नोएडा से बड़ी खबर : पूर्व IAS अफसर राकेश बहादुर और MI बिल्डर के ठिकानों पर आयकर विभाग की रेड, करोड़ों के लेन-देन का खुलासा

नोएडा | 11 दिन पहले | Mayank Tawer

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Noida News : आयकर विभाग ने रियल एस्टेट कंपनी एमआई बिल्डर्स के ठिकानों पर छापेमारी के साथ-साथ नोएडा में पूर्व आईएएस अधिकारी राकेश बहादुर के आवास पर भी तलाशी ली। नोएडा के जेपी ग्रीन टाउनशिप में स्थित बहादुर के विला में पुलिस की मौजूदगी में आयकर टीम ने गहनता से जांच की। सूत्रों के अनुसार बहादुर ने अपनी काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा एमआई बिल्डर्स में निवेश किया था। बहादुर विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की सरकारों में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं।

पूछताछ में बयान दर्ज हुए
सूत्रों की मानें तो एमआई बिल्डर्स पर की गई छापेमारी में बहादुर के नोएडा स्थित विला का पता चलते ही आयकर विभाग ने फौरन सर्च वारंट लेकर उनकी संपत्तियों की छानबीन शुरू की। वहां से करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति के दस्तावेज और निवेश से संबंधित अन्य अहम प्रमाण मिले हैं। अधिकारियों ने पूर्व आईएएस बहादुर से पूछताछ कर उनके बयानों को दर्ज कर लिया है।  

एमआई बिल्डर्स संचालक से भी पूछताछ
लखनऊ में एमआई बिल्डर्स के मालिक मोहम्मद कादिर अली से भी बहादुर के साथ उनके व्यापारिक संबंधों पर सवाल किए जा रहे हैं। जांच में अब तक दोनों के बीच करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय लेन-देन के सुराग मिल चुके हैं जो संपत्ति दस्तावेजों की समीक्षा के बाद और अधिक साबित हो सकते हैं। 

लाटूश रोड के तीन कारोबारियों समेत अन्य वेंडरों पर भी छापेमारी
आयकर विभाग की टीमें एमआई बिल्डर्स को निर्माण सामग्री की आपूर्ति करने वाले वेंडरों और लाटूश रोड के तीन प्रमुख कारोबारियों के ठिकानों पर भी पहुंचीं। इनमें बिजली के उत्पादों की प्रमुख फर्म भी शामिल है, जहां से करोड़ों की नकदी लेन-देन के साथ हजारों की संख्या में फर्जी बिल भी बरामद किए गए हैं। इन बिलों का उपयोग कर बड़े स्तर पर कर चोरी किए जाने की पुष्टि हुई है। निरालानगर स्थित अंकुर ट्रेडर्स के ठिकानों पर भी बृहस्पतिवार को कार्रवाई समाप्त कर दी गई है।

नोएडा भूमि घोटाले में भी नाम आया था
पूर्व आईएएस बहादुर का नाम बसपा सरकार के दौरान नोएडा भूमि घोटाले में भी आया था। इस मामले में उन पर सीबीआई ने भी जांच की थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश से दूर रखने का आदेश दिया था। हालांकि, बाद में सपा सरकार के कार्यकाल में बहादुर को दोबारा नोएडा में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात कर दिया गया था।

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