Google Image | आम्रपाली
यादव सिंह के बेटे सनी यादव की बर्खास्तगी के बाद ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में कार्रवाई का दौर शुरू हो गया है। अब आम्रपाली बिल्डर से समय पर बकाया पैसे की वसूली नहीं करने वालों पर कार्रवाई की बारी आ गई है। इस काम में लापरवाही बरतने और बिना भुगतान सबलीज करने के मामले में 8 अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
इमसें से दो अधिकारियों के खिलाफ शासन खुद कार्रवाई करेगा। हालांकि, इसमें एक आईएएस अफसर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आम्रपाली बिल्डर को ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने 7 ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए जमीन आवंटित की थी। इस पर करीब 3,600 करोड़ रुपये प्राधिकरण के बकाया हैं। आरोप है कि बकाया वसूलने की कोशिश नहीं की गई। उल्टे बिना पैसा लिए आम्रपाली बिल्डर दूसरे बिल्डरों को जमीन बेचता रहा और प्राधिकरण समय-समय पर सबलीज की भी अनुमति देता रहा।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिल्डर से बकाया वसूली पर रोक लग गई।
बताया जाता है कि अदालत के इस आदेश के बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले की समीक्षा की। दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद पूरे मामले की जांच हुई है। जांच में सामने आया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे तत्कालीन अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, एक महिला प्रबंधक और छह अन्य कर्मचारियों ने लापरवाही बरती है।
एसीईओ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। प्रबंधक का प्राधिकरण से तबादला हो चुका है। जानकारी दी गई है कि इन सारे अफसरों पर कार्रवाई शासन करेगा। जबकि, प्राधिकरण अपने कर्मचारियों पर जल्द कार्रवाई करेगा। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण आज 7,500 करोड़ रुपए के कर्ज में दबा हुआ है। इस कर्जे के पीछे की वजह बिल्डरों को नियम-कायदे ताक पर रखकर फायदे पहुंचाना है। बड़ी बात यह है कि जिन सीनियर आईएएस अफसरों के संरक्षण में इन घोटालों को अंजाम दिया गया, वह अभी भी बेखौफ नौकरियों में बने हुए हैं।
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