Tricity Today | ग्रेटर नोएडा के गांवों में लगे गंदगी के अंबार, लोगों का जीना मुहाल
कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन में लोगों के सामने तरह तरह की परेशानियां आने लगी है। ग्रेटर नोएडा के गांवों में गंदगी के अंबार लग गए हैं। जिससे लोगों का जीना मुहाल हो गया है। ग्रामीण विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को फोन करते हैं तो जवाब मिलता है कि ट्रैक्टर ट्रॉली उपलब्ध नहीं है, ड्राइवर और कर्मचारी नहीं आ रहे हैं, ऐसे में लोग परेशानी महसूस कर रहे हैं।
कुलेसरा गांव के निवासी उमेश त्यागी ने बताया कि 22 तारीख के बाद से लेकर अब तक सफाई कर्मचारी गांव में नहीं आए हैं। गांव के पास बनी कच्ची कॉलोनियों में भी बुरा हाल है। गांव की गलियों में कूड़े का ढेर हर घर के सामने लगा हुआ है। वैसे तो लोग घरों में बंद है, लेकिन गली से बदबू घरों के अंदर तक आ रही है। इन हालात में बीमारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है।
गुलिस्तानपुर के निवासी प्रदीप शर्मा का कहना है कि सामान्य दिनों में भी गांव में चार-पांच दिन में 1 बार सफाई करने वाले आते थे। अब जब सब लॉक डाउन हुआ है, तब से तो विकास प्राधिकरण के सफाई कर्मचारियों की शक्ल ही नहीं दिखाई दी है। अधिकारियों को फोन करते हैं तो वह जवाब दे रहे हैं कि उनके पास संसाधन और कर्मचारी उपलब्ध नहीं है। जैसे ही कर्मचारी आएंगे कूड़ा उठाने के लिए आपके गांव में भेज दिए जाएंगे। दूसरी ओर गांव की गलियों में लोगों के घरों में और सार्वजनिक स्थानों पर कूड़े के अंबार लग गए हैं। गलियों से गुजर ना बड़ा मुश्किल है, लोग घरों में बंद है, जिसके चलते बीमारियां फैल सकती हैं।
लखनावली गांव के ग्रामीण छत्रसाल शर्मा ने कहा, मैं पिछले 3 दिनों में कई बार विकास प्राधिकरण के कॉल सेंटर और अधिकारियों को फोन कर चुका हूं। लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है। कई बार फोन करने के बाद प्राधिकरण कार्यालय में फोन उठता है और जो अधिकारी फोन उठाते हैं। वह असहाय नजर आते हैं। अधिकारियों का कहना है कि हालत बहुत खराब है। ज्यादातर कर्मचारी कार्यालयों में नहीं आ रहे हैं। जिसके चलते सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। अब अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि वह जल्दी ही कुछ व्यवस्था करेंगे।
मुबारिकपुर के निवासी चंचल शर्मा का कहना है कि एक ओर तो सरकार विकास प्राधिकरण जिला प्रशासन और पुलिस आकर कह रही है कि घरों से मत निकलो गलियों में से बाहर मत निकलो। गांव से बाहर मत जाओ। लेकिन दूसरी ओर या साफ-सफाई पानी और बिजली का संकट पैदा होता नजर आ रहा है। 22 तारीख के लॉक डाउन के बाद कई बार बिजली खराब हो चुकी है। सफाई बिल्कुल नहीं हो रही है। लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्राधिकरण और जिला प्रशासन का पूरा ध्यान केवल सेक्टरों और शहरी क्षेत्रों पर है। गांव में कोई आकर हालात देखने को तैयार नहीं है। सबसे बुरा हाल गंदगी के कारण हो गया है।
सुथियाना के निवासी कपिल गुर्जर एडवोकेट ने कहा, हम लोगों को तो सामान्य दिनों में ही फोन करके और धरने प्रदर्शन की चेतावनी देकर अपने गांव में सफाई करवानी पड़ती है। अब तो पूरा देश बंद पड़ा हुआ है। ऐसे में विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों और अधिकारियों को नया बहाना मिल गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि अगर लॉक डाउन करना था। तो उससे पहले विकास प्राधिकरण को जरूरी समस्याओं को सुविधाओं का तो इंतजाम कर लेना चाहिए था। उसमें भी खासतौर से साफ सफाई के बिना लोग कैसे रहेंगे। गांव की गलियों में से गुजरना मुश्किल हो गया है। जब से लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। गाय और कुत्तों को खाना नहीं मिल रहा है। गाय और कुत्ते खाना ढूंढने के लिए गंदगी के ढेर इधर-उधर फैला देते हैं। इसके बाद हालत और ज्यादा खराब हो जाती है। कई बार विकास प्राधिकरण फोन कर चुका हूं। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारी खुद को मजबूर बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
सूरजपुर के निवासी अब्दुल हमीद, गोपाल जाटव, कपिल शर्मा और हबीबपुर के अतुल शर्मा 20 परेशानी से त्रस्त है। कपिल शर्मा ने बताया कि उन्होंने गुरुवार को सुबह से लेकर शाम तक तीन बार विकास प्राधिकरण के संबंधित प्रबंधक को फोन किया। पहले तो प्रबंधक ने असमर्थता जताई। लेकिन जब मैं बार-बार फोन करता रहा तो उसने मेरे मोहल्ले में ट्रैक्टर ट्रॉली और सफाई कर्मचारी भेजकर उठवा दिया। लेकिन कस्बे के बाकी सारे मोहल्लों की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। विकास प्राधिकरण को इस समस्या पर गौर करना चाहिए, नहीं तो आने वाले दिनों में लोग बीमार पड़ने लगेंगे। गलियों में भरे हुए कूड़े के कारण मक्खियां और मच्छर पनप रहे हैं, और घरों में आकर लोगों को परेशान कर रहे हैं। इन हालात में आने वाले दिनों में परेशानी और ज्यादा बढ़ सकती है।