आज की सबसे बड़ी खबर : नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर होगी राफेल और मिराज की मरम्मत, एमआरओ हब बनेगा

नोएडा | 3 दिन पहले | Pankaj Parashar

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Noida Airport News : उत्तर प्रदेश के आसमान में एक नई उड़ान की शुरुआत होने जा रही है। फ्रांस की प्रसिद्ध विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने राज्य में एक महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया है। कंपनी ग्रेटर नोएडा के जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट एक विशेष एमआरओ (मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल) केंद्र स्थापित करने जा रही है। आपको बता दें कि भारतीय एविएशन इंडस्ट्री विमानों के रखरखाव पर सालाना 10,000 करोड़ रुपये ख़र्च कर रही है। यह एमआरओ हब इस पैसे को विदेश जाने से बचाएगा। यहां यह जानना बेहद जरूरी होगा कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण की लागत करीब 25,000 करोड़ रुपये है। यह एमआरओ हब केवल 5 वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये विदेश जाने से बचाएगा।

परियोजना के 5 बड़े फायदे
1. उन्नत सुविधा: यह केंद्र मिराज 2000 और राफेल जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों के रखरखाव और मरम्मत का काम करेगा।
2. स्वदेशी निर्माण: 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत, राफेल विमानों का निर्माण स्थानीय कलपुर्जों से किया जाएगा।
3. रोजगार सृजन: इस परियोजना से प्रदेश में नौकरियों के नए अवसर पैदा होंगे।
4. आर्थिक विकास: राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में यह परियोजना अहम भूमिका निभाएगी।
5. रक्षा क्षमता वृद्धि: देश की सैन्य शक्ति बढ़ाने में यह केंद्र महत्वपूर्ण योगदान देगा।

अवनीश अवस्थी ने जानकारी साझा की
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने इस खबर को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा, "यह परियोजना उत्तर प्रदेश को विश्व मानचित्र पर एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगी।" निस्संदेह, यह परियोजना उत्तर प्रदेश के विकास में एक नया अध्याय जोड़ेगी और भारत को विमानन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। जेवर एयरपोर्ट के आस-पास बनने वाला यह एमआरओ हब न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय बनेगा।

दिसंबर तक उड़ने लगेंगे विमान
आपको बता दें कि आगामी दिसंबर 2024 तक नोएडा एयरपोर्ट से हवाई जहाज उड़ने शुरू हो जाएंगे। इसको लेकर बीते दिनों उत्तर प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी नोएडा एयरपोर्ट की साइट पर दौरा करने के लिए आए थे।नोएडा एयरपोर्ट देश के सबसे बड़े हवाईअड्डे के रूप में विकसित हो रहा है, जो दिल्ली नेशनल कैपिटल रीजन में दिल्ली अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का ऑल्टरनेटिव एयरपोर्ट भी बनेगा।

25 प्लेन एक साथ खड़े हो सकेंगे
नोएडा एयरपोर्ट के पहले चरण में वार्षिक रूप से 1.2 करोड़ यात्रियों के आवागमन के लिए कार्य चल रहा है। यह क्षमता अंतिम चौथे चरण तक 7 करोड़ यात्रियों की हो जाएगी। इसमें चार चरणों में छह एयरस्ट्रिप बनेंगी। अभी एक पर कार्य चल रहा है। अभी एप्रन में 25 प्लेन एक साथ खड़े हो सकते हैं और 8 एयरोब्रिज हैं।

अभी तक 1.1 लाख मीट्रिक टन सीमेंट का इस्तेमाल
यह प्रोजेक्ट न केवल एयरपोर्ट कनेक्टिविटी देगा, बल्कि देश के बहुत बड़े एयरहब के तौर पर विकसित होगा। बल्कि साथ ही अभी तक इसने देश की अर्थव्यवस्था में भी बहुत बड़ा योगदान दिया है। इस वृहद कार्य में अभी तक 37 मिलियन सुरक्षित मानव घंटे सृजित हो चुके हैं। इसके अलावा 1.1 लाख मीट्रिक टन सीमेंट, 1.7 मीट्रिक टन कंक्रीट एग्रीगेट, 40 हजार मीट्रिक टन स्टील और 40 हजार मीट्रिक टन फ्लाई ऐश आदि का इस्तेमाल हो चुका है। ये सभी अर्थ व्यवस्था को सीधे आगे बढ़ा रहे हैं।

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