नोएडा का चाइल्ड पीजीआई 9 साल में हुआ जर्जर :  1200 करोड़ रुपये में खड़ी हुई थी बिल्डिंग, शासन और प्राधिकरण की अनदेखी से हुई खस्ताहाल 

नोएडा | 2 महीना पहले | Junaid Akhtar

Tricity Today | चाइल्ड पीजीआई 9 साल में हुआ जर्जर



Noida News : नोएडा में बच्चों के सुपरस्पेशलिटी इलाज के लिए सेक्टर-30 में चाइल्ड पीजीआई की बिल्डिंग बनाई गई है। करीब 1200 करोड़ रुपये में तैयार हुआ यह अस्पताल अब जर्जर होने लगा है। 2015 में इस बिल्डिंग में कामकाज शुरू हुआ था। महज 9 साल में ही इसकी हालत खस्ताहाल हो गई है। बताया जा रहा है कि रखरखाव न होने के कारण बिल्डिंग इस स्थिति में पहुंची है। बिल्डिंग के रखरखाव के लिए हर साल करीब 40 करोड़ रुपये के बजट की जरूरत होती है। लेकिन नोएडा प्राधिकरण और शासन की अनदेखी की वजह से यह पैसा नहीं मिल रहा है। जिसके चलते बिल्डिंग धीरे-धीरे जर्जर हो रही है। 

2021 से बिल्डिंग में खामियां आना हुई शुरू 
चाइल्ड पीजीआई प्रशासन के मुताबिक, इस बिल्डिंग का निर्माण 2008 में शुरू हुआ था। नोएडा अथॉरिटी ने इस बिल्डिंग का निर्माण कराया था। वहीं, निर्माण के लिए राजकीय निर्माण निगम को चुना गया था। यह बिल्डिंग 2015 में बनकर तैयार हुई थी। 2015 में इसके उद्घाटन के बाद यहां मरीजों का इलाज होने लगा। बिल्डिंग के चिकित्सा शिक्षा विभाग को सौंपे जाने के बाद इसके रखरखाव के लिए पत्राचार भी शुरू हो गया। 2021 से बिल्डिंग में खामियां सामने आने लगी थीं। करीब तीन साल से बेसमेंट की दूसरी मंजिल में लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। कुछ जगहों पर तो पिलर और बीम के सहारे झरना बह रहा है। इससे दीवारों के अलावा पिलर और बीम भी जर्जर हो रहे हैं। ऐसे में बिल्डिंग का भार उठाने वाली पूरी नींव कमजोर हो रही है। कुछ जगहों पर तो यहां कोई अनहोनी न हो जाए, इसके लिए बैरिकेडिंग करके सड़क भी बंद कर दी गई है। अब यहां वाहन भी पार्क नहीं किए जा सकते। 

पीजीआई की छत भी खस्ताहाल 
बेसमेंट ही नहीं चाइल्ड पीजीआई की छत भी खस्ताहाल है। बारिश के दिनों में यहां काफी समय तक रिसाव होने लगता है। इससे माइक्रोबायोलॉजी और पैथोलॉजी विभाग की दीवारें सीलन के कारण कमजोर हो गई हैं। हाल ही में संस्थान ने छत की वाटरप्रूफिंग कराई। इसके बाद ही रिसाव काफी हद तक बंद हुआ। अस्पताल के अलावा यहां आवासीय क्षेत्र में भी यही स्थिति है।

मरीजों, तीमारदारों और कर्मचारियों को जान का खतरा 
चाइल्ड पीजीआई में एक ओर सिविल निर्माण जर्जर हो रहा है। यहां लगाई गई फाल्स सीलिंग भी मरीजों, तीमारदारों और संस्थान के कर्मचारियों के लिए खतरा बन गई है। हाल ही में निदेशक कार्यालय में ही फाल्स सीलिंग गिर गई। इसके अलावा मरीजों के तीमारदारों के लिए बने कमरे में भी फाल्स सीलिंग पानी के रिसाव के कारण क्षतिग्रस्त हो गई है। ऐसे में करीब 30 फीसदी क्षेत्र में फाल्स सीलिंग गिर गई है। यहां रहने वाले तीमारदारों को टपकते पानी के बीच अपने मरीजों के इलाज के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।

पूर्व मुख्य सचिव के समक्ष उठा मुद्दा
चाइल्ड पीजीआई के रखरखाव का मुद्दा पूर्व मुख्य सचिव डीएस मिश्रा के समक्ष उठ चुका है। इससे पहले पूर्व प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने भी जर्जर भवन को देखा था। निदेशक प्रो. अरुण कुमार सिंह का कहना है कि हम भवन के रखरखाव को बेहतर बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। कुछ समस्याओं का समाधान भी हो गया है। इसके लिए नोएडा प्राधिकरण, राजकीय निर्माण निगम से भी संपर्क किया गया है। रखरखाव के लिए शासन से बजट की भी मांग की गई है। पांचवीं मंजिल पर स्थित माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री विभागों को जिला अस्पताल परिसर के अंदर पुरानी बिल्डिंग में शिफ्ट किया जा रहा है। काम शुरू हो गया है।

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