नोएडा: सुप्रीम कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में सुनाया फैसला, प्राधिकरण को बहुचर्चित स्कीम के प्लॉट नीलामी की अनुमति मिली

नोएडा | 4 साल पहले | Harish Rai

Tricity Today | शीर्ष अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को सौंपी अहम जिम्मेदारी



नोएड में साल 2006 में फाइव और थ्री स्टार होटल विकसित करने के लिए आवंटित भूखंडों से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। इसके मुताबिक नोएडा प्राधिकरण को इन भूखंडों को फिर से नीलाम करने का अधिकार दिया गया है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को भूखंडों के लिये पट्टा अनुबंध के क्रियान्वयन को लेकर नोएडा अथॉरिटी और निजी कंपनियों के बीच गतिरोध दूर करने के लिये समाधान पेश किया। इसके तहत इन भूखंडों की तीन महीने के भीतर नये सिरे से ई-नीलामी करने का आदेश दिया गया है। 

होटल निर्माण के लिए आवंटित हुई थी जमीन
इन जमीनों पर 2010 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों से पहले होटल बनने थे। न्यायालय ने इन भूखंडों के लिये योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत जो भूखंड होटल बनाने के लिये निजी कंपनियों के पास हैं, उसे नोएडा प्राधिकरण को वापस दिया जाएगा। प्राधिकरण इनकी नये सिरे से ई-नीलामी करेगा। इससे जो राजस्व मिलेगा, उसमें से कंपनियों की जमा की हुई राशि को ब्याज सहित लौटाया जाएगा। 

तीन महीने में ब्याज सहित भुगतान करे प्राधिकरण    
न्यायाधीश यूयू ललित, न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा और न्यायाधीश कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा, ''नोएडा प्राधिकरण विवाद में उलझे भूखंडों की तीन महीने में नीलामी करेगा या ई-बोलियां लगाएगा। पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह से नोएडा अथॉरिटी पर निर्भर है कि वह किसी भी मकसद के लिये भूखंडों को एक साथ या फिर अलग-अलग बेचे। इन जमीनों की बिक्री से होने वाली आय में से याचिकाकर्ताओं को ब्याज सहित भुगतान करना होगा। इसके लिए अदालत ने तीन महीने का वक्त दिया है। मगर यह सिर्फ उन्हीं पर लागू होगा, जिन्होंने इसका विकल्प चुना है।

किसी को फायदा नहीं मिल रहा 
शीर्ष अदालत ने मौजूदा स्थिति को गतिरोध बताया। जिसकी वजह से प्राधिकरण की करोडों की संपत्ति अटकी पड़ी है। पीठ ने कहा, ''इस स्थिति से न तो जनहित का भला हो रहा है, न ही नोएडा प्राधिकरण को समय पर किस्तें मिल रही हैं। नोएडा अथॉरिटी ने साल 2006 में होटल भूखंड आवंटन योजना शुरू की थी। इसका मकसद राष्ट्रीय राजधानी में बड़े खेल आयोजन से पहले पांच-तीन स्टार होटल का निर्माण कराना था। ताकि होटलों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। 

केंद्रीय खेल मंत्रालय ने कहा था
केंद्रीय खेल मंत्रालय के आग्रह पर, प्राधिकरण ने 25 होटलों के निर्माण के लिये भूखंडों को पट्टे पर देने का निर्णय किया था। इसमें से पांच होटल फाइव स्टार बनने थे। इसके लिये आरक्षित दर 7,400 रुपये प्रति वर्ग मीटर रखा गया था। बाद में विभिन्न पक्षों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय और फिर शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर कर पट्टा अनुबंध रद्द करने का आग्रह किया। इसके लिए तमाम अड़चनों का हवाला दिया गया। शुरू में उच्च न्यायालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले पर पुनर्विचार किया। जांच में पाया गया कि आवंटन सही तरीके से नहीं किया गया था। 

राज्य सरकार आवंटन रद्द करने पर अड़ी रही
सरकार ने नोएडा प्राधिकरण को पट्टा अनुबंध समाप्त करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने मामले में आरक्षित मूल्य काफी कम होने के तर्क को देखते हुए राज्य सरकार से इस संदर्भ में पुनर्विचार करने को कहा था। बाद में, निजी कंपनियों की याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य के पट्टा अनुबंध समाप्त करने के निर्णय को खारिज कर दिया। कोर्ट ने सरकार को इस आधार पर पुनर्विचार करने को कहा कि मामले में आवंटियों के पक्ष को नहीं सुना गया था। मगर राज्य सरकार पट्टा अनुबंध समाप्त करने के फैसले पर अड़ी रही। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

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