Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो
आखिरकार वही हुआ जिसका डर था। गौतम बुद्ध नगर के गांव में कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी है। सोमवार की दोपहर जेवर क्षेत्र के एक गांव से युवक को ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती किया गया है। युवक शनिवार को ही धारूहेड़ा से अपने गांव वापस लौटा था। वह वहां कंपनी में नौकरी करता है। शनिवार से ही युवक को जुकाम, खांसी था और उसका सिर चकरा रहा था। बीती रात उसकी परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ गई और सोमवार की सुबह हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई।
परेशान परिजनों ने जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और 108 नंबर पर कॉल करके जानकारी दी। जिसके बाद एंबुलेंस गांव में पहुंची और डॉक्टरों की टीम उसे लेकर ग्रेटर नोएडा के आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंची है। युवक के परिजनों ने Tricity Today को बताया कि उनका बेटा धारूहेड़ा की एक कंपनी में काम करता है। कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर हरियाणा सरकार ने वहां लोक डाउन को घोषित कर दिया है। जिसके बाद वह शनिवार को गांव में आ गया था।
परिजनों ने बताया, शनिवार की शाम उसने सिर दर्द बताया। उसे हल्का बुखार था और छींक आ रही थीं। युवक ने गांव के एक डॉक्टर से दवा ली थी। दवाई खाने के बावजूद उसे कोई लाभ नहीं हुआ और रविवार की सुबह से उसकी हालत और ज्यादा बिगड़ने लगी। उसकी नाक और आंखों से पानी बह रहा था। परिजनों ने बताया कि रविवार की रात तो हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई। युवक के पिता ने बताया, वह पूरी रात खांसता रहा। ठीक तरह से सो नहीं सका।
परिजनों का कहना है कि सोमवार की सुबह उसके चेहरे पर सूजन आ गई थी और मुंह से लार बहने लगी थी। सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही थी। इसके बाद हम लोगों को आशंका हो गई कि यह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया है। परिजनों ने बताया कि उन्होंने सुबह जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और 108 नंबर पर कॉल करके जानकारी दी। कॉल करने के बाद एंबुलेंस को गांव में पहुंचने में करीब 3 घंटे का समय लग गया। डॉक्टरों की टीम ने युवक को राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती करवाया है।
इस घटना के बाद से पूरे गांव में दहशत व्याप्त है और लोग परेशान हैं। गांव के लोगों का कहना है कि युवक अपने परिवार के तो संपर्क में आया ही था, अपने दोस्तों, गांव के डॉक्टर और अन्य कई लोगों के संपर्क में भी था। जिसके चलते लोगों को संक्रमित होने की आशंका गहराने लगी है। आपको बता दें कि ट्राइसिटी टुडे ने यह आशंका पहले ही जाहिर की थी। दरअसल, नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के क्षेत्र वाले गांवों में लोगों का शहरों से सीधा संपर्क है।
बड़ी संख्या में इन गांवों के लोग शहरों में नौकरी करते हैं। हाउसिंग सोसायटियों में काम करते हैं। कंपनी और फैक्ट्रियों में कामकाजी हैं। ऐसे में यह लोग बहुत जल्दी इस संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। अब जब पूरे दिल्ली एनसीआर में लोक डाउन कर दिया गया है तो यह सभी ग्रामीण अपनी कंपनियों और वहां किराए के घरों को छोड़कर वापस गांव में लौट आए हैं। जिससे गांव में भी संक्रमण का खतरा व्याप्त है।
दूसरी ओर गांव पर ध्यान देने के लिए ना तो कोई आधारभूत ढांचा है और ना ही कर्मचारी उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं तीनों विकास प्राधिकरण के करीब 250 गांवों में ग्राम पंचायतों को पहले ही खत्म किया जा चुका है। पंचायतें खत्म करने के बाद विकास प्राधिकरण, जिला प्रशासन और सरकार ने कोई नई व्यवस्था कायम नहीं की है। जिसके चलते यह गांव एक तरह से लावारिस की स्थिति में हैं। यही समस्या अब गांव वालों को सता रही है। इसी विषय पर केंद्रित एक विस्तृत रिपोर्ट ट्राइसिटी टुडे ने रविवार को प्रकाशित की थी, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं।
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