नोएडा के लिए हाईकोर्ट ने दिए आदेश : छह सप्ताह में निर्णय ले प्राधिकरण, हितधारकों की आपत्तियों का निस्तारण किए बिना ना की जाए तोड़-फोड़

नोएडा | 3 महीना पहले | Lokesh Chauhan

Google Image | इलाहाबाद हाईकोर्ट



Noida News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह वाजिदपुर गांव में तोड़फोड़ के नोटिस के संबंध में यथास्थिति बनाए रखे, जब तक कि याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर आपत्तियों का समाधान नहीं हो जाता। न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को विवादित स्थल पर आगे कोई निर्माण करने या तीसरे पक्ष के हित बनाने से भी रोक दिया है। यह आदेश वाजिदपुर गांव के भूस्वामियों के एक समूह द्वारा प्राधिकरण द्वारा 23 जुलाई 2024 को जारी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में आया है।

हाईकाेर्ट ने दिया छह सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश 
20 अगस्त को जारी हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि न्याय के हित में हम इस टिप्पणी के साथ रिट याचिका का निपटारा करते हैं कि याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों पर कानून के अनुसार शीघ्रता से और अधिमानतः आज से छह सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाएगा, लेकिन निश्चित रूप से मामले में सभी हितधारकों को अवसर देने के बाद। उक्त आपत्ति के निपटारे तक पक्ष विवादित संपत्ति के संबंध में आज की स्थिति को बनाए रखेंगे। याचिकाकर्ताओं को विवादित स्थल पर आगे निर्माण करने या तीसरे पक्ष के हित बनाने से भी रोका जाता है। 

याचिकाकर्ताओं ने बताया आबादी की भूमि 
याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि संबंधित भूमि को अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) द्वारा वर्ष 2014 में यूपी राजस्व संहिता की एक धारा के तहत आबादी भूमि घोषित किया जा चुका है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि चल रहे दीवानी मुकदमे और स्थानीय अदालत द्वारा दिए गए अंतरिम निषेधाज्ञा के बावजूद नोएडा प्राधिकरण ने भूमि पर उनके कब्जे में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया। 

प्राधिकरण ने जारी किया था धारा-10 का नोटिस 
याचिकाकर्ताओं के अनुसार नोएडा प्राधिकरण ने पहले 5 अप्रैल 2024 को यूपी औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम की धारा 10 के तहत एक नोटिस जारी किया था। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट की पीठ ने प्राधिकरण को कानून के अनुसार आगे बढ़ने की अनुमति दी। हालांकि याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि 23 जुलाई 2024 को जारी किए गए नए नोटिस के कारण उनकी आपत्तियों पर विचार किए बिना उन्हें बेदखल किया जा सकता है और उनकी संपत्ति को ध्वस्त किया जा सकता है। वहीं प्राधिकरण ने तर्क दिया कि विवादित भूमि के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करना उसके अधिकार क्षेत्र में है, क्योंकि यह प्राधिकरण के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में आती है। 
कोर्ट ने कहा, हितधारकों को दिया जाए अपना मामला पेश करने का मौका  
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ताओं की चिंताओं को स्वीकार किया कि यदि उनकी आपत्तियों पर उचित विचार नहीं किया गया, तो इससे नुकसान हो सकता है। कोर्ट ने प्राधिकरण को याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर आपत्तियों को छह सप्ताह के भीतर हल करने का निर्देश यह सुनिश्चित करते हुए दिया कि सभी हितधारकों को अपना मामला पेश करने का अवसर दिया जाए।

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