नोएडा में सुपरटेक और एनबीसीसी आमने-सामने : घर खरीदारों की उम्मीदों पर लगा ग्रहण, बिल्डर ने ठुकराया प्रस्ताव...जानिए पूरा मामला 

नोएडा | 1 महीना पहले | Nitin Parashar

Tricity Today | सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा



Noida news : रियल एस्टेट क्षेत्र में एक नया विवाद सामने आया है। सुपरटेक लिमिटेड ने घोषणा की है कि वह नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनबीसीसी) के प्रस्ताव का विरोध करेगी। एनबीसीसी ने सुपरटेक की 11 अधूरी परियोजनाओं को अपने हाथ में लेने का प्रस्ताव दिया था। यह मामला उन हजारों घर खरीदारों के लिए चिंता का विषय बन गया है, जो लंबे समय से अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं।

NCLAT में चल रहा मामला 
यह मामला नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में चल रहा है। एनबीसीसी ने 19 सितंबर को एनसीएलएटी को एक विस्तृत योजना सौंपी थी। इसके बाद एनसीएलएटी ने सभी हितधारकों से प्रतिक्रिया मांगी थी। इन हितधारकों में घर खरीदार और बैंक आदि शामिल हैं।

यह बोले आरके अरोड़ा
सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने कहा कि वे एनबीसीसी के प्रस्ताव पर आपत्ति जताएंगे। उनका कहना है कि एनबीसीसी की योजना से परियोजनाओं में और देरी होगी। अरोड़ा ने कहा कि एनबीसीसी काम शुरू करने से पहले कम से कम एक साल तक जांच करेगी। इससे परियोजना में शुरू से ही देरी होगी। वह खुद ही इन परियोजनाओं को जल्दी पूरा कर सकती है। कंपनी का कहना है कि वह निवेशकों या सह-डेवलपर्स की मदद ले सकती है। इससे काम तेजी से पूरा हो सकेगा।

एनबीसीसी की योजना से बढ़ेगा खर्च 
इन 11 परियोजनाओं में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और बेंगलुरु की परियोजनाएं शामिल हैं। सुपरटेक का अनुमान है कि इन्हें पूरा करने में 5,192 करोड़ रुपये लगेंगे। लेकिन एनबीसीसी का अनुमान इससे काफी ज्यादा है। उसने 10,378 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया है। अरोड़ा ने कहा कि एनबीसीसी की योजना से खर्च बढ़ेगा। इससे बैंकों और अन्य लेनदारों को मिलने वाला पैसा कम हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि एनबीसीसी ने यह नहीं बताया है कि वह बैंकों और जमीन के मालिकों को कब तक पैसा लौटाएगी।

बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ हुआ समझौता
सुपरटेक का कहना है कि उसे कई बड़ी कंपनियों से प्रस्ताव मिले हैं। ये कंपनियां परियोजनाओं की जांच कर चुकी हैं। इनकी रिपोर्ट के आधार पर अंतरिम समाधान पेशेवर ((IRP) ने योजनाएं बनाई हैं। अरोड़ा ने कहा कि परियोजनाओं में देरी तकनीकी कारणों से नहीं हुई है। असल में पैसे की कमी के कारण काम रुका है। उन्होंने बताया कि हाल ही में बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ एक समझौता हुआ है। इससे दून स्क्वायर परियोजना के लिए पैसे मिल गए हैं। अब अन्य बैंक भी हर परियोजना के लिए अलग से बात करने को तैयार हैं।

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