एक्शन मोड में नोएडा अथॉरिटी : भूजल की बर्बादी पर सख्त हुआ प्राधिकरण, दस लाख रुपये का लगाया जुर्माना

नोएडा | 6 घंटा पहले | Jyoti Karki

Tricity Today | नोएडा में भूजल की बर्बादी



Noida News : नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) और एनजीटी के लगातार आदेश और निर्देश के बाद भी बिल्डर मनमानी करने से बाज नहीं ओ रहे हैं। हालत यह है कि बेसमेंट बनाने के लिए बिल्डरों द्वारा भूजल का अंधाधुंध दोहन कर उसे खुले में फैलाया जा रहा है। पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड़ ने इसके खिलाफ आवाज उठाई।भूजल को बर्बाद किए जाने के बारे में जानकारी मिलने पर नोएडा अथॉरिटी ने बिल्डर पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। 
एनजीटी ने लगाई थी डी-वाटरिंग पर रोक 
विक्रांत तोंगड़ द्वारा लगाई गई आरटीआई (सूचना का अधिकार) के जवाब से पता चलता है कि नोएडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने अभी तक जिला मजिस्ट्रेट के पत्र का संज्ञान नहीं लिया है। विक्रांत तोंगड़ ने बताया कि हमने 2011 में इस मुद्दे को एनजीटी में उठाया था, जिसके परिणामस्वरूप नोएडा में डी-वाटरिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन आज भी, कई स्थानों पर गहरे बेसमेंट बनाने के लिए प्रतिदिन लाखों लीटर ताजा भूजल निकाला जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि नोएडा प्राधिकरण इस गंभीर मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा है। 

तीन महीनों से की जा रही थी शिकायत 
विक्रांत तोंगड़ ने बताया कि उन्होंने पिछले तीन महीनों में कई बार नोएडा प्राधिकरण के सीईओ, जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों को इस मुद्दे के बारे में लिखा है। अब वे इस मामले को वापस एनजीटी में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। जिससे एनजीटी का उल्लंघन करने वाले बिल्डरों पर कड़ी कार्रवाई की जा सके और बहुमूल्य भूजल को सुरक्षित किया जा सके। 

दस लाख रुपये का लगाया जुर्माना 
मामले की शिकायत मिलने पर नोएडा अथॉरिटी की टीम ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया। जिसमें बेसमेंट से भूजल का दोहन किए जाने की बात सामने आई। इस पर नोएडा प्राधिकरण ने मौके पर जाकर डी-वाटरिंग के कार्य को रुकवाया। इसके साथ ही बिल्डर पर दस लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह कदम एनजीटी के आदेश का पालन करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।

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