Noida News : सुपरटेक बिल्डर ने उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) की ओर से जारी रिकवरी सर्टिफिकेट पर एक बार फिर अपना पक्ष रखा है। बिल्डर की ओर से शुक्रवार को गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा को एक पत्र भेजा गया है। जिसमें बताया है कि यमुना अथॉरिटी की कमियों के कारण उन्हें जमीन नहीं मिल पाई। ऐसे में घरों का निर्माण करना संभव नहीं था। यही वजह रही कि आवंटन को फ्लैट नहीं दिया जा सके। कंपनी के खिलाफ यूपी रेरा से जारी रिकवरी सर्टिफिकेट को रीकॉल करवाया जा रहा है।
चिट्ठी डीएम को भेजी, चिट्ठी पर प्रेषक का नाम नहीं
सुपरटेक ग्रुप की ओर से जिलाधिकारी को संबोधित पत्र में बताया गया है कि 8 मई और 12 मई को हुई वार्ता के बाद 32 रिकवरी सर्टिफिकेट के सापेक्ष 7 करोड़ 56 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। तीन करोड़ रुपये दादरी तहसीलदार को दिए गए हैं। इस तरह सुपरटेक समूह 10.56 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है। बाकी विवादित मामलों पर कंपनी सीधे फ्लैट आवंटियों से बात कर रही है। उनकी समस्याओं का समाधान कर रही है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि मौजूदा परिस्थितियों में आरसी के सापेक्ष और पैसा दिया जाना संभव नहीं है। हालांकि, इस चिट्ठी पर सुपरटेक की ओर से किसी निदेशक या अफसर का नाम नहीं है।
सुपरटेक ने कहा- अभी और पैसा देना संभव नहीं
सुपरटेक अपकंट्री परियोजना के प्रभावित आवंटियों की ओर से यूपी रेरा में मुकदमे दाखिल किए गए थे। उन मुकदमों पर रिकवरी सर्टिफिकेट जारी हुए हैं। यूपी रेरा में कंपनी ने रि-कॉल पिटीशन दायर की है। कंपनी का दावा है कि जल्दी ही यूपी रेरा से रि-कॉल आर्डर आ जाएंगे। कंपनी ने पत्र के आखिर में लिखा है कि इस वक्त धन की उपलब्धता नहीं है। कंपनी की आर्थिक दशा अच्छी नहीं है। परियोजनाएं पूरी नहीं होने की वजह से मुकदमे चल रहे हैं। कंपनी को लगातार घाटा हो रहा है। हम जिला प्रशासन और यमुना प्राधिकरण से सहयोग चाहते हैं। वसूली की प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित कर दिया जाए। हमें शिकायतों और आरसी का समाधान करने के लिए वक्त की जरूरत है।