Noida News : लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद लगातार तबादला एक्सप्रेस चला दौड़ रही है। पिछले एक सप्ताह से तबादला एक्सप्रेसवे को तेज कर दिया गया है। एक जगह पर तीन साल से अधिक जमे अधिकारियों को इधर से उधर किया जा रहा है। इस बीच नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का तबादला होने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। यहां पर लंबे अरसे से टिके अधिकारियों की सूची शासन तैयार कर रहा है। इस तबादला सूची की चर्चाएं नोएडा प्राधिकरण में आम हैं। बता दें कि अगले कुछ दिनों में नोएडा अथॉरिटी में कुछ बड़े बदलाव और सख्त एक्शन लिए जा सकते हैं।
कई अफसर तो बने हुए हैं 'सरकारी पुत्र'
सरकार चाहे किसी की हो, नोएडा प्राधिकरण में जमे कुछ अधिकारियों का बोलबाला है। वह किसी मंत्री से कम नहीं हैं। नोएडा में करीब एक दर्जन से ज्यादा अफसरों का ट्रांसफर कई बार हो चुका है, लेकिन वे मलाईदार पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। सालों से प्राधिकरण में मलाई वाले पद का मोह नहीं छूट रहा है। नोएडा में जमे रहने के लिए और सूची से नाम हटवाने के लिए अफसर लखनऊ और दिल्ली में बैठे अपने आकाओं से पैरवी कर रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर तबादला सूची पर सबकी नजर है। अब अथॉरिटी में चर्चा है कि 'अतिथि तुम आ तो गए, लेकिन कुर्सी छोड़कर कब जाओगे।' चर्चा तो यह भी है कि मेहमान अब मेजबान बन गए हैं।
सरकार से बड़े हुए ये अफसर
नोएडा अथाॅरिटी में आरपी सिंह 25 सालों से काम कर रहे हैं। 35 सालों से आरके शर्मा तैनात हैं। राजकुमार चौधरी 30 सालों से डटे हुए हैं। प्रेम नियोजन विभाग में हैं और 24 साल से अथॉरिटी में मलाईदार पद पर तैनात हैं। सत्येंद्र गिरि 15 सालों से जमे हुए हैं। विजय रावल 15 सालों से जमे हुए हैं। अकाउंट डिपार्टमेंट में तैनात प्रमोद 20 साल से काम कर रहे हैं। शोभा, रूप वशिष्ठ, रोहित सिंह, अरविंद कुमार, रोहित बंसल, गौरव गुप्ता और पवन कसाना एक दशक से मलाईदार पदों पर तैनात हैं। इन कर्मचारियों का कई बार तबादला हो चुका है। लेकिन, सभी 'अंगदी पांव' जमाकर बैठ हुए हैं। यही वजह है कि इन दिनों ये अधिकारी नोएडा अथॉरिटी में दफ्तर-दफ्तर चर्चाओं का विषय बने हुए हैं। कुल मिलकर ये अफसर सरकार से ऊपर हैं, जो अपने आकाओं के भरोसे लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं।
डेप्युटेशन वाले इनसे कम नहीं
एक महीना पहले सरकारी आदेश आने के बावजूद नोएडा प्राधिकरण में तैनात बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता राजेश कुमार हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। उनका रिलीविंग ऑर्डर आ गया है। लेकिन, नोएडा प्राधिकरण में तैनात डीजीएम साहब मलाईदार पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। वह यहां पदोन्नत भी हो चुके हैं। करीब साढ़े तीन साल पहले यूपीपीसीएल से राजेश कुमार डेपुटेशन पर नोएडा प्राधिकरण आए थे। शासन की तरफ से इन्हें पैतृक विभाग में जाने का आदेश मिलने के बाद भी कुर्सी पर जमे हुए हैं। इसलिए लगता है कि उनके लिए शासन के आदेश कोई मायने नहीं रखते हैं।
तबादला आदेश का पालन क्यों नहीं?
नोएडा प्राधिकरण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तल्ख टिप्पणियां यूं ही नहीं करते हैं। अथॉरिटी में तैनाती पाने वाले अफसर आकर वापस लौटना ही नहीं चाहते हैं। अब सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुमोदन के बाद जारी होने वाले तबादला आदेश बेमायने है। इन आदेशों पर सीनियर अधिकारी भी अमल क्यों नहीं कर रहे हैं। अगर अफसर शासन के आदेश का पालन नहीं कर रहे तो छोटे कर्मचारियों से अनुशासन की अपेक्षा करना बेमानी है। इन मामलों को लेकर प्राधिकरण के गलियारों में चर्चा-ए-आम है।
केवल कमजोरों के लिए तबादला नीति
योगी आदित्यनाथ सत्ता में आए तो नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण जैसे महत्वपूर्ण सरकारी निकायों में भ्रष्टाचार खत्म करने की मुहिम शुरू हुई। इसी सिलसिले में राज्य के सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में एकीकृत नियुक्ति और तबादला नीति लागू की गई। लेकिन। प्राधिकरणों की कार्यप्रणाली को जानने वाले कहते हैं कि यह तबादला नीति केवल कमज़ोर अफ़सरों और कर्मचारियों के लिए बनकर रह गई है। ताक़तवर अफसर और कर्मचारी अब भी मनमानी कर रहे हैं। दशकों से एक की कुर्सी और महकमें में जमे हैं। मजाल है कि कोई उन्हें टस से मस भी कर दे। जिन अफसरों के रिश्तेदार सांसद, विधायक, मंत्री, आईएएस और आईपीएस अफ़सर हैं, वह सारे इन्हीं तीन प्राधिकरणों में जमे हुए हैं। कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने पिछली सरकारों के दौरान मोटा पैसा बनाया है। अब पैसे के बल पर कुर्सी से चिपके पड़े हैं।