गाजियाबाद और नोएडा का चिंताजनक मुद्दा : सरकारी स्कूलों पर गवर्नमेंट ने खर्च किए सैकड़ों करोड़ रुपये, फिर भी नहीं हो रहे एडमिशन

नोएडा | 5 महीना पहले | Mayank Tawer

Google Photo | प्रतीकात्मक फोटो



Ghaziabad and Noida News : गाजियाबाद और नोएडा के जिला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि इन शहरों के 230 से अधिक सरकारी स्कूलों में 50 से कम छात्र नामांकित हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार इस स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न पहल शुरू की गई हैं।

गौतमबुद्ध नगर में 511 सरकारी स्कूल
गौतमबुद्ध नगर जिले में जहां कुल 511 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, वहां के 152 स्कूलों में छात्रों की संख्या बेहद कम है। उन स्कूलों में छात्रों की संख्या बेहद कम है। इनमें से 125 प्राथमिक, 15 उच्च प्राथमिक और 17 समग्र विद्यालय शामिल हैं। गाजियाबाद में भी 82 से अधिक ऐसे स्कूल हैं जहां नामांकन बेहद कम है, जिनमें से 63 प्राथमिक और 5 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं।  

"स्कूल चलो अभियान" का कोई असर नहीं
अधिकारियों के अनुसार, इन कम नामांकन वाले स्कूलों में से अधिकांश जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों जैसे जेवर, दनकौर और दादरी में स्थित हैं। गाजियाबाद के बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव ने बताया कि स्कूलों से कम नामांकन के कारणों के बारे में जानकारी मांगी गई है और "स्कूल चलो अभियान" जैसे कार्यक्रमों के जरिए नामांकन बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।

सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति
हालांकि, कई अभिभावकों ने बताया कि सरकारी स्कूलों की खराब स्थिति के कारण वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना पसंद करते हैं। एक शिक्षक ने बताया कि शिक्षकों की कमी भी कम नामांकन का एक बड़ा कारण है क्योंकि इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

अकेले गौतमबुद्ध नगर के स्कूलों पर 300 करोड़ रुपये खर्च
उत्तर प्रदेश सरकार ने गौतमबुद्ध नगर में पिछले 5 वर्षों में लगभग 300 करोड़ रुपये का निवेश स्कूलों के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए किया है। हालांकि, अभिभावक और शिक्षक दोनों का मानना है कि शिक्षकों की भर्ती और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है।

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