जी हां! ये नोएडा ही है: देखिए कैसे शहर को निखार रहा है स्वच्छता अभियान

नोएडा | 4 साल पहले | Mayank Tawer

Tricity Today | Noida



नोएडा शहर! यह ख्याल आते ही हाइटेक सिटी, आईटी हब, यूपी की शो विंडो और उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी, यह सारे खिताब इस शहर के सेहरे में सजे नजर आने लगते हैं। लेकिन करीब दो साल पहले तक शहर में आने वाले लोग बेतरतीब ट्रैफिक, सड़कों के किनारे लगे कूड़े के ढेर, टूटे-फूटे फुटपाथ और बदहाल ग्रीन बेल्ट देखकर हैरान-परेशान हो जाते थे। अगर किसी महिला या पुरुष को लघु शंका की जरूरत पड़ जाए तो कोई इंतजाम नहीं था। कंपनियों की बड़ी-बड़ी दीवारों, पार्कों और तमाम सार्वजनिक स्थानों पर खुले पेशाब घर शहर की शान पर बट्टा लगाते नजर आते थे।

करीब 3 साल पहले नोएडा विकास प्राधिकरण में शहर को स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनाया। शहर को संवारने की कवायद शुरू की गई। पहले साल में कोई खास कामयाबी नहीं मिल पाई, बल्कि देश के छोटे-छोटे शहरों के मुकाबले नोएडा की रैंकिंग शर्मसार करने वाली आई। करीब 2 साल पहले गाजियाबाद से स्थानांतरित करके ऋतु महेश्वरी नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी बनाई गईं। इसके साथ ही स्वच्छता अभियान ने शहर में रफ्तार पकड़ी। अब पिछले 2 वर्षों में साफ सफाई के मामले में नोएडा ने तेजी से कदम बढ़ाए हैं। 



नोएडा के सेक्टर-34 में रहने वाले और आईटी प्रोफेशनल प्रमोद कुमार शर्मा का कहना है, "मैं रोजाना अपनी सोसाइटी से निकलता था। सेक्टर-34 के नाले पर पहुंचते ही गंदगी के ढेर स्वागत करते थे। इसके बाद सिटी सेंटर, नोएडा स्टेडियम और शहर की बड़ी-बड़ी सड़कों के किनारे ढलाव घर हालत खराब कर देते थे। यह देखकर तो अचरज भी होता था और शर्म भी आती थी कि नोएडा स्टेडियम की दीवारों पर ही लोग पेशाब करते दिखते थे। कई बार तो कई-कई लोग लाइन लगाकर पेशाब करते देखे जा सकते थे। इसमें कोई शक नहीं है कि पिछले 2 वर्षों के दौरान नोएडा ने स्वच्छता अभियान के तहत बड़ा बदलाव हासिल किया है। अब शहर के मुख्य मार्गों पर सार्वजनिक शौचालय और पिंक टॉयलेट ने बड़ी राहत दी है। सड़कों से ढलाव घर खत्म कर दिए गए हैं।"

गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में रहने वाले और बैंकर दीपक कुमार रोजाना नोएडा में अपने ऑफिस आते हैं। दीपक का कहना है, "नोएडा में बेतरतीब ट्रैफिक और कूड़े का ढेर बहुत निराश करते थे। नोएडा की मौजूदा सीईओ ऋतु महेश्वरी ने गाजियाबाद में जिलाधिकारी और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष रहते स्वच्छता अभियान में बड़ी उपलब्धियां हासिल की थीं। उनका गाजियाबाद का अनुभव बेशक नोएडा के बहुत काम आया है। वह करीब 2 वर्षों से नोएडा में तैनात हैं और इस दौरान नोएडा खूबसूरत और साफ सुथरा नजर आने लगा है। जिन दीवारों पर लोगों को पेशाब करने से रोकने के लिए जुमले लिखे नजर आते थे, आज वहां खूबसूरत वॉल पेंटिंग हैं। जिसकी बदौलत लोगों को खुले में यह सब करने पर शर्म आने लगी होगी। सबसे बड़ा काम प्राधिकरण ने पूरे शहर में सार्वजनिक शौचालय बनाकर किया है।" दीपक का कहना है कि अगर आप लोगों को खुले में पेशाब करने से रोकना चाहते हैं तो उन्हें प्रसाधन तो मुहैया करवाना होगा



पंजाब कैडर से रिटायर्ड आईएएस कांति कुमार सिंह नोएडा में ही रहते हैं। उनका कहना है, "रिटायर होने के बाद मेरे पास घर बनाने के दो विकल्प थे। एक और चंडीगढ़ और दूसरी तरफ नोएडा था। बच्चे आईटी प्रोफेशनल हैं। गुड़गांव और नोएडा में काम कर रहे थे। मैंने चंडीगढ़ के मुकाबले नोएडा को चुन लिया। कुछ साल बाद हमें एहसास होने लगा कि हमारा फैसला गलत है। दरअसल, नोएडा कहने के लिए तो आईटी हब और यूपी की शो विंडो है, लेकिन साफ-सफाई और जन सुविधाओं को लेकर बेहद खराब दशा थी। पिछले 2 वर्षों में वाकई शहर में साफ-सफाई को लेकर शानदार काम हुआ है। अब शहर साफ-सुथरा दिखने लगा है। पिछले साल स्वच्छ भारत मिशन के तहत नोएडा को 25वीं रैंक पर देखकर बड़ी खुशी हुई। मेरा मानना है कि जन सहभागिता के बिना कोई भी लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है। लेकिन जब जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी में इच्छाशक्ति नजर आती है तो आम आदमी उसके साथ जुड़ने लगता है। नोएडा में अब यह माहौल बनने लगा है।

वह आगे कहते हैं, "नोएडा औद्योगिक शहर है, लेकिन लाखों प्रोफेशनल यहां रह रहे हैं। इसे अब तक औद्योगिक शहर मानकर सिविल सर्विसेज के मामले में नजरअंदाज किया जाता रहा है। पहली बार ऋतु महेश्वरी ने इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम और सिविक सर्विसेज को साथ जोड़कर बड़े बदलाव की ओर कदम बढ़ाया है। ऐसे में शहर के लोगों को विकास प्राधिकरण का सहयोग करना चाहिए।" नोएडा शहर की सबसे बड़ी औद्योगिक संस्था नोएडा एंटरप्रिन्योर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन मल्हन कहते हैं, "शहर में उद्योगों, बाजार और आवासीय सेक्टरों में लोगों की एक रूटीन टेंडेंसी थी। घर, फैक्ट्री और दुकान से निकला कूड़ा बाहर फेंक दिया। प्राधिकरण वाले हफ्ते में एक या दो बार चक्कर लगाते थे। गाड़ियों में भरकर कूड़ा ले जाते थे। इस दौरान कूड़ा सड़कों पर पड़ा रहता था। आवारा जानवर इधर-उधर बिखेरते रहते थे। दूसरी ओर पॉलीथिन प्लास्टिक और तमाम ठोस वस्तुओं के साथ कूड़े के बड़े-बड़े ढेर शहर के अलग-अलग हिस्सों में लग चुके थे। कूड़े के इन पहाड़ों को री-साइकिल करने की प्राधिकरण के पास कोई पुख्ता योजना नहीं थी। शहर में जहां कहीं भी डंपिंग यार्ड बनाने की बात शुरू होती, वहां रहने वाले आस-पास के गांव और शहर आंदोलन पर उतारू हो जाते थे। अब प्राधिकरण ने कूड़े का समाधान करने के लिए एक मुकम्मल योजना पर काम शुरू किया है। लोग प्राधिकरण की अवधारणा को समझ रहे हैं। कूड़े के समाधान को लेकर जागरूकता आई है।"



नोएडा विकास प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी ने बताया, "शहर में स्वच्छता अभियान के अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं। हाल ही में प्राधिकरण ने नोएडा में 'आदर्श वेंडिंग ज़ोन' स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की है। इससे शहर में स्वच्छता और सुंदरता के नये दृश्य की अनुभूति होगी। शहर की सड़कों के किनारे अवैध अतिक्रमण से भी मुक्ति मिलेगी।" शहर में लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। इसी सप्ताह स्वच्छता पर वीडियो मेकिंग और जिंगल मेकिंग कंपटीशन के विजेताओं की घोषणा की गई है। आने वाले दिनों में कई और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। जिनके जरिए स्वच्छता अभियान में जन सहभागिता बढ़ेगी।

नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक राजीव त्यागी ने बताया, कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत शहर की बड़ी कंपनियां और गैर सरकारी संगठन वॉल पेंटिंग अभियान चला रहे हैं। जिसके जरिए दीवारों के दुरुपयोग को रोका जा रहा है। साथ ही यह दीवारें स्वच्छता के लिए जागरूकता अभियान का जरिया बन गई हैं। शहर में करीब एक दर्जन स्थानों पर विकास प्राधिकरण ने प्लास्टिक वेस्ट कलेक्शन सेंटर स्थापित किए हैं। वहां जाकर लोग इकट्ठा किया गया प्लास्टिक दे सकते हैं। बदले में उपहार स्वरूप प्राधिकरण उन्हें जूट का बैग दे रहा है। इन कलेक्शन सेंटर्स पर सेल्फी प्वाइंट भी बनाए गए हैं। लोग वहां सेल्फी और फोटो लेकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। जिससे पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में भावना जागृत हो रही है।

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