नोएडा में 'यमुना नदी की हत्या' : जलधारा तक माफिया ने बनाए फार्म हाउस, सिस्टम मौन क्यों?

नोएडा | 3 साल पहले | Pankaj Parashar

Tricity Today | नोएडा में



Noida News : नोएडा शहर उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी है। यहां रहने वाले लोग देश के चार महानगरों के बाद सबसे ज्यादा कमाते हैं। इस कमाई पर माफिया की नजर है। दूसरी तरफ खुद लोगों कीमत चुकानी पड़ रही है। दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में नोएडा शुमार है। इस शहर में वायु प्रदूषण चरम पर है। सवाल यह उठता है, आखिर इस प्रदूषण के लिए कौन जिम्मेदार है? आम आदमी तो रोजमर्रा की जिंदगी में मशगूल है। दूसरी तरफ माफिया पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करके करोड़ों कमा रहा है। नोएडा में यमुना नदी की हत्या हो चुकी है। पूरा रिवरबेड कंक्रीट में बदल चुका है। यमुना के खादर क्षेत्र से हरियाली गायब है। वहां बड़े-बड़े फार्म हाउस बन चुके हैं। हर दिन कोई ना कोई नया फार्म हाउस बनकर खड़ा हो जाता है। यमुना नदी की धारा तक इन फार्म हाउसेस की दीवारें खड़ी हुई हैं। कंक्रीट की सड़कें नदी तक पहुंच चुकी हैं। तीन-तीन मंजिला इमारतें यहां हैं। सवाल यह उठता है कि सिस्टम कहां है?



कालिंदी कुञ्ज से असदुल्लाहपुर तक यमुना खादर खत्म
नोएडा में कालिंदी कुञ्ज से लेकर असदुल्लाहपुर गांव तक यमुना नदी का खादर पूरी तरह खत्म हो चुका है। करीब 6 किलोमीटर के इस दायरे में बड़े-बड़े फार्म हाउस बनाकर माफिया बेच रहा है। यहां दिल्ली-एनसीआर ही नहीं चंडीगढ़, लखनऊ और जयपुर तक के लोगों ने फार्म हाउस खरीद रखे हैं। माफिया ने यहां करीब 5,000 बीघा जमीन पर फार्म हाउस बनाकर बेचे हैं। बड़ी बात यह है कि सारी जमीन यमुना नदी के खादर की है। हजारों की संख्या में फार्म हाउस बनाए गए हैं। नंगली, नंगला, चक मंगरौला, नंगली साकपुर, नंगला बहरामपुर, दोस्तपुर मंगरौली, किड़वाली और असदुल्लाहपुर गांवों की यमुना खादर वाली जमीन माफिया ने बेच डाली है।



यमुना नदी में किया गया यह निर्माण गैरकानूनी
यमुना नदी में माफिया सड़कें बना रहा है और इमारतें खड़ी कर रहा है। यह पूरी तरह गैरकानूनी है। फार्म हाउसों की पक्की और ऊंची दीवारें बनाई गई हैं। कई मंजिला इमारत फार्म हाउस के नाम पर हैं। इमारतों के भीतर तमाम तरह के उपकरण और सामान इस्तेमाल हो रहे हैं। जिनका प्रवेश यमुना खादर में पूरी तरह प्रतिबंधित है। इतना ही नहीं, यहां माफिया ने फार्म हाउस बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पुराने वृक्षों की कटाई की है। यमुना नदी का पूरा इकोसिस्टम खत्म कर दिया गया है। बड़े पैमाने पर कंक्रीट, सीमेंट और स्टील का उपयोग निर्माण गतिविधियों में हुआ है। पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ ने इस पर कहा, "इसमें कोई दोराय नहीं कि नोएडा के खादर क्षेत्र को बर्बाद कर दिया गया है। यह बात एकदम सही है कि माफिया यमुना ने नदी की हत्या कर दी है। मैं बीते बुधवार को ही इस इलाके में गया था। नदी की धारा को नियमित करने उस के लिए कंक्रीट की दीवारें खड़ी कर दी गई हैं। कई-कई किलोमीटर लम्बी डामर और आरसीसी रोड बनाई गई हैं।"



यमुना का पूरा इकोसिस्टम माफिया ने खत्म किया
नोएडा के पास इस जमीन की कीमत बहुत ऊंची है। लोग यमुना नदी के किनारे दिल्ली और नोएडा के नजदीक फार्म हाउस देखकर ललायित हो जाते हैं। केंद्र सरकार के वाटरमैन अवार्ड से सम्मानित विक्रांत तोंगड़ ने कहा, "यहां एक शहर बसा दिया गया है। जिसमें रहने वाले लोगों का सीवर सीधे नदी में जा रहा है। कूड़ा, प्लास्टिक और गार्बेज से पूरा इलाका भरा पड़ा है। इससे यमुना नदी बुरी तरह प्रभावित है। नदी के जलीय जीवों पर संकट है। यहां निर्माण इस ढंग से किया गया है कि नदी अपना बहाव नहीं बदल पा रही है। यह नदी के लिए बेहद घातक है। यमुना का खादर एक तरफ नोएडा और दूसरी ओर दिल्ली के फेफड़ों का काम करता है। यहां की हरियाली प्रदूषण से लड़ने में मददगार थी। जिसे भूमाफिया ने खत्म कर दिया है।" विक्रांत आगे कहते हैं, "फार्म हाउस बनाने के लिए यहां पुराने पेड़ों को बड़े पैमाने पर काटा गया है। अब अपनी अवैध गतिविधियां ढंकने के लिए अनुपयुक्त वृक्ष लगाए गए हैं।"



बड़े पैमाने पर वन्यजीवों का शिकार किया गया
यमुना नदी के खादर क्षेत्र में घना जंगल था। जिसमें बड़ी संख्या में वन्य जीव पाए जाते थे। स्थानीय ग्रामीण समय सिंह चौहान ने बताया, "जब तक यहां फार्म हाउस जैसी अवैध गतिविधियां शुरू नहीं हुई थीं, तब तक बड़ी संख्या में काले हिरण, नीलगाय, सारस, बारहसिंघा हिरन और चीतल जैसे वन्यजीव यहां रहते थे। इन वन्य जीवों की संख्या बहुत ज्यादा थी। जैसे-जैसे यमुना खादर क्षेत्र में अवैध फार्म हाउस बनने शुरू हुए, उसके साथ ही यहां से वन्यजीव पलायन करने लगे। इन फार्म हाउस में आने वाले लोग वन्य जीवों का शिकार करते हैं। वन विभाग, सिंचाई विभाग, नोएडा अथॉरिटी और नोएडा पुलिस के अफसरों की मिलीभगत भूमाफिया से रही है। जिसकी वजह से इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है।"



रोकने की जिम्मेदारी नोएडा अथॉरिटी की : डीएम
सवाल यह उठता है कि आखिर यह अवैध कारोबार चल कैसे रहा है? इस पर गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई का कहना है, "जब नोएडा अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और चेयरमैन रमा रमण थे, उस वक्त इस मसले पर सीमा निर्धारण किया गया था। यमुना नदी का खादर क्षेत्र नोएडा अथॉरिटी को दे दिया गया था। वहां चल रही अवैध गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी और अवैध निर्माण को तोड़ने का अधिकार नोएडा अथॉरिटी के पास है। हमने अपने स्तर पर जमीन की खरीद-फरोख्त को नियमित किया है। जिस तरह यमुना नदी के खादर क्षेत्र में निर्माण किया जा रहा है, यह नदी के इकोसिस्टम के लिए खतरनाक है।" दूसरी ओर इस मामले पर पक्ष रखने के लिए यमुना प्राधिकरण के अफसरों से संपर्क किया जा रहा है। अभी प्राधिकरण की ओर से किसी सक्षम अधिकारी का बयान नहीं मिला है। 



खास बात यह है कि पूरे इलाके में जहां फार्म हाउस का अवैध निर्माण चल रहा है, वहीं जगह-जगह नोएडा अथॉरिटी के बड़े-बड़े बोर्ड लगे हुए हैं। जिन पर बाकायदा चेतावनी लिखी गई है, "सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि यह भूमि नोएडा प्राधिकरण का अधिसूचित क्षेत्र है। यहां फार्म हाउस का निर्माण करना नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुसार अवैधानिक है। नोएडा प्राधिकरण की अनुमति के बिना इस जमीन की खरीद-फरोख्त करना भी गैरकानूनी है।"

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