राजस्थान से बड़ी खबर : राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज, वसुंधरा थामेंगी कांग्रेस का हाथ!

नोएडा | 1 साल पहले | Deepak Sharma

Google Image | पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे



Noida News : राजस्थान के राजनैतिक गलियारों से एक बड़ी और चौंकाने वाली खबर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा रही है। सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि भाजपा का राजस्थान में सबसे बड़ा चेहरा वसुंधरा राजे सिंधिया कांग्रेस का हाथ थामने जा रही हैं। सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारे में इस खबर पर चर्चा आम हो चली है। क्या राजस्थान में कुछ बड़ा होने वाला है? इंडिया गठबंधन के आफिशियल एक्स एकाउन्ट पर यह बात कही गई है कि वसुंधरा राजे कांग्रेस के करीब आ रही हैं।

गतिविधियों से लगाई जा रहीं अटकलें 
बता दें कि 2018 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद वसुंधरा राजे हाशिए पर हैं। राजस्‍थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में कांग्रेसी नेताओं के साथ तस्वीरें इस खबर की पुष्टि करने के लिए काफी हैं। किन्तु, एक खबर यह भी है कि अगर वसुंधरा राजे भाजपा नहीं छोड़ती हैं तो भी गहलोत और कांग्रेस को उनका पूर्ण सपोर्ट रहेगा। वसुंधरा राजे की पिछले दिनों भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा (Parivartan Sankalp Yatra) से दूरी और कोटा में समापन पर भी गायब रहना, नई अटकलों को जन्म दे रहा है। 

कांग्रेसी नेता के साथ तस्वीर वायरल
पिछले दिनों जयपुर में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान के उद्घाटन समारोह के बाद भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की थी। हालांकि, उन्‍होंने अशोक गहलोत के साथ मंच साझा नहीं किया था, लेकिन कार्यक्रम के बाद वसुंधरा के गहलोत के साथ अलग से मुलाकात की तस्वीर ने सियासी हलचल और तेज कर दी थी। इससे पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की कांग्रेस नेता और सांसद गौरव गोगोई से मुलाकात की तस्वीरें सामने आईं थीं। दो दिग्गज नेताओं की ये मुलाकात उदयपुर एयरपोर्ट पर हुई। जिसके बाद सूबे का सियासी पारा खूब चढ़ा था। ये फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। 

वसुंधरा के भविष्य को लेकर अटकलें
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अपने क्षेत्र, हाडोती क्षेत्र, जिसमें कोटा, बूंदी और झालावाड़ शामिल हैं, में परिवर्तन यात्रा के अंतिम चरण में अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े किए। वसुंधरा राजे झालावाड़ से गायब थीं, जिस निर्वाचन क्षेत्र का उन्होंने पिछले 33 वर्षों से सांसद और विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व किया। कोटा में समाप्त हुई परिवर्तन यात्रा से भी वह गायब थीं। इससे भाजपा में उनके भविष्य के बारे में अटकलें तेज हो गई हैं।

हाशिये पर वसुंधरा
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे इस समय राजनीति के हाशिये पर हैं। कभी वसुंधरा राजे की राजस्थान की राजनीति में तूती बोलती है। मगर, अब हालात पूरी तरह बदल गए हैं। वसुंधरा राजे के लिए राजनीति में उपस्थिति बनाए रखना भी मुश्किल हो रहा था। इसीलिए वह अपने समर्थकों से कभी वसुंधरा राजे समर्थक मंच का गठन करवाती हैं तो कभी किसान मोर्चा के नाम पर प्रदेश स्तरीय संगठन खड़ा करने का प्रयास कर रही हैं। मगर, ऐसे व्यक्तिवादी संगठन वसुंधरा राजे को राजनीति की मुख्यधारा में बनाए रखने के लिए काफी नहीं है। हालांकि वसुंधरा राजे भी इस बात से बखूबी वाकिफ हैं।

अघोषित चुनावी बिगुल
राजस्‍थान की राजनीति में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election) से पहले काफी हलचल देखने को मिल रही है। अघोषित रूप से राजस्थान में चुनावी बिगुल फूंका जा चुका है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ओर से चुनावी रण में उतारने के लिए योद्धाओं के नामों पर मथा पच्ची चल रही है। भाजपा राजस्थान में दोबारा सत्ता में लौटने की जुगत में जुटी है। उसे राजस्थानियों के पुराने ट्रेंड पर भरोसा है कि एक बार कांग्रेस तो दूसरी बार भाजपा। किन्तु, इस बार चुनावी समीकरण और राजस्थान की जनता अपने इस ट्रेंड को तोड़ती हुई दिख रही है। इसलिए भाजपा के लिए राजस्थान के सीएम कुर्सी की दावेदारी इतनी मजबूत नहीं दिख रही है। 

सत्ता के लिए खींचतान
200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा के लिए इस साल के अंत में चुनाव होने हैं, जिसमें भाजपा को कांग्रेस से सत्ता वापस हासिल करने की उम्मीद है। जबकि कांग्रेस अब भी अशोक गहलोत-सचिन पायलट के झगड़े को शांत करने की कोशिश कर रही है, जिसने 2020 में सरकार को लगभग गिरा ही दिया था। भाजपा सत्तारूढ़ पार्टी के आंतरिक विभाजन का फायदा उठाने की उम्मीद कर रही होगी।

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