गौतमबुद्ध नगर ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ 3 बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, जो आपको जननी चाहिए

नोएडा | 4 साल पहले | Anika Gupta

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो



गौतमबुद्ध नगर में कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला 8 मार्च 2020 को सामने आया था। सोमवार (आज) इस महामारी से संघर्ष का 65वां दिन है। इस बीच जिले में कई बड़े उतार-चढ़ाव आए। यहां तक कि गौतम बुद्ध नगर के सबसे लंबे कार्यकाल वाले जिलाधिकारी को हटा दिया गया। दो मुख्य चिकित्सा अधिकारी का तबादला किया गया। अब तक जिले में दो लोगों की मौत भी हो चुकी हैं। लेकिन इस सबके बावजूद गौतम बुद्ध नगर में कोरोना संक्रमण के खिलाफ तीन महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। जिनके बारे में हम आपको यहां विस्तार से बता रहे हैं।

जिले के अस्पतालों ने संक्रमित मरीजों को स्वस्थ करने का रिकवरी रेट नहीं गिरने दिया
गौतम बुद्ध नगर में 8 मार्च से संक्रमण की शुरुआत हुई और बीमार पड़ने वालों की संख्या लगातार संख्या बढ़ती चली गई। अब तक 218 लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। लेकिन 135 लोग ठीक होकर अपने घर भी जा चुके हैं। इस तरह मौजूदा रिकवरी रेट करीब 62 फीसदी है। यानी अब तक जितने लोग बीमार पड़े उनमें से 62 फ़ीसदी ठीक होकर अपने घर चले गए हैं। इसकी शुरुआत 21 अप्रैल से हुई। जब गौतम बुद्ध नगर जिला देश में रिकवरी रेट के मामले में अव्वल था। हालांकि, उस वक्त जिले का रिकवरी रेट महज 40 फ़ीसदी था। अगले एक सप्ताह में यानी 28 अप्रैल तक जिले का रिकवरी रेट 55% के पार हो गया था, जो अब बढ़कर 62 फ़ीसदी तक पहुंच चुका है। 

इस कामयाबी का सेहरा नोएडा और ग्रेटर नोएडा के तीन कोविड-19 अस्पतालों के सिर बंधा है। ग्रेटर नोएडा के शारदा मेडिकल कॉलेज ने तो रविवार को एक साथ 15 मरीजों को ठीक करके उनके घर भेजा है। शारदा अस्पताल से अब तक 49 मरीज ठीक हो चुके हैं और अभी वहां 56 मरीज भर्ती हैं। शारदा अस्पताल में कोविड-19 का आइसोलेशन वार्ड बनाने का फैसला गौतम बुद्ध नगर जिले के लिए बड़ा फायदेमंद साबित हुआ है। दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (GIMS) ने पहले दिन से लेकर अब तक कोरोनावायरस के खिलाफ मजबूत जंग लड़ी है। हालांकि, जिम्स में 2 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। परेशानियां बताते हुए स्टाफ ने हड़ताल भी की है। इस सबके बावजूद जिम्स का रिजल्ट शानदार रहा है।

जिम्स से अब तक 38 मरीज ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं। नोएडा के सुपर स्पेशलिटी चाइल्ड अस्पताल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहां केवल 15 बेड हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने मरीजों को ठीक करके घर भेजने में पूरी मेहनत की है।

15 अप्रैल तक भर्ती सभी कोरोना मरीज इलाज के बाद डिस्चार्ज किए गए
गौतमबुद्ध नगर की दूसरी बड़ी उपलब्धि यह रही कि मरीजों को ट्रीटमेंट देने की प्रक्रिया डॉक्टरों ने सही ढंग से अपनाई। जिसका असर यह रहा कि मरीज तेजी से ठीक हुए। कई मरीज तो महज चार-पांच दिनों में ठीक होकर अपने घर लौट गए। 80-85 साल के बुजुर्ग मरीज भी 14 से 21 दिनों में ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज किए गए हैं। जिसका फायदा यह मिला की पिछले 65 दिनों में अधिकांश दिन ऐसे रहे, जब बीमार मरीजों की संख्या ठीक होने वाले मरीजों के मुकाबले कम रही है। रविवार को जिला प्रशासन की ओर से जानकारी दी गई कि कोरोना वायरस के मरीज जिन्हें 15 अप्रैल तक भर्ती कराया गया था, वे सभी ठीक हो चुके हैं। उनको डिस्चार्ज किया जा चुका है। वह कोरोना मरीज जिनको 1 मई तक भर्ती कराया गया था, उनमें से 90 फीसदी ठीक हो चुके हैं।

अब गौतम बुद्ध नगर के स्वास्थ्य विभाग को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में नए संक्रमण के मामले भी घट जाएंगे। रविवार को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान मरीजों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। पिछले सप्ताह करीब 40 मरीज सामने आए हैं। सबसे दुखद बात यह रही कि इसी सप्ताह में महज 24 घंटों के दौरान दो लोगों की मौत भी कोरोनावायरस के कारण हुई हैं।

प्राइवेट अस्पतालों के मुकाबले सरकारी असप्तालों पर लोगों का भरोसा बढ़ा
गौतम बुद्ध नगर के सरकारी अस्पतालों ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अभी तक जिले का आम आदमी सरकारी अस्पतालों की ओर रुख नहीं करता था। मध्यम वर्ग और उच्च आय वर्ग के लोग नोएडा और ग्रेटर नोएडा के थ्री स्टार और फाइव स्टार प्राइवेट अस्पतालों में जाना ही पसंद करते थे। अब लोगों का मानना है कि जिस तरह जिले के सरकारी अस्पतालों ने कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में बढ़त हासिल की है, उससे आम आदमी का भरोसा सरकारी अस्पतालों पर बड़ा है। 

ग्रेटर नोएडा की सीनियर सिटीजन सोसायटी में रहने वाले आरबी माथुर ने कहा, "नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्राइवेट अस्पताल की भरमार है। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्राइवेट अस्पताल अच्छी सुविधाएं देते हैं लेकिन यह प्राइवेट अस्पताल बिना वजह का पैसा बनाने के लिए भी खासे बदनाम हैं। ऐसी एक नहीं हजारों घटनाएं हैं, जिनमें प्राइवेट अस्पतालों ने गड़बड़ियां करके लोगों की जेब से पैसा निकाला है। अब जब कोरोना संक्रमण आया तो सरकारी अस्पतालों के इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधन को देखकर लोगों को एहसास हुआ है की सरकारी अस्पताल कहीं ज्यादा बेहतर हैं।" अरबी माथुर कहते हैं कि मुझे पूरा भरोसा है इस लॉकडाउन पीरियड के बाद आम आदमी सरकारी अस्पतालों का रुख करेगा। प्राइवेट अस्पतालों से लोगों का मोहभंग हुआ है।

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