Noida News : सेक्टर-94 में स्थित सुपरनोवा परियोजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने इस लग्जरी आवासीय और वाणिज्यिक परियोजना के लिए दिवालिया प्रक्रिया को स्वीकार कर लिया है। यह कदम बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा दायर याचिका के बाद उठाया गया है, जिसमें डेवलपर सुपरटेक पर 168.04 करोड़ रुपये के ऋण का भुगतान न करने का आरोप लगाया गया था। जिसके एवज में उसने एनसीएलटी में याचिका दायर की थी।
2012 में शुरू किया था प्रोजेक्ट
सुपरनोवा परियोजना को 2012 में शुरू किया गया था, जो नोएडा की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। इसे भारत की सबसे बड़ी मिश्रित उपयोग वाली परियोजना के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जो 50 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैली हुई है। इसमें चार प्रमुख टावर शामिल हैं, जिनमें स्पाइरा 80 मंजिला और 300 मीटर ऊंचा टावर भारत का सबसे ऊंचा मिश्रित उपयोग वाला प्रोजेक्ट बनने की उम्मीद कर रहा था। हालांकि, परियोजना के वित्तीय पहलू चिंता का विषय बन गए हैं।
एनसीएलटी का खटखटाना पड़ा दरवाजा
सुपरटेक ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम से 735.58 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मांगी थी, जिसमें से 150 करोड़ रुपये बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने दिए थे। लेकिन कंपनी इस ऋण का भुगतान करने में विफल रही, जिससे बैंक को एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाना पड़ा। इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण का भी परियोजना पर 2100 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।
भूमि अधिग्रहण का दिया हवाला
इस परियोजना में दो हजार से अधिक घर खरीदार हैं, जिनमें से केवल एक हजार को ही अब तक कब्जा मिला है। इस मामले में सुपरटेक ने अपने बचाव में कहा कि वह आर्थिक मंदी और वित्तीय संकट का शिकार है। कंपनी ने 2010-2015 के दौरान भूमि अधिग्रहण विवादों का हवाला दिया, जिसने उनके व्यवसाय को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया। अब यह देखना होगा कि क्या यह कदम इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पटरी पर लौटा पाएगा, या फिर यह नोएडा के विकास के सपने के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा।