Covid-19 Impact: गौतमबुद्ध नगर में कोरोना ने छीना डेढ़ लाख लोगों का रोजगार, हजारों नौकरियों पर अब भी लटक रही है तलवार

नोएडा | 4 साल पहले | Rakesh Tyagi

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो



कोरोना संक्रमण के बाद से गौतमबुद्ध नगर में करीब डेढ़ लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं। पिछले हफ्ते ही होंडा मोटर्स ने अपने ग्रेटर नोएडा स्थित संयत्र में कारों का उत्पादन बंद किया था। इस वजह से हजारों कर्मचारियों की नौकरी छिन गई। साथ ही हर महीने प्रोविडेंट फंड (पीएफ) जमा करने वाले लोगों की संख्या घटती जा रही है। कोरोना महामारी से पहले फरवरी में 7,71,470 पीएफ खातों में पैसा जमा हुआ था। जबकि कोविड-19 की वजह से अक्टूबर में सिर्फ 6,50,797 खातों में अंशदान जमा कराया गया। 

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के क्षेत्रीय कार्यालय ने इस बारे में जानकारी दी। इन आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर, 2020 में 1,20,673 पीएफ खातों में अंशदान नहीं जमा कराया गया। क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त द्वितीय सुशांत कंडवाल के मुताबिक, फरवरी में लोगों के पीएफ खाते में कुल 249 करोड़ 62 लाख चार हजार 454 रुपये जमा हुआ था। 

जबकि अक्तूबर में यह राशि घटकर 226 करोड़ 39 लाख 92 हजार 773 रह गई। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कंपनियों से भी बात की गई। ऑनलाइन बैठक में कंपनियों से इसकी वजह पूछी गई थी। इस दौरान कुछ नई जानकारियां हासिल हुईं। कंपनियों के प्रतिनिधियों का कहना था कि ज्यादातर कर्मचारी लॉकडाउन में अपने पैतृक निवास चले गए थे। इनमें से तकरीबन 40 फीसदी वापस नहीं लौटे हैं। इसलिए ऐसे एकाउंट्स में पीएफ जमा कराना बंद कर दिया गया। 

डिफॉल्टर 250 कंपनियों पर लिया गया एक्शन : एक महीने पीएफ राशि जमा नहीं करने पर कंपनी डिफॉल्टर घोषित हो जाती है। हालांकि इसके बाद अगले एक महीने तक कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। अगर एम्प्लॉयर तीन से चार महीने तक पीएफ राशि जमा नहीं करता है, तो कंपनी को पत्र कॉल सेंटर के माध्यम से अंशदान जमा करने के लिए कहा जाता है। अगर इसके बाद भी पीएफ की राशि जमा न हो तो ईपीएफ एक्ट के तहत सुनवाई होती है। लॉकडाउन से पहले की ऐसी तकरीबन 250 कंपनियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है। ज्यादातर कंपनियों के मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की जा रही है।

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