रोश पैदा हो गया था। जब मामला उच्च अफसरों के पास पहुंचा तो सबसे ज्यादा हैरानी प्राधिकरण के बड़े अफसरों को ही हुई। किसानों ने सीईओ को अफसरों के नाम रामनेन सिंह और श्रीपाल बताए है।
असलियत जानकर डॉ.अरुणवीर सिंह भी हैरान
इस पर डॉ.अरुणवीर सिंह ने बताया, "मुझसे खैरपुर गुर्जर समेत कई गांव के किसान इस मुद्दे पर मिलने के लिए आए थे। उन्होंने कुछ कागज मुझे दिखाए, जिसमें दिखाया गया था कि रिपोर्ट बनाकर तैयार हो गई है और कुछ ऐसे कानून उसमें मैंने देखे, जो हमने कहे नहीं रहे। शायद वह कानून किसानों को डराने के लिए जोड़े गए होंगे। जब मैं उसको पढ़ तो मुझे लगा कि इन सब में नियम तो वह है, जो मैंने कभी बोल भी नहीं और उसकी आवश्यकता भी नहीं है। लोगों का आरोप था कि यह सभी फाइलों को बाजारों में भेजा जा रहा है। किसानों तक यह फाइल पहुंच चुकी है। इसको मैंने ध्यानपूर्वक समझा और गंभीरता से लिया। इसके बाद मैंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रवि कुमार एनजी को कॉल किया और पूरे मामले को अवगत करवाया। हमने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से बात की है और उन्होंने कार्रवाई करते हुए कुछ लोगों को काम से हटा दिया है।"