बड़ी खबर: मामूली चोट ने ली 13 साल के अनंत की जान, शहर के तीन बड़े हॉस्पिटल की लापरवाही सामने आई, पढ़ें पूरी खबर

नोएडा | 4 साल पहले |

Tricity Today | ऐड़ी की मामूली चोट ने ली 13 साल के अनंत की जान



यूपी की शान गौतमबुद्ध नगर के तीन बड़े अस्पताल मिलकर भी 13 साल के अनंत की एड़ी में लगी चोट ठीक नहीं कर सके और एक मेधावी छात्र डॉक्टरों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया। इस पूरे प्रक्ररण में शहर के 3 प्राइवेट हॉस्पिटल और अनंत का इलाज करने वाले डॉक्टरों की काबिलियत पर सवाल उठ रहा है। एड़ी में लगी चोट की वजह से 13 साल के किशोर को नोएडा जैसे शहर में अपनी जान गंवानी पड़ी। अनंत के पिता शिव नारायण चौबे ने गौतमबुद्ध नगर के सीएमओ डॉक्टर दीपक ओहरी से भेंट कर अपनी शिकायत दर्ज कराई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने पीड़ित पिता को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है। 

यह है पूरा मामला
शिव नारायण चौबे पुत्र स्वर्गीय गिरिजा प्रसाद चौबे नोएडा के सेक्टर-53 में स्थित घिझौड़ गांव के राइजिंग होम सोसाइटी में रहते हैं। सीएमओ को दिए शिकायती पत्र में उन्होंने लिखा है कि, “22 मार्च को दोपहर में करीब 2:00 बजे खेलते वक्त उनके 13 साल के पुत्र अनंत चौबे को एड़ी में चोट लग गई। उन्होंने अनंत को सेक्टर-119 में स्थित त्रिपाठी हॉस्पिटल में दिखाया। उस वक्त हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर समीर ने अनंत का एक्सरे कराया और 5 दिनों की दवा देकर उन्हें वापस भेज दिया। डॉक्टर ने कहा कि आप कल एक बार और डॉ बीके त्रिपाठी से अनंत का एक्सरे दिखा लेना। क्योंकि मैं फ्रैक्चर की पुष्टि नहीं कर पा रहा हूं। अगले दिन 23 मार्च को अनंत और शिव नारायण चौबे फिर त्रिपाठी हॉस्पिटल पहुंचे। एक्सरे देखने के बाद डॉक्टर बीके त्रिपाठी ने कहा कि पैर में फ्रैक्चर नहीं है। उन्होंने भी 5 दिनों की दवा देकर अनंत को वापस भेज दिया। लेकिन दोनों डॉक्टरों की सुझाई दवा से सिर्फ 2 से 3 घंटे ही दर्द से राहत मिलती थी।”

बेटे के दर्द को देखते हुए हॉस्पिटल बदला
इससे परेशान पिता शिव नारायण चौबे ने हॉस्पिटल और डॉक्टर बदलने का फैसला लिया। चिट्ठी में आगे लिखा है, “ वह 24 मार्च को अनंत को लेकर शहर के सेक्टर-41 में स्थित प्रयाग हॉस्पिटल गए। जहां डॉक्टर वीपी सिंह ने उनके पुत्र के साथ अभद्र व्यवहार किया। उन्होंने एक्सरे रिपोर्ट को पूरी तरह बिना देखे ही अनंत के ऐड़ी से लेकर घुटने के ऊपर तक प्लास्टर लगा दिया। 7 दिनों की दवा देकर उन्होंने अनंत को घर भेज दिया।” शिकायत में कहा गया है कि, “उस दवा को खाने से अनंत बेचैन रहता था। यहां तक कि सुबह 7:00 बजे दूसरी खुराक देने के बाद वह नशे की हालत में आ गया। उसके चेहरे से पसीना छूट रहा था और उसके हाथ-पैर ठंडे पड़ रहे थे। इससे घबराकर अनंत के पिता ने 25 मार्च की सुबह प्रयाग हॉस्पिटल में कॉल किया।

डॉक्टर ने दिलाया झूठा भरोसा
अस्पताल के इमरजेंसी में डॉक्टर सचिन से उनकी बात हुई। उन्होंने सचिन को पूरी स्थिति से अवगत कराया। डॉक्टर सचिन ने कहा कि अभी अनंत की उम्र सिर्फ 13 साल है। इसलिए उसका ब्लड प्रेशर कम होने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दवा और प्लॉस्टर से कोई परेशानी नहीं है। वह बेफिक्र हो कर रहें। उन्हें हॉस्पिटल आने की जरूरत नहीं है। उन्होंने आश्वस्त किया कि अनंत 7 दिनों में ठीक हो जाएगा। मगर अनंत की हालत लगातार बिगड़ती गई। कॉल के कुछ घंटे बाद ही दोपहर 3:00 बजे शिव नारायण चौबे अपने बेटे अनंत को लेकर फिर प्रयाग हॉस्पिटल पहुंचे। करीब साढ़े तीन घंटे के इंतजार के बाद शाम 6:30 बजे डॉ सचिन हॉस्पिटल पहुंचे।

गलती समझ में आने पर दूसरे अस्पताल भेजा
अनंत की हालत को देखते ही उन्हें पूरा माजरा समझ में आ गया। अन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने अनंत के पैर पर लगे प्लॉस्टर को हटाना शुरू करा दिया। इससे अनंत के पैर में भी कई जगह जख्म हो गए। प्रयाग हॉस्पिटल के डॉक्टर सचिन ने कहा कि दवा रिएक्शन कर चुकी है। डॉक्टर वीपी सिंह कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं। इसलिए अपने बेटे को किसी बड़े अस्पताल में ले जाएं और उसकी जान बचाएं। उन्होंने आनंद को सेक्टर-27 स्थित कैलाश हॉस्पिटल में रेफर कर दिया। 25 मार्च की देर शाम करीब 8:00 बजे अनंत को कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती कर लिया गया। वहां रात 10:00 बजे सीटी स्कैन करते हुए डॉक्टरों ने बताया कि अनंत की सांस रुक गई है। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है। अगले दिन सुबह 8:47 बजे कैलाश हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने अनंत को मृत घोषित कर दिया।” 

पिता न्याय की गुहार लगा रहे हैं
पीड़ित पिता ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी को दिए शिकायती पत्र में कहा है कि इस पूरी घटना के दौरान प्रयाग हॉस्पिटल ने जानबूझकर इलाज में लापरवाही बरती। उन्होंने पैसे के लालच में उनके पुत्र की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया। इसलिए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर प्रयाग हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द किया जाए। साथ ही संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई कर न्याय दिलाया जाए। बातचीत में अनंत के पिता ने बताया कि अगर किसी भी एक डॉक्टर ने ईमानदारी से अनंत की समस्या को समझने की कोशिश की होती, तो उनका बेटा जीवित होता।

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