Tricity Today | Ritu Maheshwari IAS
आम्रपाली बिल्डर पर गाज गिरने के बाद अब उसे प्रश्रय देने वाले विकास प्राधिकरण के अफसरों की बारी आ गई है। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने इस सप्ताह कई अफसरों पर कार्रवाई की है। अब नोएडा विकास प्राधिकरण आम्रपाली बिल्डर को नियम-कायदे दरकिनार कर फायदा पहुंचाने वाले अफसरों पर कार्रवाई करने वाला है। आम्रपाली बिल्डर पर मेहरबानी करने वाले नोएडा प्राधिकरण के 22 अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई की तैयारी है।
नोएडा विकास प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक ये अधिकारी वर्ष 2007 से लेकर 2011 के बीच में नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत रहे हैं। इसी दौरान आमप्राली समूह को कई परियोजनाओं के लिए जमीन का आवंटन किया गया। इन अधिकारियों में डेस्क ऑफीसर से लेकर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी और विशेष कार्य अधिकारी तक शामिल हैं।
इनमें से अब नोएडा प्राधिकरण में कोई कार्यरत नहीं है
फिलहाल इनमें से नोएडा प्राधिरण में कोई कार्यरत नहीं है। कुल आरोपियों में से अब 6-7 अधिकारी सेवा में बचे हैं, बाकी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। मामले में जांच और कार्रवाई का निर्धारण कर रहे अफसरों का कहना है कि इन सब अधिकारियों के खिलाफ एक सप्ताह में आरोप पत्र तैयार हो जाएगा।
दोषी पाए गए 22 में से 12 अक्षर सरकार ने तैनात किए थे
प्राधिकरण अफसरों ने बताया कि घोटाले में दोषी पाए गए 22 अधिकारियों में से 12 अधिकारी प्रदेश सरकार की ओर से नियुक्त किए गए थे। इनमें सीईओ, वित्त नियंत्रक, ओएसडी स्तर के अधिकारी शामिल हैं। इनके अलावा प्राधिकरण के 9 अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें सहायक महाप्रबंधक, डेस्क ऑफीसर, डीलिंग सहायक और इनसे नीचे पद पर कार्यरत रहे अधिकारी शामिल हैं। बचे एक अधिकारी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में कार्यरत हैं। प्रदेश सरकार की ओर से तैनात किए गए कुछ अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
शासन को कार्रवाई पर फैसला लेना है
अधिकारी प्राधिकरण में कार्यरत रहे और सेवानिवृत्त हो चुके 9 अधिकारियों पर कार्रवाई करने से पहले कानूनी सलाह लेने के लिए फाइल विधि विभाग को भेजी गई है। इनके अलावा अब नोएडा प्राधिकरण में फिलहाल ऐसा कोई अधिकारी या कर्मचारी नहीं बचा है, जो आम्रपाली समूह को जमीन आवंटन के समय शामिल रहा हो। यह आंतरिक जांच शासन को भेज दी गई है। प्राधिकरण के सूत्रों ने बताया कि बाकी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए नोएडा प्राधिकरण की ओर से सरकार को पत्र लिख दिया गया है। इन अधिकारियों पर शासन स्तर से ही कार्रवाई होगी।
इन अफसरों पर ये आरोप हैं
बिल्डर ने 13 साल में सिर्फ 525 करोड़ रुपए दिए हैं
नोएडा विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2007 से 2010 के बीच बिल्डर को 5.36 लाख वर्ग मीटर जमीन आवंटित की थी। इन तीन सालों में आम्रपाली ने शहर में 9 ग्रुप हाउसिंग परियोजना लांच की थीं। इसकी एवज में आम्रपाली ने अब तक सिर्फ 525 करोड़ रुपए दिए हैं। प्राधिकरण के बिल्डर पर करीब 2,800 करोड़ रुपए बकाया हैं।
13 वर्षों से 32 हजार फ्लैट खरीदार धक्के खा रहे हैं
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली बिल्डर की आवासीय परियोजनाएं हैं। इनमें करीब 42 हजार खरीदारों ने वर्ष 2009 से 2012 तक फ्लैट बुक किए थे। इन परियोजनाओं के लिए बिल्डर ने 2007 से जमीन लेनी शुरू कर दी थी। इनमें से करीब 10 हजार खरीदारों को फ्लैट मिल चुके हैं। अभी 32 हजार खरीदार धक्के खा रहे हैं।
कोरोना वायरस के कारण फैले संक्रमण से करीब चाढ़े चार महीने से आमप्राली बिल्डर की परियोजनाओं में रह रहे लोगों की रजिस्ट्री का काम अटका है। इसके अलावा फ्लैटों के सत्यापन का भी काम शुरू नहीं हो सका है। नोएडा में करीब 9,000 फ्लैट की रजिस्ट्री होनी है।
नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी ने बताया कि जांच के दायरे में आए अधिकारी अभी प्राधिकरण में कार्यरत नहीं हैं। सेवानिवृत्त हो चुके अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए कानूनी सलाह ली जा रही है। जो अफसर यहां से स्थानांतरित होकर चले गए हैं, उनके बारे में रिपोर्ट शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है।
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