Hapur News : पूर्व पीएम स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की जन्मस्थली पहुंचे सांसद, जंयती पर पार्टी नेताओं ने श्रद्धांजलि

हापुड़ | 10 महीना पहले | Shahrukh Khan

Tricity Today | जंयती पर पार्टी नेताओं ने श्रद्धांजलि



Hapur : पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद राजेंद्र अग्रवाल, जिलाध्यक्ष नरेश तोमर, विधायक विजयपाल आढ़ती और गढ़ विधायक हरेंद्र तेवतिया उनकी जन्मस्थली ग्राम नूरपुर पहुंचे। वहां पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर नमन किया।

नूरपुर गांव में हुआ था जन्म
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि चौधरी चरण सिंह का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। स्वाधीनता के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने बरेली की जेल से दो डायरी रूपी किताबें भी लिखीं। स्वतन्त्रता के पश्चात् वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन से जुड़ गए। उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए कई ऐसे फैसले किए, जिससे भारत देश की गरीब जनता और किसानों को बहुत लाभ हुआ। उन्होंने सदैव सरकारी कर्मचारियों को जनता के प्रति सही भावना और ईमानदारी से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। काली मिट्टी के अनगढ़ और फूस के छप्पर वाली मढ़ैया में 23 दिसम्बर, 1902 को एक महान व्यक्तित्व का जन्म हुआ। 

आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया
चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था। चरण सिंह ने जीवनभर गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष किया। आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में उन्होंने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा से गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे, जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था। साल 1930 में महात्मा गांधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत नमक कानून तोड़ने का आह्वान किया गया। महात्मा गांधी ने ‘डांडी मार्च' किया। आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चौधरी चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चौधरी चरण सिंह ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया।  

क्रांतिकारी संगठन तैयार किया
सांसद ने कहा कि साल 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चौधरी चरण सिंह गिरफ्तार हुए और फिर अक्टूबर 1941 में मुक्त किये गए। सारे देश में उस समय असंतोष व्याप्त था। महात्मा गांधी ने करो या मरो का आह्वान किया। 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' की आवाज सारे भारत में गूंजने लगी। 9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति के माहौल में युवक चौधरी चरण सिंह ने भूमिगत होकर गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मवाना, सरधना, बुलन्दशहर के गांवों में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया। 

किसानों के हितैषी थे चौधरी चरण सिंह 
मेरठ कमिश्नरी में चरण सिंह ने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रितानिया हुकूमत को बार-बार चुनौती दी। जेल में ही चौधरी चरण सिंह की लिखित पुस्तक 'शिष्टाचार', भारतीय संस्कृति और समाज के शिष्टाचार के नियमों का एक बहुमूल्य दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि इतने महान व्यक्तित्व ने जिस ने सदैव देश की सेवा की गरीब जनता की सेवा की किसानों की सेवा की। आज भी विपक्षी पार्टियों द्वारा उनको वह सम्मान नहीं मिला, जो वास्तविकता में जिसके वह हकदार थे। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी उचित रूप से उनके सपने को साकार करने का कार्य प्रधानमंत्री मोदी ने किया, जो सदैव किसानों के हित के कार्य में लगे रहते हैं। 

ये रहे मौजूद 
इस अवसर पर जिला महामंत्री श्यामेंद्र त्यागी, पुनीत गोयल, मोहन सिंह, राजीव सिरोही, ग्राम प्रधान नूरपुर राहुल चौधरी, महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष डॉक्टर पायल गुप्ता, जिला महामंत्री संगीता मित्तल, मनोरमा रघुवंशी, छवि दीक्षित, यशोदा शर्मा, रीना गर्ग, रुचि विश्वकर्मा, शशि गोयल, अनिरुद्ध कस्तला, शैलेंद्र राणावत, जतिन साहनी और जय भगवान शर्मा समेत अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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