Noida News : झूठी वाहवाही लूटने के लिए गौतमबुद्ध नगर की बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने गलत जानकारी दे दी। नोएडा के बरौला गांव में एक फर्जी तरीके से स्कूल चल रहा है। स्कूल के पास नौवीं क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक के छात्रों को पढ़ाने की मान्यता नहीं है। जिसकी वजह से 12वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्रों को इस साल बोर्ड एग्जाम में बैठने नहीं दिया जाएगा। जिसका मुख्य कारण यह है कि छात्रों का एग्जाम देने के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। मामला संज्ञान में आने के बाद जब इस बारे में ट्राईसिटी टुडे टीम ने बेसिक शिक्षा अधिकारी ऐश्वर्या लक्ष्मी से बात की तो उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि स्कूल को सीज कर दिया गया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन बुधवार की सुबह स्कूल में बच्चे जाते हुए दिखाई दिए। इसकी वीडियो और फोटो ट्राईसिटी टुडे के साथ एक पीड़ित छात्रा दया शर्मा के भाई सुनील शर्मा ने साझा की है। सुनील शर्मा का आरोप है कि झूठी वाहवाही लूटने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी ने गलत जानकारी साझा कर दी। ऐसे में काफी छात्रों का 1 साल बर्बाद हो गया है।
बरौला में स्थित है स्कूल
मिली जानकारी के मुताबिक दया शर्मा नोएडा के बरौला गांव में अपने परिवार के साथ रहती है। दया शर्मा अपने घर के पास स्थित न्यू बाल भारती विद्यालय में पढ़ाई करती हैं। छात्रा के मुताबिक वह सीबीएसई से 12वीं क्लास की पढ़ाई कर रही है। इस साल उनको बोर्ड एग्जाम में शामिल होना था। इसके लिए वह काफी समय से तैयारी भी कर रही थी।
कैसे हुआ खुलासा
छात्रा दया शर्मा ने बताया कि बीते 12 जनवरी को उनकी प्रैक्टिकल परीक्षा थी। वह स्कूल के करीब 50 छात्रों के साथ दादरी में स्थित शैफाली पब्लिक स्कूल में प्रैक्टिकल एग्जाम देने गई थी। वहां पर जाकर पता चला कि उनका 12वीं क्लास का बोर्ड एग्जाम देने के लिए पंजीकरण नहीं हुआ है। जिसके कारण इन छात्रों को बोर्ड एग्जाम में बैठने नहीं दिया जाएगा।
छात्रों का एक साल बर्बाद हुआ
इस घटना के बाद दया शर्मा ने जिला शिक्षा विभाग के दफ्तर में मदद की गुहार लगाई। इस मामले में जांच के आदेश मिले। जांच में पाया गया कि न्यू बाल भारती विद्यालय फर्जी तरीके से चलाया जा रहा था। विद्यालय के पास केवल आठवीं क्लास तक के छात्रों को पढ़ाने की अनुमति थी, लेकिन 12वीं क्लास तक के छात्रों को भी पढ़ाया जा रहा था। पता चला है कि नौवीं क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए जिला निरीक्षक कार्यालय से केवल कोचिंग की मान्यता ली थी। अब यह मान्यता भी काफी समय पहले समाप्त हो चुकी है। यानी कि स्कूल को अवैध तरीके से चलाया जा रहा था, ऐसे में छात्रों का एक साल बर्बाद हो गया।
शैफाली स्कूल की प्रिंसिपल बोली- मुझे जानकारी नहीं
वहीं, दूसरी ओर दादरी का शैफाली स्कूल भी सवालों के घेरे में है। प्रैक्टिकल की परीक्षा देने के लिए न्यू बाल भारती विद्यालय से छात्र दादरी में स्थित शैफाली स्कूल में गए थे। वहीं, इस मामले में शैफाली स्कूल की प्रिंसिपल मंजू वर्मा का कहना है कि उनको इस मामले की कोई जानकारी नहीं है।