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रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने मंगलवार को सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का एक शातिर गैंग पकड़ा है। यह गैंग ग्रेटर नोएडा में बैठकर रेलवे की वेबसाइट में सेंधमारी कर रहे थे। ये लोग प्रतिबंधित साफ्टवेयर के जरिए रेलवे की वेबसाइट में घुस जाते थे। इस चालबाजी के जरिये लोगों को रेलवे तत्काल टिकट दिलवाने वाले गिरोह के छह सदस्यों को ग़ाज़ियाबाद आरपीएफ ने ग्रेटर नोएडा के देवला गांव से गिरफ़्तार किया है। इनके पास से आधा दर्जन प्रतिबंधित साफ्टवेयर और तत्काल ई-टिकट बरामद बरामद किए गए हैं। फर्जी सोफ्टवेयर बनाने वाला आरोपी आईपी यूनिर्विसटी से बीसीए ग्रेज्युएट बताया गया है।
आरपीएफ गाजियाबाद के प्रभारी पीए नायडू ने बताया कि गुप्त सूचना मिली थी। बताया गया कि फर्जी तरीके से सॉफ्टवेयर के जरिए तत्काल टिकट बुक हो रहे हैं। इसकी ट्रैकिंग की गई। आरपीएफ की टीम ने ग्रेटर नोएडा के देवला गांव में छापेमारी की। सादन अली, अनिल यादव, बादल सिंह और रूपेश यादव को पकड़ा गया है। इनके पास छह रेलवे के तत्काल टिकट मिले हैं। इन टिकट की कीमत 8578 रुपये है। पांच लोगों की फर्जी आईडी और एक लैपटॉप बरामद हुआ है।
पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि इस गिरोह का संचालन अनिल यादव करता था। सादन अली इंद्रप्रस्थ यूनिर्विसटी से बीसीए है। वह फर्जी सोफ्टवेयर की वेब डिजाइनिंग करता है। बादल सिंह और रूपेश यादव एजेंट के रुप में ऑनलाइन सॉफ्टवेयर बेचते हैं। देवला ले पास ही शिवा एंटरप्राइसेस नाम की दूकान पर छापा मारा गया। वहां से शिवराम को गिरफ्तार किया है। उसके पास से 13 ई-टिकट मिले हैं। आदित्य मोबाइल सेंटर से मालिक आदित्य सिंह को पकड़ा गया है। उसके पास से 22 कन्फर्म टिकट बरामद हुए हैं। यह सभी एक साथ मिलकर काम करते थे।
फर्जी मोबाइल नंबर और आईडी पर चल रहा था नेटवर्क
अनिल यादव पूरे गिरोह का सरगना है। वह फर्जी मोबाइल नंबर उपलब्ध करवाता था। रेलवे के नियमों के मुताबिक एक आईडी पर एक ही तत्काल टिकट बनाया जा सकता है। गिरोह के बाकी सदस्य टिकट की आवश्यकता वाले लोगों की तलाश करते थे। ग्राहक मिलने के बाद अनिल यादव, सादन अली को फर्जी नंबर उपलब्ध करवाता था। सादन अली अपने फर्जी सोफ्टवेयर पर फर्जी नंबर की आईडी जनरेट करता था।
सोफ्टवेयर टिकट बनने के बाद आईडी को भी समाप्त कर देता है
यह सोफ्टवेयर इस तरीके से बने होते हैं कि रेलवे की तत्काल साइट खुलते ही सबसे पहले साइट को क्रेक करके टिकट बना देते हैं। यह सोफ्टवेयर टिकट बनने के बाद आईडी को भी समाप्त कर देता है। एक साथ कई सोफ्टवेयर के जरिए कई ई-टिकट बन जाते हैं। तत्काल टिकट के लिए यह लोग यात्री से मुंह मांगी रकम लेते थे। टिकट का भुगतान भी पेटीएम से करते थे।
इससे पहले भी इसी तरह का गिरोह आरपीएफ ने पकड़ा था
आरपीएफ ने इसी साल फरवरी माह में वसुंधरा के राज एंटरप्राजेट से दो आरोपियों को पकड़ा गया था। उनके पास से 56 ई-टिकट मिले थे। जिनकी कीमत एक लाख रूपये से ज्यादा थी। पिछले तीन माह में इसी तरीके से फर्जी आईडी और सोफ्टवेयर के जरिए इन लोगों ने करीब 8,77,865 रुपये के टिकट बनाए हैं। इसी साल 21 जनवरी को नोएडा में बहरामपुर रोड सेक्टर-58 से एक फोटो स्टेट की दुकान पर छापा मारकर एक आरोपी को पकड़ा था। उसके पास से 76 रेलवे ई-टिकट बरामद हुए थे।