नोएडा में सुपरटेक को दोहरी मार : एनसीएलएटी ने एक और कंपनी पर चलाया दिवालियापन का डंडा, निवेशकों की बढ़ी परेशानी

नोएडा | 4 महीना पहले | Nitin Parashar

Tricity Today | Supertech Builder



Noida News : दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख भू-विकास समूह सुपरटेक के लिए मुसीबतों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने इस समूह की एक और महत्वपूर्ण कंपनी के विरुद्ध दिवालिया प्रक्रिया का शुभारंभ कर दिया है। यह निर्णय यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में विशाल गोल्फ कंट्री परियोजना का निर्माण कर रही सुपरटेक टाउनशिप प्राइवेट लिमिटेड के संदर्भ में लिया गया है।  सुपरटेक के इस विवादित प्रोजेक्ट में लगभग 3200 खरीदार हैं।

ग्रुप हाउसिंग परियोजना से जुड़ा मामला 
इस गंभीर कार्यवाही का मूल कारण पंजाब एंड सिंध बैंक द्वारा दायर की गई याचिका है। बैंक का आरोप है कि कंपनी पर उनका 216 करोड़ रुपये से अधिक का उधार बकाया है। बैंक के प्रतिनिधियों ने न्यायालय को अवगत कराया कि उन्होंने 18 मार्च 2013 को सुपरटेक की इस शाखा को 140 करोड़ रुपये का उधार प्रदान किया था। यह उधार यमुना एक्सप्रेसवे पर स्थित गोल्फ कंट्री प्लॉट नंबर टीएस-5 सेक्टर-22डी में एक विशाल ग्रुप हाउसिंग परियोजना के निर्माण हेतु दिया गया था।

कई बार नोटिस जारी
कंपनी ने इस उधार की किस्तें चुकाने में घोर लापरवाही दिखाई और 30 जून 2023 तक बैंक का बकाया बढ़कर 216 करोड़ 90 लाख 87 हजार रुपये के विशाल आंकड़े तक पहुंच गया। बैंक ने इस संबंध में कंपनी को कई बार नोटिस जारी किए, लेकिन कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। अंतत एनसीएलटी ने इस जटिल मामले में विस्तृत सुनवाई के पश्चात कंपनी के विरुद्ध दिवालिया घोषित करने की गंभीर प्रक्रिया शुरू कर दी है। न्यायाधिकरण ने इस कंपनी के लिए आईआरपी के रूप में उमेश सिंघल को नियुक्त किया है।

यमुना प्राधिकरण ने किया भूखंड आवंटन को निरस्त
इसी बीच यमुना प्राधिकरण की 26 जून को आयोजित बोर्ड बैठक में इसी परियोजना के भूखंड आवंटन को निरस्त करने का विवादास्पद प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव को लेकर बाद में गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया था। आरोप लगाया गया था कि अधिकारियों ने तथ्यों को छिपाकर इस प्रस्ताव को बोर्ड बैठक में प्रस्तुत किया था, जबकि यह मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इस संवेदनशील मामले में प्राधिकरण के विधि और ग्रुप हाउसिंग विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध जांच प्रक्रिया जारी है।

सुपरनोवा प्रोजेक्ट को लगा झटका 
यह सुपरटेक समूह के लिए दूसरा बड़ा झटका है। एक माह पहले ही सुपरटेक रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के विरुद्ध भी इसी प्रकार की कार्यवाही की गई थी। यह कंपनी एनसीआर के सबसे ऊंचे प्रोजेक्ट, सुपरनोवा का निर्माण कर रही है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र की याचिका पर यह कंपनी दिवालिया घोषित हुई थी। बैंक का दावा है कि कंपनी पर उनका 168 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। इस परियोजना पर लीज रेंट और अन्य मदों में नोएडा प्राधिकरण का भी 2100 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। इन वित्तीय अनियमितताओं के कारण पिछले तीन वर्षों से इस परियोजना में रजिस्ट्री सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं स्थगित हैं।

निवेशकों और ग्राहकों में हलचल
इन घटनाक्रमों ने रियल एस्टेट क्षेत्र में हलचल मचा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति न केवल सुपरटेक समूह के लिए, बल्कि समूचे रियल एस्टेट उद्योग के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह घटना इस बात का संकेत है कि वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता की कमी किस प्रकार एक बड़े और प्रतिष्ठित निर्माता को भी विपदा में डाल सकती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सुपरटेक समूह इन चुनौतियों से कैसे निपटता है और क्या वह अपने निवेशकों और ग्राहकों का विश्वास पुन अर्जित कर पाता है।

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