सिपाही और प्राधिकरण का बाबू बदलते थे नोट, 11 गिरफ्तार

TriCity Today | Arrested Gang Members



ग्रेटर नोएडा की कासना कोतवाली पुलिस ने पुराने नोट बदलने वाले एक गैंग को गिरफ्तार किया है। यह गैंग बीटा दो कोतवाली का एक सिपाही और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण का बाबू मिलकर चला रहे थे। पुलिस ने प्राधिकरण के बाबू समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया है, सिपाही समेत पांच लोग अभी फरार है। पुलिस इन्हें तलाश कर रही है। गैंग के पास पास 4.55 लाख की पुरानी करेंसी और दो कारें बरामद की हैं।

ग्रेटर नोएडा के डीसीपी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि कासना कोतवाली पुलिस ने सेक्टर ओमीक्रॉन वन-ए के गेट नंबर-4 के पास से आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास 4.55 लाख रुपये की पुरानी करेन्सी और दो कारें बरामद की हैं। डीसीपी ने बताया कि यह गैंग दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, गाजियाबाद और बुलन्दशहर से पुराने नोट लेकर कमीशन पर नये नोट बदलकर देते थे। लेकिन, पुलिस अभी यह खुलासा नहीं कर सकी है कि यह पुराने नोट कहां बदले जा रहे थे।

पुलिस का दावा है कि जो लोग पांच फरार हैं, उनकी गिरफ्तारी के बाद पूरे प्रकरण का खुलासा हो जाएगा। पुलिस की टीम फरार आरोपियों की तलाश में जुटी है। पुलिस ने पकड़े गए 11 आरोपियों के खिलाफ कासना कोतवाली में धारा 5/7 विनिर्दिष्ट बैंक नोट (दायित्वों की समाप्ति) अधिनियम 2017 के  तहत मुकदमा दर्ज किया है।

अभियुक्त संजय, सचिन, सोनू, जनक राज के साथ मिलकर दिल्ली निवासी देवेन्द्र शर्मा, विवेक उर्फ बोवेन्द्र से पुरानी करेंसी लेते थे। देवेन्द्र शर्मा दिल्ली वजीराबाद निवासी का निवासी है। वह बिजेन्द्र सिंह उर्फ छंगा सरदार से पुरानी करेंसी लेता था। विवेक उर्फ बोवेन्द्र दिल्ली के किसी गौतम उर्फ मोटा से पुरानी करेंसी लेता था। दिल्ली के निवासी संजय और सुधाशू जैन से भी पुराने करेंसी नोट लेते थे। मनोज चौधरी, दीपक और सिपाही सचिन बैसला के संपर्क थे। यह पुराने नोट इन तीनों को देते थे।

दीपक और सचिन बैसला मिलकर प्राधिकरण के बाबू रविन्द्र और मकोड़ा गांव के निवासी मनीष को पुराने नोट देते थे। रविन्द्र और मनीष पुराने नोट लेकर नये नोट देने का काम करते थे। रविन्द्र और मनीष पुराने नोटों को रमेश नामक व्यक्ति को बदलने के लिए देते थे।

पुलिस की जांच में सामने आया कि है कि पुरानी करेंसी नोट बीटा दो कोतवाली के फरार सिपाही सचिन बैसला के माध्यम से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बाबू रविंद्र तक पहुंचाए जाते हैं। जिसके बाद किसी रमेश नाम के व्यक्ति को यह नोट दिए जाते हैं। जिसके बाद इनके बदले में नए नोट मिलते थे। दरअसल, सिपाही और बाबू कमीशन पर यह गोरखधंधा चला रहे थे।

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण का अस्थायी बाबू रविंद्र, यादव सिंह और उसके बेटे सनी यादव का करीबी रहा है। यादव सिंह के राज में बाबू का काफी रुतबा था। बाबू के पास वीआईपी नंबर की लग्जरी कार हैं। कुछ दिनों पूर्व सीबीआई की टीम ने भी बाबू रविंद्र से पूछताछ की थी।

ये आए पकड़ में

  1. संजय पुत्र श्यामवीर सिंह, निवासी मलपुर, थाना सिकन्दराबाद, जिला बुलंदशहर
  2. सचिन पुत्र रमेश चन्द, निवासी ग्राम लड़पुरा, थाना कासना, जनपद गौतमबुद्ध नगर
  3. सोनू पुत्र लीलू, निवासी ग्राम सलेमपुर गुर्जर, थाना कासना, जनपद गौतमबुद्ध नगर
  4. जन कराज पुत्र चन्द्रपाल सिंह, निवासी ग्राम दाउदपुर, थाना इकोटेक प्रथम, जनपद गौतमबुद्ध नगर
  5. रविन्द्र कुमार पुत्र सतेन्द्र सिंह, निवासी सेक्टर-36, ग्रेटर नोएडा
  6. मनीष पुत्र किरण पाल सिंह, निवासी ग्राम मकोड़ा, थाना सूरजपुर, जनपद गौतमबुद्ध नगर
  7. दीपक कुमार पुत्र देवेन्द्र कुमार, निवासी सेक्टर बीटा-2, गौतमबुद्ध नगर
  8. देवेन्द्र शर्मा पुत्र शिवदत्त शर्मा, निवासी गली नं-9, साउथ गामड़ी, भजनपुरा, नई दिल्ली-53
  9. विवेक उर्फ बोबिन्द्र पुत्र सरदार सिंह, निवासी गली नंबर-6, ग्राम गोपालपुर, नई दिल्ली-09
  10. मनोज उर्फ मनवीर पुत्र जतन चौधरी, निवासी 303 अजनारा डफलोडेन, सेक्टर 137, नोएडा
  11. रमेश पुत्र राधे ठाकुर, निवासी बीटा-2, जनपद गौतमबुद्ध नगर

अभी ये हैं फरार

  1. बिजेन्द्र सिंह उर्फ छंगा, निवासी वजीराबाद, नई दिल्ली
  2. सरदार, निवासी वजीराबाद, नई दिल्ली
  3. सिपाही सचिन बैंसला, जनपद गौतमबुद्ध नगर

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