गौतमबुद्ध नगर : टीचर समेत दो लोगो ने की आत्महत्या, सुसाइड के मामलों को देख एक्सपर्ट्स भी हैरान

नोएडा | 3 साल पहले | Mayank Tawer

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो



गौतमबुद्ध नगर में मंगलवार को दो लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी। जिले में आत्महत्या के मामले एक्सपर्ट्स के लिए भी हैरानी का सबब बने हुए हैं। गौतमबुद्ध नगर पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि थाना फेस-3 के मामूरा गांव में एक पीजी में रहने वाले अध्यापक सुमित सिंह का शव सोमवार रात को पीजी स्थित उसके कमरे में मिला। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद था। पुलिस ने दरवाजा खोलने-खुलवाने की पूरी कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली। अंत में पुलिस दरवाजा तोड़ कर कमरे में अंदर गई। वहां सुमित की लाश पड़ी हुई थी। प्रथम दृष्टया पुलिस का मानना है कि युवक किसी मानसिक तनाव में था और उसने कोई जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान दी। 

प्रवक्ता ने बताया कि पुलिस को मृतक के कमरे से शराब की बोतलें भी मिली हैं। पुलिस हर एंगल को ध्यान में रखते हुए मामले की जांच कर रही है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। दूसरे मामले में थाना फेस-2 क्षेत्र के गेझा गांव में शिव कुमार (25 वर्ष) ने सोमवार रात अपने घर पर पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली। शिव मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का रहने वाला था। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस आत्महत्या की वजहों का पता लगा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का भी इंतजार है। फिलहाल पुलिस आसपास के लोगों और पहचान वालों से पूछताछ कर रही है।

रोजाना कोई न कोई मौत को गले लगा रहा है
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रोजाना कोई ना कोई मौत को गले लगा रहा है। मतलब, गौतमबुद्ध नगर जिले में औसतन रोजाना एक व्यक्ति सुसाइड कर रहा है। बड़ी बात यह है कि कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू होने और इस महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के बाद आत्महत्या करने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। गौतमबुद्ध नगर पुलिस और मनोचिकित्सकों का कहना है कि नौकरी चले जाने, कारोबार डूबने, आर्थिक नुकसान और मौजूदा माहौल की नकारात्मकता लोगों को आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर कर रही है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सकारात्मक सोच और अपने लोगों का सहयोग इस समस्या का एकमात्र समाधान हैं।

कोई हुआ कर्जदार तो कोई बेरोजगार
इन आत्महत्याओं के मामलों की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर ऐसे लोग हैं, जो लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हो गए हैं। उनके कारोबार डूब गए हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी ज्यादा है, जिनके ऊपर भारी कर्ज है और चुकाने का दबाव है। दूसरी ओर आमदनी खत्म हो जाने के कारण संकट में घिर गए हैं। इन सारे दबावों में आत्मघाती कदम लोग उठा रहे हैं। बड़ी बात यह है कि आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं के मुकाबले करीब तीन गुनी है।

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