New Delhi/Noida : सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह (Amrapali Builder) की आवास योजनाओं से जुड़े मामले को सुनवाई के लिए जनवरी में सूचीबद्ध किया है। दूसरी तरफ नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) ने कहा है कि उसे तुरंत नकदी की जरूरत है। एनबीसीसी ने अदालत को बताया है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली की कई परियोजनाओं में अप्रयुक्त पड़ा फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) बेचने की जरूरत है। इस बिक्री से मिलने वाले पैसे का उपयोग परियोजनाओं को पूरा करने में होगा। नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं। आम्रपाली समूह के फ्लैट खरीदारों की भी कुछ चिंताएं हैं।
46,000 फ्लैट पूरे करने के लिए पैसे की किल्लत
जुलाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम के तहत आम्रपाली समूह के लाइसेंस को रद्द कर दिया था। इसके बाद अदालत के आदेश पर एनबीसीसी ने आम्रपाली परियोजनाओं को अपने हाथ में ले लिया। आम्रपाली के पूर्ववर्ती प्रबंधन ने होम बॉयर्स के निवेश में हेराफेरी की थी। नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन ने अदालत को बताया कि आम्रपाली की 46,000 आवास इकाइयों का निर्माण पूरा करने में गंभीर नकदी संकट है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को आम्रपाली मामले को जनवरी में सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की है। एनबीसीसी ने अदालत को बताया कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में चुनिंदा आम्रपाली परियोजनाओं में अप्रयुक्त फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) की बिक्री के माध्यम से इकाइयों को तत्काल नकदी प्रवाह की आवश्यकता है।
बैंकों का समूह एफएआर बिक्री पर सहमत
गुरुवार को एनबीसीसी के वकील गुडिपति जी कश्यप ने कहा, 'परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एफएआर का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है।' एफएआर बिक्री का प्रस्ताव अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर और वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणि ने दिया था, जो वर्तमान में भारत के अटॉर्नी जनरल हैं। हालांकि, नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने इसका विरोध किया था। इस संबंध में रिसीवर का नोट पिछले महीने अदालत में प्रस्तुत किया गया था। अधिवक्ता आलोक कुमार ने उसका समर्थन किया। बैंकों के कंसोर्टियम ने भी समर्थन किया था। वकीलों ने कहा था कि एफएआर का मुद्रीकरण ही एकमात्र साधन है, जिसके जरिए सात बैंकों का कंसोर्टियम अपने बकाया को हासिल कर सकता है। बैंकों ने 1,500 करोड़ रुपये के ऋण प्रस्ताव को आगे बढ़ाया है। बड़ी मुश्किल से हाल ही में 250 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त बैंकों को मिली है। रिसीवर का नोट 2 नवंबर को अदालत में पेश किया गया था। इसे मामले में तत्काल सुनवाई करने की आवश्यकता है।
वेंकटरमणी के अटॉर्नी जनरल बनने से काम प्रभावित
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने रिसीवर के नोट को एक आवेदन में बदलने का निर्देश दिया है। इसे 19 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। पीठ ने कहा, "हम इस आवेदन को प्राथमिकता पर लेंगे।" वेंकटरमणि भी बेंच के सामने पेश हुए और कहा कि पिछले महीने होम बॉयर्स की ओर से किए जाने वाले भुगतान में कमी आई है। इस पर पीठ ने चिंता व्यक्त की। क्योंकि नई भूमिका के तहत वेंकटरमणि के कर्तव्यों में वृद्धि हुई। कोर्ट ने कहा, "इस मामले में आपकी मौजूदगी जरूरी होगी।'' वेंकटरमणि ने अदालत को आश्वासन दिया, "मैं इस मामले में मौजूद रहूंगा। ऐसे लोग हैं जो परियोजनाओं के लिए धन जुटाने में मेरी सहायता कर रहे हैं।" पिछले महीने वेंकटरमणि ने संकेत दिया था कि यदि अप्रयुक्त एफएआर की बिक्री नहीं होती है तो परियोजनाओं का निर्माण प्रभावित होगा और उत्तर प्रदेश सरकार को यूपीरेरा के तहत परियोजना का प्रबंधन अपने हाथ में लेना पड़ सकता है।
फ्लैट खरीदारों को नुकसान की चिंता रही
अधिवक्ता एमएल लाहोटी के नेतृत्व में घर खरीदारों ने अदालत को सूचित किया कि उन्हें रिसीवर के प्रस्ताव पर तब तक कोई आपत्ति नहीं है जब तक कि हरे क्षेत्र और निवासियों के लिए खुली जगह को नुकसान नहीं पहुंचता है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई के वक्त भी खरीदारों ने विरोध जाहिर किया था। हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट खरीदारों के रुख पर नाराजगी जाहिर की थी।